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बांग्लादेशी पुशबैक को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए असम सरकार का बड़ा फैसला, नए SOP को दी मंजूरी

अप्रवासी अधिनियम 1950 के अनुसार विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) सीधे फैसला नहीं ले सकता है. अगर किसी व्यक्ति के विदेशी होने का संदेह है तो उसे उपायुक्त (डीसी) को अपने सभी कानूनी दस्तावेज दिखाने होंगे.

बांग्लादेशी पुशबैक को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए असम सरकार का बड़ा फैसला, नए SOP को दी मंजूरी
(फाइल फोटो)
  • असम सरकार ने विदेशी नागरिकों के तेज निष्कासन के लिए नए मानक संचालन प्रक्रिया को मंजूरी दी है
  • उपायुक्त और अतिरिक्त उपायुक्त दस दिनों के भीतर दस्तावेजों की जांच कर विदेशी नागरिकों को होल्डिंग सेंटर भेजेंगे
  • विदेशी नागरिकों की निकासी सीमा सुरक्षा बल द्वारा की जाएगी, सरकार स्वयं यह कार्य नहीं करेगी
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नई दिल्ली:

बांग्लादेशी पुशबैक को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए असम सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. असम कैबिनेट ने विदेशियों को बाहर निकालने के लिए नए मानक संचालन प्रक्रिया को मंजूरी दी है. इसके जरिए उपायुक्त (डीसी) बांग्लादेशियों को सीधे निष्कासित करे सकेंगे. 

क्या है अप्रवासी अधिनियम 1950

अप्रवासी अधिनियम 1950 के अनुसार विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) सीधे फैसला नहीं ले सकता है. अगर किसी व्यक्ति के विदेशी होने का संदेह है तो उसे उपायुक्त (डीसी) को अपने सभी कानूनी दस्तावेज दिखाने होंगे. इसके बाद डीसी और अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) 10 दिनों के अंदर दस्तावेजों की जांच करेंगे और अगर वो दस्तावेजों से संतुष्ट नहीं होते हैं तो वो 11वें दिन व्यक्ति को एक होल्डिंग सेंटर भज देंगे. वहां से उन्हें निकासी दी सकती है. 

सरकार खुद विदेशियों को नहीं करेगी बाहर

सरकार खुद विदेशियों की निकासी नहीं करेगी बल्कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा ये काम किया जाएगा. यदि किसी संदिग्ध व्यक्ति को अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया जाएगा और सुनवाई के बाद, उपायुक्त यह निष्कर्ष निकालते हैं कि वह व्यक्ति विदेशी है, तो तत्काल निष्कासन का आदेश पारित किया जाएगा, और विदेशी को निर्वासित या वापस भेज दिया जाएगा.

डीसी फैसला नहीं ले पाता तो विदेशी न्यायाधिकरण के पास भेजा जाएगा मामला

अगर डीसी किसी निर्णायक राय पर नहीं पहुंच पाते हैं, तो मामले को आगे के निर्णय के लिए विदेशी न्यायाधिकरण के पास भेज दिया जाएगा. इस प्रक्रिया से असम सरकार के लिए विदेशियों का पता लगाना और उनकी पहचान हो जाने पर उन्हें वापस भेजना बहुत आसान हो जाएगा.

जिन मामलों में डीसी भ्रमित हैं या अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, खासकर उन लोगों के मामले में जिनके 1971 के बाद प्रवेश करने का संदेह है, तो मामला न्यायाधिकरण के पास जाएगा. अगर न्यायाधिकरण यह निर्धारित करता है कि व्यक्ति वास्तव में बांग्लादेश या पाकिस्तान से है, तो उसे तुरंत वापस भेज दिया जाएगा.

अब तक असम से वापस भेजे गए लोगों की कुल संख्या 30,128 है. मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी होने के बाद, यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है. आज से अगले 7 से 10 दिनों के अंदर इसका कार्यान्वयन शुरू होने की संभावना है.

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