पुलिस सूत्रों ने कहा कि असम के एक दूरदराज के गांव में भीड़ द्वारा दो लोगों की हत्या कर दी गई क्योंकि स्थानीय निवासियों ने उन पर जादू टोना करने का संदेह किया और उन्हें मारने का फैसला किया गया. यह घटना बुधवार रात की है लेकिन पहली बार गुरुवार सुबह पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस ने दो लोगों के कुछ अवशेष बरामद किए हैं और अब तक नौ ग्रामीणों को गिरफ्तार किया है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, कार्बी आंग्लोंग जिले के डोकमोका पुलिस स्टेशन के तहत सुदूर रोहिमापुर इलाके में, गांव की एक महिला की कुछ दिनों पहले बीमार पड़ने के बाद मौत हो गई और उसे इलाज के लिए गुवाहाटी ले जाया गया. बुधवार को, गांव में उसके लिए एक अनुष्ठान में, एक अन्य महिला - एक 50 वर्षीय विधवा रमावती हलुआ - ने "असामान्य" तरीके से व्यवहार करना शुरू कर दिया. बता दें कि गांव में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, जो या तो मजदूरी करते हैं या छोटे किसान हैं.
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कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि रामवती जादू टोना कर रही थी. पुलिस सूत्रों ने कहा कि ग्रामीणों ने उसे चुड़ैल ठहराया और उसे गांव के लोगों की "बुरी किस्मत" के लिए जिम्मेदार ठहराया. जल्द ही, एक भीड़ ने उसे पीटना शुरू कर दिया और उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया. पुलिस सूत्रों ने बताया कि जब गांव के 28 वर्षीय युवक बिजॉय गौर ने हस्तक्षेप किया और उन पर अंधविश्वास का आरोप लगाया, तो उन पर भी हमला किया गया.
गुस्साई भीड़ ने दोनों को पीट-पीट कर मार डाला, स्थानीय देवता को अनुष्ठान की पेशकश की और पास की एक पहाड़ी में शवों का दाह संस्कार करने की कोशिश की गई. कार्बी आंगलोंग के पुलिस अधीक्षक देबोजीत देओरी ने कहा,"यह बुधवार और गुरुवार की मध्यरात्रि को हुआ. गुरुवार की सुबह, सूचना मिलने पर, हम घटनास्थल पर गए. हमने जलती हुई चिता से पीड़ितों के शवों को एकत्र किया. हमने मौके से मिट्टी के नमूने भी एकत्र किए. हमने अपराध के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले धारदार हथियारों को जब्त कर लिया है और नौ लोगों को गिरफ्तार किया है."
उन्होंने कहा, "उनसे पूछताछ की जा रही है और हम और लोगों की तलाश कर रहे हैं." गिरफ्तार किए गए नौ लोग सभी एक ही गांव और एक ही समुदाय से हैं. पुलिस सूत्रों ने कहा कि उन्हें शुक्रवार को अदालत में पेश किया जाएगा.यह उसी डोकमोका पुलिस थाने के तहत था कि 2018 में दो युवकों को गुस्से में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था.
2018 के बाद से, असम विच हंटिंग (निषेध, रोकथाम और संरक्षण) अधिनियम, 2015 लागू रहा है. नए कानून के अनुसार, विच हंट को एक संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-यौगिक अपराध के रूप में देखा जाता है. इसे 2015 में असम विधानसभा ने आजीवन कारावास तक की जेल के प्रावधानों के साथ पारित किया था. 2019 में, असम सरकार ने राज्य विधान सभा को सूचित किया कि 18 वर्षों में, राज्य में विच हंट के मामलों में 161 लोग मारे गए हैं.
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