- ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए इसे बीजेपी कमीशन करार दिया है और तीखा हमला बोला है
- उन्होंने SIR प्रक्रिया को चुनाव में उत्पन्न आपदा बताया और भाजपा को पूरे भारत में नींव हिलाने की चेतावनी दी है
- सीएम ने CEC को पत्र लिखकर डेटा एंट्री कर्मियों की नियुक्ति में राजनीतिक पक्षपात की आशंका जताई है
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने एक बार फिर चुनाव आयोग और बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है. बोनगांव में एक रैली में उन्होंने आरोप लगाया कि 'इलेक्शन कमीशन' अब एक निष्पक्ष संस्था न रहकर 'बीजेपी कमीशन' बन गई है. साथ ही SIR प्रक्रिया से नाखुश ममता ने बीजेपी को खुली चेतावनी देकर उसकी पूरे भारत में नींव हिलाने सीधी धमकी दे डाली. दीदी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर हाल ही के दो चुनाव संबंधी निर्देशों पर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.
SIR आपदा और बीजेपी को चुनौती
बोनगांव की रैली में ममता बनर्जी ने SIR प्रक्रिया और बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि एसआईआर के बाद जब मतदाता सूची का मसौदा जारी होगा, तब लोगों को चुनाव आयोग और भाजपा द्वारा पैदा की गई "आपदा" का एहसास होगा. ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा राजनीतिक रूप से उनका मुकाबला नहीं कर सकती और न ही उन्हें हरा सकती है, उन्होंने कहा, "अगर भाजपा बंगाल में मुझे चोट पहुंचाने की कोशिश करेगी तो मैं पूरे भारत में उसकी नींव हिला दूंगी."
VIDEO | North 24 Paraganas: "If BJP tries to strike me in Bengal, I will shake its foundation across India", says CM Mamata Banerjee (@MamataOfficial) at anti-SIR rally in Bongaon.
— Press Trust of India (@PTI_News) November 25, 2025
(Source: Third Party)
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/vvHuE2l9lm
सीएम ममता बनर्जी ने यह दावा भी किया कि बिहार चुनाव का नतीजा एसआईआर का परिणाम है, और विपक्ष वहां बीजेपी की चाल को भांप नहीं सका. उन्होंने यह भी दोहराया कि यदि एसआईआर दो-तीन सालों में किया जाए, तो उनकी सरकार इस प्रक्रिया को हरसंभव संसाधन के साथ समर्थन देगी.
वहीं, ममता बनर्जी की चुनौती पर बीजेपी ने भी पलटवार किया है. बंगाल में बीजेपी अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि पूरे भारत में SIR होना है. 12 राज्यों में चल रहा है. लेकिन बंगाल में ममता इतना शोर क्यों मचा रही हैं. उसका कारण है कि जो ममता मौजूदा वोटर लिस्ट के आधार पर चुनाव करना चाहती हैं, जो अब संभव नहीं है. एक महिला का नाम पश्चिम बंगाल में आठ जगह है.
#WATCH | Delhi: On West Bengal CM Mamata Banerjee's letter to CEC, West Bengal BJP President Samik Bhattacharya says, "The SIR is happening in the entire India... Why is Mamata Banerjee creating so much ruckus in West Bengal?... A data entry operator is required to assist the… pic.twitter.com/QamDicRHw0
— ANI (@ANI) November 25, 2025
सीईसी को पत्र लिखकर उठाए दो बड़े सवाल
सीएम ने सोमवार को सीईसी ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर दो हालिया मुद्दों में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने अपने 'एक्स' अकाउंट पर पत्र साझा करते हुए आश्चर्य जताया कि क्या ये मामले एक राजनीतिक दल की मदद के लिए उठाए जा रहे हैं.

Add image caption here
1. डेटा एंट्री कर्मियों की नियुक्ति पर आपत्ति
पहला मुद्दा एसआईआर या अन्य चुनाव संबंधी कार्यों के लिए डेटा एंट्री ऑपरेटरों की नियुक्ति से संबंधित है. पत्र में उल्लेख किया गया है कि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को निर्देश दिया है कि वे SIR कार्यों के लिए संविदा पर डेटा एंट्री ऑपरेटरों और बांग्ला सहायता केंद्र (BSK) के कर्मचारियों को नियुक्त न करें.
इसके साथ ही, सीईओ कार्यालय ने एक वर्ष की अवधि के लिए 1,000 डेटा एंट्री ऑपरेटरों और 50 सॉफ्टवेयर डेवलपर्स की नियुक्ति के लिए एक बाहरी एजेंसी (RFP) से अनुरोध जारी किया है. ममता बनर्जी ने सवाल उठाया कि जब क्षेत्रीय कार्यालयों में ऐसे कार्यों के लिए पहले से ही पर्याप्त और सक्षम पेशेवर मौजूद हैं, तो एक ही काम के लिए पूरे एक साल के लिए बाहरी एजेंसी से कराने की क्या जरूरत है. उन्होंने आशंका जताई कि यह कवायद किसी राजनीतिक दल के इशारे पर निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए की जा रही है?
Sharing herewith my today's letter to the Chief Election Commissioner, articulating my serious concerns in respect of two latest and disturbing developments. pic.twitter.com/JhkFkF6RWs
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 24, 2025
2. निजी परिसर में पोलिंग बूथ स्थापित करने का प्रस्ताव
मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग द्वारा निजी आवासीय परिसरों के अंदर मतदान केंद्र स्थापित करने के कथित प्रस्ताव पर भी कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने दावा किया कि मतदान केंद्र हमेशा सुगमता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्थानों में स्थापित किए जाते हैं.
सीएम ने कहा कि ऐसे स्थान निष्पक्षता से समझौता करते हैं, स्थापित मानदंडों का उल्लंघन करते हैं और यह कदम किसी राजनीतिक दल के दबाव में अपने पक्षपातपूर्ण हितों को आगे बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने अंत में निर्वाचन आयोग की गरिमा और विश्वसनीयता पर जोर देते हुए अत्यंत गंभीरता, निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ इन दोनों मुद्दों की जांच करने का आग्रह किया.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं