विज्ञापन
This Article is From Jan 23, 2024

इंसानी अस्तित्व से 225 करोड़ साल पुराना है वो काला पत्थर, जिससे बनी है रामलला की मूर्ति

रामलला की मूर्ति को बनाने में इस्तेमाल हुए काले पत्थर को कर्नाटक के मैसूरु जिले के जयापुरा होबली गांव से लाया गया. यह क्षेत्र हाई क्वालिटी वाली ग्रेनाइट खदानों के लिए जाना जाता है. यह चट्टान प्री-कैम्ब्रियन काल की है.

इंसानी अस्तित्व से 225 करोड़ साल पुराना है वो काला पत्थर, जिससे बनी है रामलला की मूर्ति
पीएम मोदी ने 22 जनवरी को पूरे विधि-विधान के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की.
अयोध्या:

श्याम रंग, सम्मोहित करती चमकीली आंखें, मनमोहक मुस्कान और भव्य श्रृंगार के साथ अयोध्या के भव्य मंदिर (Ayodhya Ram Temple) में प्रभु श्रीराम के बालस्वरूप का विराजमान हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 22 जनवरी को पूरे विधि-विधान के साथ श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा (Shri Ram Lalla Pran Pratishtha) की. मंगलवार से राम मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खुल चुके हैं. रामलला की मूर्ति को मैसूर के रहने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है. 51 इंच की मूर्ति को काले पत्थर से बनाई गई है. कर्नाटक से लाए गए ये पत्थर 2.5 अरब साल (225 करोड़ साल) पुरानी है. शास्त्रों में ब्लैक ग्रेनाइट को कृष्ण शिला (शालीग्राम) कहा जाता है. 

बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स (NIRM) ने ब्लैक ग्रेनाइट (शालीग्राम) की टेस्टिंग की है. NIRM भारत के डैम और न्यूक्लियर पावर प्लांट के लिए चट्टानों की टेस्टिंग करने वाली नोडल एजेंसी है. इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर एचएस वेंकटेश ने फिजिको-मैकानिकल एनालिसिस ( Physico Mechanical Analysis) का इस्तेमाल कर पत्थर की टेस्टिंग की है. 

डॉ. वेंकटेश ने कहा, "पूरा पत्थर एक रंग में है. इसमें किसी भी तरह की नक्काशी के लिए विशेष गुण हैं. इन पत्थरों में कोई दरार नहीं आती है. काले पत्थर पानी को अवशोषित नहीं करता है या कार्बन के साथ प्रतिक्रिया भी नहीं करता है. यानी रामलला की मूर्ति पर दूध से अभिषेक करने, रोली या चंदन लगाने से भी कोई नुकसान नहीं होगा.

रामलला ने सिर से पांव तक पहने हैं कौन-कौन से 17 आभूषण? जानिए हर डिटेल

Latest and Breaking News on NDTV
डॉ. वेंकटेश कहते हैं, "काले चट्टान ज्यादा टिकाऊ और क्लाइमेट रेजिस्टेंट हैं. ये कम से कम मेनटेनेंस के साथ इस उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र (Subtropical Zone) में हजारों साल तक टिकी रहेंगी." बता दें कि ग्रेनाइट एक अत्यंत कठोर पदार्थ है. ज्यादातर ग्रेनाइट पत्थर तब बनीं, जब पृथ्वी के निर्माण के बाद पिघला हुआ लावा ठंडा हो गया. 

वहीं, केंद्रीय विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि राम मंदिर के निर्माण में हर चीज का खास ख्याल रखा गया है. इसमें पारंपरिक वास्तुशिल्प डिजाइन से लेकर हाई क्वालिटी वाले पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है. इसे हजारों साल तक टिकाऊ बनाने के लिए इसमें आधुनिक विज्ञान और इंजीनियरिंग तकनीकों को शामिल किया गया. जितेंद्र सिंह ने कहा कि राम मंदिर को 1000 से अधिक साल टिके रहने के लिए डिजाइन किया गया है.

कर्नाटक में कहां से लाए गए पत्थर?
रिपोर्ट के मुताबिक, रामलला की मूर्ति को बनाने में इस्तेमाल हुए काले पत्थर को कर्नाटक के मैसूरु जिले के जयापुरा होबली गांव से लाया गया. यह क्षेत्र हाई क्वालिटी वाली ग्रेनाइट खदानों के लिए जाना जाता है. यह चट्टान प्री-कैम्ब्रियन काल की है,     अनुमान है कि पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले हुई थी. जिस काली ग्रेनाइट चट्टान से रामलला की मूर्ति बनाई गई है, उसने पृथ्वी के इतिहास का कम से कम आधा या अधिक हिस्सा देखा है.

राम मंदिर पर अब तक 1100 करोड़ खर्च, पूरा तैयार होने तक 1400 करोड़ खर्च का अनुमान : NDTV से राममंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष

Latest and Breaking News on NDTV
यह चट्टानें प्री-कैम्ब्रियन युग की है, जिसकी शुरुआत करीब 4 अरब से ज्यादा साल पहले हुई मानी जाती है. अनुमान है कि पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले हुई थी. यानी जिस काले ग्रेनाइट चट्टान से रामलला की मूर्ति बनाई गई है, उसने पृथ्वी के इतिहास का कम से कम आधा या अधिक हिस्सा देखा है.

ऐसा माना जाता है कि 14 मिलियन साल पहले पृथ्वी पर मानवों की उत्पत्ति हुई. होमो सेपियंस प्रजाति सिर्फ 300,000 साल पुरानी है. ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति लगभग 4 अरब वर्ष पहले हुई थी.

अरुण योगीराज ने बनाई मूर्ति
काले ग्रेनाइट पत्थर को मैसूरु के रहने वाले 38 वर्षीय अरुण योगीराज ने एक सुंदर मूर्ति में तब्दील किया. अरुण योगराज अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं. श्रीरामलला की मूर्ति तैयार करने में उन्हें लगभग 6 महीने लगे. सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा के वक्त अरुण योगीराज ने कहा था कि वे खुद को दुनिया के सबसे भाग्यशाली शख्स मानते हैं. 

रामलला की वह मूर्ति, जो नहीं चुनी गई राममंदिर के लिए - जानें अब कहां है प्रतिमा

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com