कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस संकट के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए. इसके साथ ही गांधी ने कांग्रेस सदस्यों का आह्वान किया कि वे राज्य में शांति बनाए रखने में मदद करें और एनआरसी के संदर्भ में जिन लोगों के खिलाफ नाइंसाफी की गई है उनकी मदद करें चाहे उनका किसी भी धर्म, जाति, लिंग, भाषायी समूह या राजनीतिक जुड़ाव हो. उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘संप्रग सरकार और मनमोहन सिंह जी के तहत एनआरसी की शुरुआत की गई थी ताकि 1985 के असम समझौते में किए गए वादे को पूरा किया जा सके.
असम में 40 लाख लोग अवैध नागरिक, संसद में हंगामे के दौरान राजनाथ सिंह ने दिया आश्वासन
बहरहाल, केंद्र और असम की बीजेपी सरकारों ने जिस तरह से इस काम को अंजाम दिया वो आशा के अनुरूप नहीं है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘असम के सभी कोनों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारतीय नागरिकों को एनआरसी के मसौदे में अपना नाम नहीं मिल रहा है जिससे राज्य में भारी असुरक्षा का भाव है.’ उन्होंने कहा, ‘1200 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद यह पूरी प्रक्रिया सुस्त रही. सरकार को इस संकट के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.’
असम में 40 लाख अवैध नागरिक : ममता बनर्जी ने उठाया सवाल, क्या जबरदस्ती लोगों को निकाला जायेगा
वहीं असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) की सूची जारी होने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि किसी को भी घबराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि जिनका नाम लिस्ट में नहीं है, उनके खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, "कुछ लोग अनावश्यक रूप से डर का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. यह पूरी तरह निष्पक्ष रिपोर्ट है. किसी भी तरह की गलत सूचना नहीं फैलाई जानी चाहिए." उन्होंने कहा था कि यह ड्राफ्ट सूची है, अंतिम सूची (फाइनल लिस्ट) नहीं. अगर किसी का नाम फाइनल लिस्ट में भी नहीं आता है, तो भी वह विदेशी न्यायाधिकरण में जा सकता है. किसी के भी विरुद्ध बलपूर्वक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, इसलिए किसी को भी घबराने की ज़रूरत नहीं है.
असम में क्या है एनआरसी मसौदा, 40 लाख अवैध नागरिकों के पास अब कौन सा है विकल्प
उधर, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा कि हर राज्य में बाहर से आये लोग रहते हैं. असम में संवाद की सभी सेवाएं बंद कर दी गई हैं. महिलाओं और बच्चों को जेल भेज दिया गया है. यह एक चुनवी राजनीति है. क्या इन लोगों को जबरदस्ती बाहर निकाला जायेगा. उन्होंने कहा कि सरकार की नीति बांटो और राज करो की है. आपको बता दें कि असम में आज राष्ट्रीय नागरिक सिटिजन चार्ट जारी कर दिया गया है जिसमें 40 लाख लोगों को अवैध पाया गया है. जबकि 2.89 करोड़ का नाम इसमें शामिल किया गया है. इस लिस्ट के आने के बाद से गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह मसौदा सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनाया गया है. इसमें केंद्र या राज्य का लेना-देना नहीं है. उन्होंने भी यह भी कहा कि "यह ड्राफ्ट सूची है, अंतिम सूची (फाइनल लिस्ट) नहीं. अगर किसी का नाम फाइनल लिस्ट में भी नहीं आता है, तो भी वह विदेशी न्यायाधिकरण में जा सकता है. किसी के भी विरुद्ध बलपूर्वक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, इसलिए किसी को भी घबराने की ज़रूरत नहीं है."
VIDEO: असम में आया NRC का ड्राफ्ट
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बहरहाल, केंद्र और असम की बीजेपी सरकारों ने जिस तरह से इस काम को अंजाम दिया वो आशा के अनुरूप नहीं है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘असम के सभी कोनों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारतीय नागरिकों को एनआरसी के मसौदे में अपना नाम नहीं मिल रहा है जिससे राज्य में भारी असुरक्षा का भाव है.’ उन्होंने कहा, ‘1200 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद यह पूरी प्रक्रिया सुस्त रही. सरकार को इस संकट के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.’
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वहीं असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) की सूची जारी होने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि किसी को भी घबराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि जिनका नाम लिस्ट में नहीं है, उनके खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, "कुछ लोग अनावश्यक रूप से डर का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. यह पूरी तरह निष्पक्ष रिपोर्ट है. किसी भी तरह की गलत सूचना नहीं फैलाई जानी चाहिए." उन्होंने कहा था कि यह ड्राफ्ट सूची है, अंतिम सूची (फाइनल लिस्ट) नहीं. अगर किसी का नाम फाइनल लिस्ट में भी नहीं आता है, तो भी वह विदेशी न्यायाधिकरण में जा सकता है. किसी के भी विरुद्ध बलपूर्वक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, इसलिए किसी को भी घबराने की ज़रूरत नहीं है.
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उधर, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा कि हर राज्य में बाहर से आये लोग रहते हैं. असम में संवाद की सभी सेवाएं बंद कर दी गई हैं. महिलाओं और बच्चों को जेल भेज दिया गया है. यह एक चुनवी राजनीति है. क्या इन लोगों को जबरदस्ती बाहर निकाला जायेगा. उन्होंने कहा कि सरकार की नीति बांटो और राज करो की है. आपको बता दें कि असम में आज राष्ट्रीय नागरिक सिटिजन चार्ट जारी कर दिया गया है जिसमें 40 लाख लोगों को अवैध पाया गया है. जबकि 2.89 करोड़ का नाम इसमें शामिल किया गया है. इस लिस्ट के आने के बाद से गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह मसौदा सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनाया गया है. इसमें केंद्र या राज्य का लेना-देना नहीं है. उन्होंने भी यह भी कहा कि "यह ड्राफ्ट सूची है, अंतिम सूची (फाइनल लिस्ट) नहीं. अगर किसी का नाम फाइनल लिस्ट में भी नहीं आता है, तो भी वह विदेशी न्यायाधिकरण में जा सकता है. किसी के भी विरुद्ध बलपूर्वक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, इसलिए किसी को भी घबराने की ज़रूरत नहीं है."
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