नई दिल्ली:
सुकमा के बुरकापाल में नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले के बाद सुरक्षाबल पूरे इलाके में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. इस अभियान में अब घने जंगलों में नक्सलियों की टोह लेने के लिए यूएवी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे ही एक यूएवी के कैमरे में बस्तर के पास के जंगलों की एक तस्वीर क़ैद हुई है. सीआरपीएफ का कहना है कि 20 मई को यूएवी के कैमरे से बस्तर के जंगलों में यह तस्वीरें ली गई हैं. इन तस्वीरों में बड़ी संख्या में नक्सलियों के मूवमेंट दिखाई दे रहे हैं. सुरक्षा बलों का कहना है कि इन तस्वीरों में जो बिंदु दिख रहे हैं वे एक फार्मेशन के तहत चल रहे हैं.
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक बुरकापाल में हुए हादसे के बाद सुरक्षा बल ज्यादा से ज्यादा तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "पहले यह तस्वीरें कैप्चर होने के बाद बटालियन हेड क्वॉर्टर जाती थीं जिसकी वजह से सही तरीके से सूचना उस पार्टी तक नहीं पहुंच पाती थी. अब हम रियल टाइम पर तस्वीरें शेयर कर रहे हैं." उनके मुताबिक जल्द ही वह तकनीक इस्तेमाल होगी जिससे ऑपरेशन में लगे हुए जवानों तक सीधे तस्वीरें पहुंच पाएंगी.
सीआरपीएफ ने सुकमा हादसे में जो रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी है उसके मुताबिक हादसा स्थानीय स्तर की नाकामी की वजह से हुआ. सुरक्षा बलों के मूवमेंट पर अलग-अलग पैटर्न इस्तेमाल करने की जरूरत है. नक्सल प्रभावित इलाकों में सीनियर अफसरों की तैनाती की जाए, ताकि कमांड और कंट्रोल पर नियंत्रण रहे.
उधर केंद्र सरकार जल्द ही नक्सल ऑपरेशन के लिए फोलिएज पैनिट्रेटिंग रडार, यानी कि ऐसा रडारयुक्त कैमरा खरीदने जा रही है जो घने जंगलों में छिपे हुए नक्सलियों की गतिविधियो को पकड़ सकेगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक बुरकापाल पर हुए हमले के बाद सीआरपीएफ ने इलाके में अपनी तैनाती बढ़ा दी है. इस वजह से पिछले कुछ दिनों में उन्हें काफी सफलता मिली है.
सीआरपीएफ की बस्तर इलाके में 28 बटालियनें हैं. सुकमा इलाके में ढाई दर्जन से ज्यादा हैं. औसतन हर 14 आदिवासियों पर एक सुरक्षाकर्मी होता है. बस्तर में यह संख्या 32:1 के अनुपात में है. यानी हर एक आदिवासी पर 32 सुरक्षाकर्मी हैं. दरअसल हाल ही में मुख्यमंत्रियों को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कर्रवाई करने की हिदायत दी थी और साथ ही ड्रोन के इस्तेमाल पर भी जोर दिया था.
गौरतलब है कि 24 अप्रैल को सुकमा में रोड निर्माण कार्य में सहयोग कर रहे सीआरपीएफ़ के जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था जिसमें 25 जवानों की मौत हो गई थी जबकि उसके बाद नक्सलियों के ख़िलाफ़ लगातार हो रहे अभियान में भी 15 नक्सलियों के मारे जाने की ख़बर है.
इससे पहले खबरें आई थीं कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली और सुरक्षाबलों के बीच तीन दिनों तक चली मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने 15-20 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया इस लड़ाई में एक जवान शहीद भी हुआ. पुलिस के मुताबिक माओवादियों के ख़िलाफ 3 दिनों तक ऑपरेशन चलाया गया. 100-150 की संख्या में नक्सलियों को घेरा गया था. खासबात ये थी कि पहली दफा माओवादी कोबरा जवानों की वर्दी में देखे गए. इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ, डीआरजी, ज़िला बल और कोबरा के जवान शामिल थे.
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक बुरकापाल में हुए हादसे के बाद सुरक्षा बल ज्यादा से ज्यादा तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "पहले यह तस्वीरें कैप्चर होने के बाद बटालियन हेड क्वॉर्टर जाती थीं जिसकी वजह से सही तरीके से सूचना उस पार्टी तक नहीं पहुंच पाती थी. अब हम रियल टाइम पर तस्वीरें शेयर कर रहे हैं." उनके मुताबिक जल्द ही वह तकनीक इस्तेमाल होगी जिससे ऑपरेशन में लगे हुए जवानों तक सीधे तस्वीरें पहुंच पाएंगी.
सीआरपीएफ ने सुकमा हादसे में जो रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी है उसके मुताबिक हादसा स्थानीय स्तर की नाकामी की वजह से हुआ. सुरक्षा बलों के मूवमेंट पर अलग-अलग पैटर्न इस्तेमाल करने की जरूरत है. नक्सल प्रभावित इलाकों में सीनियर अफसरों की तैनाती की जाए, ताकि कमांड और कंट्रोल पर नियंत्रण रहे.
उधर केंद्र सरकार जल्द ही नक्सल ऑपरेशन के लिए फोलिएज पैनिट्रेटिंग रडार, यानी कि ऐसा रडारयुक्त कैमरा खरीदने जा रही है जो घने जंगलों में छिपे हुए नक्सलियों की गतिविधियो को पकड़ सकेगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक बुरकापाल पर हुए हमले के बाद सीआरपीएफ ने इलाके में अपनी तैनाती बढ़ा दी है. इस वजह से पिछले कुछ दिनों में उन्हें काफी सफलता मिली है.
सीआरपीएफ की बस्तर इलाके में 28 बटालियनें हैं. सुकमा इलाके में ढाई दर्जन से ज्यादा हैं. औसतन हर 14 आदिवासियों पर एक सुरक्षाकर्मी होता है. बस्तर में यह संख्या 32:1 के अनुपात में है. यानी हर एक आदिवासी पर 32 सुरक्षाकर्मी हैं. दरअसल हाल ही में मुख्यमंत्रियों को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कर्रवाई करने की हिदायत दी थी और साथ ही ड्रोन के इस्तेमाल पर भी जोर दिया था.
गौरतलब है कि 24 अप्रैल को सुकमा में रोड निर्माण कार्य में सहयोग कर रहे सीआरपीएफ़ के जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था जिसमें 25 जवानों की मौत हो गई थी जबकि उसके बाद नक्सलियों के ख़िलाफ़ लगातार हो रहे अभियान में भी 15 नक्सलियों के मारे जाने की ख़बर है.
इससे पहले खबरें आई थीं कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली और सुरक्षाबलों के बीच तीन दिनों तक चली मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने 15-20 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया इस लड़ाई में एक जवान शहीद भी हुआ. पुलिस के मुताबिक माओवादियों के ख़िलाफ 3 दिनों तक ऑपरेशन चलाया गया. 100-150 की संख्या में नक्सलियों को घेरा गया था. खासबात ये थी कि पहली दफा माओवादी कोबरा जवानों की वर्दी में देखे गए. इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ, डीआरजी, ज़िला बल और कोबरा के जवान शामिल थे.
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