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5 साल की उम्र में घरवालों ने कर दिया था दान, महाकुंभ पहुंचे छोटे से नागा साधु ने एनडीटीवी से की खास बातचीत

प्रयागराज में लग रहे महाकुंभ में शामिल होने पहुंचे नागासाधुओं से बात की. उन्होंने यहां 9 साल के सबसे छोटे नागा साधु से बात की और उनसे पूछा कि उन्होंने इस राह का चुनाव क्यों किया और क्या वह साधु के रूप में अपने इस जीवन से संतुष्ट हैं? 

प्रयागराज:

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू हो रहा है और कई श्रद्धालु यहां गंगा स्नान के लिए पहुंचने वाले हैं. बता दें कि श्रद्धालुओं के साथ-साथ साधु-संत भी महाकुंभ में शिरकत करने के लिए पहुंचते हैं और उनका आगमन महाकुंभ के प्रारंभ होने से पहले ही होने लगता है. इसी बीच हमारे एक संवाददाता ने प्रयागराज में लग रहे महाकुंभ में शामिल होने पहुंचे नागासाधुओं से बात की. उन्होंने यहां 9 साल के सबसे छोटे नागा साधु से बात की और उनसे पूछा कि उन्होंने इस राह का चुनाव क्यों किया और क्या वह साधु के रूप में अपने इस जीवन से संतुष्ट हैं? 

9 साल के नागा साधु से खास बातचीत

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एनडीटीवी से बात करते हुए 9 साल के नागा साधु गोपाल गिरी जी ने बताया कि वह 4 साल से नागा साधु का जीवन जी रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि इस साधु की दुनिया में किस तरह तप करना पड़ा? इस पर गोपाल गिरी ने कहा कि तप तो करना पड़ेगा लेकिन ये भगवान के लिए और भजन करना होगा. दुनिया तो सबकुछ चाहती है, फिर चाहे वो हो या ना हो लेकिन साधु को अपना भजन नहीं छोड़ना चाहिए. सबसे बड़ा तो संसार में साधु ही होता है और भगवान होता है. 

नागा साधु ने कहा अब जीवन आसान है

जब उनसे पूछा गया कि बच्चा मोह माया और खेल की दुनिया में रहता है लेकिन आपके लिए साधु बनने का तप करना कितना मुश्किल रहा. इस पर उन्होंने कहा, हम भी खेलते हैं कभी-कभी लेकिन सबसे अच्छा भजन ही लगता है. खेल में तो बच्चे लोग खेलते हैं और हम भी कभी-कभी खेलते हैं लेकिन सबसे ज्यादा भजन करते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको ये जीवन मुश्किल लगता है? इसपर उन्होंने कहा, जीवन मुश्किल नहीं बल्कि आसान है... एक पन्ने को 10 बार पढ़ोगे लेकिन तब भी समझ नहीं आएगा और एक साधु के जीवन में कोई मुश्किल नहीं है. बस पूजा-पाठ करो, भजन करो और अपनी भक्ति में लीन रहो.

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पूरे जीवन भक्ति में लीन रहने का लिया संकल्प

उन्होंने कहा, वह पूरे जीवन में इसी भक्ति में लीन रहेंगे और उन्होंने इसका संकल्प लिया है. जब उनसे उनकी दिनचर्या के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि दिनचर्या जैसी होती है... वैसी ही होती है. इसके बाद उन्होंने बताया कि यह उनका पहला शाही स्नान है. उन्होंने कहा कि वो सबसे आगे होंगे. 

घरवालों ने 5 साल की उम्र में कर दिया था दान

जब उनसे उनके घरवालों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मुझे होश है.... जब मेरे घरवालों ने मुझे दान दिया. हम तो खुशी-खुशी साधु बने थे और खुशी-खुशी रहेंगे". उन्होंने कहा कि उनकी उम्र उस वक्त 5 साल थी जब उन्हें दान दिया गया. उन्होंने यह भी बताया कि घरवालों की याद आती है और कभी-कभी जाना भी होता है. उन्होंने बताया कि वो कभी-कभी मां से भी कभी-कभी बात होती है. 

Video : नागा बाबा किस तरह बनते हैं?

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