
- मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने 5,000 सोशल मीडिया अकाउंट्स के सक्रिय होने का आरोप लगाया.
- ये अकाउंट्स मुख्यतः इस्लामिक देशों से संचालित होते हैं, खासकर बांग्लादेश और पाकिस्तान से- सीएम हिमंता का दावा
- सरमा के अनुसार, ये अकाउंट्स कांग्रेस की असम इकाई के एक विशेष नेता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शुक्रवार, 20 जून को आरोप लगाया कि 5,000 से अधिक ‘सोशल मीडिया अकाउंट' कांग्रेस की असम इकाई का प्रचार एवं समर्थन करने के लिए सक्रिय हो गए हैं. उनका दावा है कि इनमें से ज्यादातर ‘अकाउंट' इस्लामिक देशों से संचालित होते हैं. हिमंता सरमा ने दिसपुर के लोक सेवा भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आरोप लगाया कि ये ‘अकाउंट' 47 देशों में एक्टिव हैं और इनमें से सबसे अधिक संख्या में एक्टिव ‘अकाउंट' बांग्लादेश और पाकिस्तान में हैं.
उन्होंने दावा किया कि ये ‘अकाउंट' पिछले एक महीने से कांग्रेस की असम इकाई के एक विशेष नेता और पार्टी की राज्य इकाई के पेज की गतिविधियों पर खासतौर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है कि वे राहुल गांधी या यहां तक कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पोस्ट पर भी टिप्पणी या ‘लाइक' नहीं करते. वे केवल एक विशेष नेता और कांग्रेस की असम इकाई पर ध्यान केंद्रित करते हैं.'' असम के अलावा वे इस्लामी कट्टरपंथी सामग्री पोस्ट करते हैं जिसमें फिलिस्तीन, ईरान और बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस संबंधी पोस्ट शामिल हैं.
सीएम हिमंता ने नहीं लिया किसी का नाम
मुख्यमंत्री ने किसी नेता का नाम नहीं लिया. उन्होंने कहा, "यह लगभग एक महीने से चल रहा है. मैं किसी का नाम नहीं लूंगा, लेकिन हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं. ये लोग व्हाट्सएप या टेलीग्राम ग्रूप के माध्यम से जुड़े हुए हैं. वे खास रूप से किसी विवादास्पद घटना के बाद एक्टिव हो जाते हैं."
उन्होंने जीएस रोड और खारघुली क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए गुवाहाटी में संभावित स्थानीय कनेक्शन का भी संकेत दिया, हालांकि कोई खास डिटेल नहीं दिए.
उन्होंने कहा, ‘‘2026 के विधानसभा चुनावों से पहले असम की राजनीति में बहुत अधिक विदेशी हस्तक्षेप है और ऐसा पहली बार हो रहा है.'' मुख्यमंत्री ने इसे ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा'' का मुद्दा बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इससे अवगत करा दिया गया है. मुख्यमंत्री हिमंता की इस टिप्पणी ने असम के राज्य चुनावों से पहले डिजिटल हस्तक्षेप और सांप्रदायिक कंटेंट के बारे में एक नई बहस छेड़ दी है.
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