शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में बहुत कुछ बदलने की संभावना जताई जा रही है. अतंरिम सरकार में जमात-ए-इस्लामी जैसी कई पार्टियां ऐसी हैं, जिनका झुकाव पाकिस्तान की ओर ज्यादा रहा है. ऐसे में भारतीय कवि द्वारा लिखे गए बांग्लादेश के राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' को बदलने की मांग भी उठनी शुरू हो गई है. हालांकि, अतंरिम सरकार के धार्मिक मामलों के सलाहकार का कहना है कि अभी ऐसी कोई योजना नहीं है.
बांग्लादेश का राष्ट्रगान बदलने की मांग
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के पूर्व अमीर गुलाम आजम के बेटे अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने देश के राष्ट्रगान और संविधान में बदलाव की मांग की है. ऐसा माना जाता है कि शेख हसीना को सत्ता से उखाड़ फेंकने में जमात-ए-इस्लामी का बड़ा हाथ रहा. अब राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' को बदलने की मांग कर उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिये हैं. दरअसल, कट्टरपंथियों को बांग्लादेश के राष्ट्रगान के बोल चुभ रहे हैं. हालांकि, बांग्लादेश के धार्मिक मामलों के सलाहकार ए.एफ.एम. खालिद हुसैन का कहना है कि देश के राष्ट्रगान को बदलने की कोई योजना नहीं है. अंतरिम सरकार कुछ भी ऐसा नहीं करेगी, जिससे विवाद पैदा हो. हुसैन ने कहा कि स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ मदरसे के छात्र भी दुर्गा पूजा के दौरान किसी भी हमले या तोड़फोड़ से मंदिरों की सुरक्षा करेंगे.
'आमार सोनार बांग्ला' का अर्थ
बांग्लादेश का राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था. यह गीत बंगाली भाषा का एक प्रसिद्ध गीत है और इसे बांग्लादेश के अलावा पश्चिम बंगाल में भी काफी पसंद किया जाता है. रवींद्रनाथ टैगोर एक भारतीय कवि, लेखक, दार्शनिक और संगीतकार थे. उन्हें नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. 'आमार सोनार बांग्ला' का अर्थ है- 'मेरा सुनहरा बंगाल'. यह गीत बांग्लादेश की सुंदरता और लोगों के प्रति प्रेम को दर्शाता है. यह गीत मूल रूप से एक कविता थी, जिसे बाद में एक गीत में रूपांतरित कर दिया गया. 1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद इसे राष्ट्रगान घोषित किया गया.
रवींद्रनाथ टैगोर ने 2 देशों के राष्ट्रगान लिखे
रवींद्रनाथ टैगोर ऐसे कवि रहे, जिन्होंने 2 देशों के राष्ट्रगान लिखे. कट्टरपंथियों को यही चुभ रहा है कि भारतीय कवि के लिखे राष्ट्रगान को वे गा रहे हैं. शेख हसीन के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले हुए और मंदिरों को निशाना बनाया गया. ऐसे में हजारों हिंदू बांग्लादेश छोड़कर जाने को मजबूर हैं. कट्टरपंथियों का मकसद यही है. बता दें कि टैगोर ने ही भारत का राष्ट्रगान "जन गण मन" भी लिखा था. यह एक अनोखी बात है कि एक ही व्यक्ति ने दो देशों के राष्ट्रगान लिखे हों.
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