हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (एचसीयू) के छात्रों के एक समूह ने सोमवार को कैंपस के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन किया. स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (SIO) और मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन, जिसे फ्रेटरनिटी ग्रुप के नाम से जाना जाता है, उनकी और से हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की ओर से बनाई गई डॉक्यूमेंट्री का आयोजन किया. इन समूहों के 50 से अधिक छात्रों ने स्क्रीनिंग में भाग लिया.
एबीवीपी के छात्र नेता महेश ने कहा, "हमने मामले को विश्वविद्यालय के अधिकारियों के पास भेज दिया है और आयोजकों पर कार्रवाई की मांग की है. समूह ने कैंपस परिसर के अंदर बिना अनुमति के स्क्रीनिंग का आयोजन किया है."
पुलिस ने कहा, "हमें जानकारी मिली है कि कुछ छात्रों ने कैंपस के अंदर स्क्रीनिंग का आयोजन किया था, लेकिन हमें कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है. अगर हमें कोई शिकायत मिलती है तो जांच की जाएगी."
दूसरी और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रसंघ ने अपने कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी के विवादास्पद वृत्तचित्र के प्रदर्शन की घोषणा वाला एक पोस्टर जारी किया था. वहीं, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कार्यक्रम को रद्द करने या ‘‘सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई'' की चेतावनी दी. सरकार ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक वृत्तचित्र के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था. विदेश मंत्रालय ने वृत्तचित्र को ‘दुष्प्रचार का हिस्सा' बताते हुए खारिज किया है और कहा है कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है. हालांकि, विपक्षी दलों ने वृत्तचित्र तक पहुंच को अवरुद्ध करने के सरकार के कदम की आलोचना की है.
जेएनयू प्रशासन ने सोमवार को एक परामर्श में कहा कि छात्रसंघ ने कार्यक्रम के लिए उसकी अनुमति नहीं ली है और इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इससे ‘‘शांति और सद्भाव भंग'' हो सकता है.
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