आगरा में ताजमहल के आसपास निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने ताज संरक्षित क्षेत्र में सभी तरह के निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों पर लगी रोक हटा दी है. कोर्ट ने ताजमहल के आसपास बुनियादी सुविधाओं, प्रदूषण न फैलाने वाली गतिविधियों की इजाजत दी है, लेकिन कहा है कि इन सबके लिए सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी से इजाजत लेनी जरूरी होगी. हवाई यातायात में वृद्धि और ताजमहल पर इसके संभावित प्रभाव पर एक निर्णायक अध्ययन के लंबित रहते समय सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) को आगरा के हवाई क्षेत्र से अतिरिक्त विमान सेवा शुरू करने पर रोक लगाई है.
पीठ ने AAI को आगरा हवाई अड्डे पर एक अतिरिक्त टर्मिनल बनाने की अनुमति दी है लेकिन चेतावनी दी थी कि कोई अतिरिक्त विमान इस स्थल पर ना उतरेगा और ना ही उड़ान भरेगा. कोर्ट ने कहा था कि पहली नजर में, हम इस आपत्ति को ठोस आपत्ति मानते हैं और हम इस एयर फील्ड पर हवाई यातायात में वृद्धि का प्रस्ताव नहीं देते हैं. इस पर केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने कहा था कि सरकार उन पर्यटकों की संख्या का आकलन करने के लिए एक अध्ययन करने के लिए तैयार है जो हवाई अड्डे का उपयोग करते हैं और हाल के वर्षों में उनकी संख्या में वृद्धि हुई है.
अदालत ने कहा कि हवाई यातायात में वृद्धि की अनुमति देना मुश्किल हो सकता है, इसलिए हम भारत सरकार को यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि यातायात में ऐसी प्रत्याशित वृद्धि को लेकर एक वैकल्पिक स्थल पर विचार करें जहां से हवाई जहाजों को संचालित किया जा सकता है. पीठ ने कहा कि सरकार आगरा में ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) के लिए नए हवाई क्षेत्र से यात्रियों को लाने के लिए रेलवे 'पैलेस ऑन व्हील्स 'जैसी ट्रेनों पर विचार कर सकता है.
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भारत सरकार भी पर्यटकों की वृद्धि की समस्याओं को हल करने के लिए रेलवे को शामिल करने पर विचार करेगा और इस तथ्य को ध्यान में रखेगा कि अगर यह क्षेत्र प्रदूषित होगा तो कोई भी दिलचस्पी नहीं लेगा जिसके परिणामस्वरूप लोगों और ताज सहित अन्य स्मारकों को नुकसान होगा. पीठ ने निर्देश दिया कि केंद्र द्वारा तीन महीने के भीतर रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए, जिसके बाद ताजमहल के आसपास हवाई यातायात को बढ़ाने के खिलाफ एक स्थायी प्रतिबंध पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
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दरअसल सुप्रीम कोर्ट ताज के संरक्षण पर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा है और पीठ ने स्मारकों की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए पिछले दो दशकों में कई निर्देश जारी किए हैं.
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