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This Article is From Apr 16, 2023

अतीक अहमद ने 2008 में यूपीए सरकार को बचाने में की थी मदद, जानिए कैसे? 

अतीक उन बाहुबलियों में से एक था, जिन्होंने संप्रग सरकार को गिरने से बचाया था. असैन्य परमाणु समझौता करने के सरकार के फैसले पर वाम दलों ने 2008 के मध्य में सरकार को दिया गया अपना बाहरी समर्थन वापस ले लिया था. 

अतीक अहमद ने 2008 में यूपीए सरकार को बचाने में की थी मदद, जानिए कैसे? 
यूपी के प्रयागराज में वह जगह जहां अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या कर दी गई थी.
नई दिल्‍ली:

‘वर्ष 2008 में जब तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार और अमेरिका के साथ उसके परमाणु समझौते पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, तब गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद ने सरकार बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.' यह दावा एक पुस्तक ‘बाहुबलीज ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स : फ्रॉम बुलेट टू बैलट' में किया गया है. विपक्ष तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था और संप्रग सरकार एवं अमेरिका के साथ किया गया परमाणु समझौता दांव पर लग गया था. पुस्तक के अनुसार, तब अतीक सहित छह अपराधी सांसदों को 48 घंटे के भीतर विभिन्न जेलों से फर्लो पर छोड़ा गया था. इन छह सांसदों में समाजवादी पार्टी का तत्कालीन लोकसभा सदस्य अतीक अहमद था, जो तत्कालीन इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा था. 

राजेश सिंह द्वारा लिखित और रूपा पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि अतीक उन बाहुबलियों में से एक था, जिन्होंने संप्रग सरकार को गिरने से बचाया था. असैन्य परमाणु समझौता करने के सरकार के फैसले पर वाम दलों ने 2008 के मध्य में सरकार को दिया गया अपना बाहरी समर्थन वापस ले लिया था. 

सिंह ने लिखा, ‘‘लोकसभा में संप्रग के 228 सदस्य थे और अविश्वास प्रस्ताव से उबरने के लिए सरकार को 44 वोट कम पड़ रहे थे. प्रधानमंत्री सिंह ने, हालांकि, विश्वास व्यक्त किया था कि उनकी सरकार सत्ता में बनी रहेगी. यह जल्द ही स्पष्ट हो गया कि वह विश्वास मत कहां से आया था.''

उन्होंने लिखा है कि तब समाजवादी पार्टी, अजीत सिंह के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) और एच डी देवेगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) ने संप्रग को अपना समर्थन दिया था. उन्होंने आगे लिखा कि संप्रग को समर्थन देने वाले अन्य सांसदों में ये ‘बाहुबली नेता' भी शामिल थे.

पुस्तक में कहा गया है, ‘‘(विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर) मतदान से 48 घंटे पहले सरकार ने देश के कानून तोड़ने वालों में से छह को फर्लो पर जेल से बाहर निकाल दिया था, ताकि वे अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा कर सकें. इन बाहुबली सांसदों पर कुल मिलाकर अपहरण, हत्या, जबरन वसूली, आगजनी सहित 100 से अधिक मामले दर्ज थे. 

पुस्तक के अनुसार, ‘‘इन बाहुबली सांसदों में से एक उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी का सांसद अतीक अहमद था. उसने अपना वोट डाला था और वह भी संकटग्रस्त संप्रग के पक्ष में.''

उस समय तक अतीक अहमद खुद को अपराध और राजनीति - दोनों क्षेत्रों में स्थापित कर चुका था.

अतीक (60) ने खुद की पहचान एक राजनेता, ठेकेदार, बिल्डर, प्रॉपर्टी डीलर और कृषक के रूप में बनाई, लेकिन उसके खिलाफ अपहरण, जबरन वसूली और हत्या सहित गंभीर आपराधिक आरोप भी थे. 

अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज के एक अस्पताल के बाहर शनिवार रात हत्या कर दी गई. दोनों भाइयों को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लाया गया था, जहां मीडियाकर्मी के वेश में तीन अपराधियों ने गोली मारकर दोनों की हत्या कर दी. 

इससे पहले बृहस्पतिवार को अतीक का बेटा असद और उसका सहयोगी गुलाम, विशेष कार्यबल (एसटीएफ) के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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