
असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कैश फॉर जॉब घोटाला (Assam Cash For Job Scam) मामले पर आई जांच रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस और गोगोई परिवार पर हमला बोला हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही जांच आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने पर जोर दिया था. अब कांग्रेस सरकार में हुई अनियमितताएं सामने आ रही हैं. दरअसल असम लोक सेवा आयोग(APSC) में राकेश पॉल को पहले सदस्य और बाद में अध्यक्ष नियुक्त करने में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की भूमिका जांच के घेरे में है.
कैश फॉर जॉब की जांच रिपोर्ट में इस मामले में सवाल खड़े किए गए हैं. पॉल के कार्यकाल के दौरान, सिविल सेवा परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं उजागर की गई हैं. कैश फॉर जॉब घोटाला मामला 2016 का है, जब असम में कांग्रेस की सरकार थी और तरुण गोगोई मुख्यमंत्री थे. रिपोर्ट में कई अहम खुलासे हुए हैं, जिनको लेकर असम के सीएम कांग्रेस पर हमलावर हैं.
"कांग्रेस ने ही रिपोर्ट पेश करने को कहा था"
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि कांग्रेस के लोगों ने ही जोर दिया था कि रिपोर्ट विधानसभा में पेश होनी चाहिए, जिसके बाद उन्होंने ऐसा किया. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई अब नहीं रहे, इसीलिए वह ये कभी नहीं चाहते थे कि लोग उनको APSC में भ्रष्टाचार से जोड़कर याद रखें. रिपोर्ट में कहा गया है कि गौरव गोगोई की शादी में राकेश पॉल ने सोने के तोहफे दिए थे. हालांकि, 2014 में अपने चुनावी हलफनामे में गौरव ने सोने का कोई खुलासा नहीं किया था. बता दें कि सोमवार को असम विधानसभा में असम लोक सेवा आयोग की संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में कथित घोटाले वाली जांच रिपोर्ट पेश की गई थी.
कैश फॉर जॉब घोटाला क्या है?
कैश फॉर जॉब घोटाला 2016 में उजागार हुआ था. जिसमें APSC भी लपटे में आया. इसके बाद राकेश पॉल और 50 से ज्यादा सिविल और पुलिस अधिकारियों समेत करीब 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. बता दें कि राकेश पॉल को 2008 में एपीएससी का सदस्य नियुक्त किया गया था. साल 2013 में वह अध्यक्ष बने. 2016 में गिरफ्तार होने तक वह इस पद पर बने रहे. रिपोर्ट में बताया गया है कि अपने कार्यकाल के दौरान पॉल ने 200 से ज्यादा भर्तियों की निगरानी की. जिससे अन्य भर्तियों में भी अनियमितताओं को लेकर शंका पैदा हो गई.
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पॉल ने छह सितंबर 2008 को मुख्यमंत्री आवेदन प्रस्तुत किया था. सिंगल आवेदन के आधार पर एपीएससी में उनकी नियुक्ति कर दी गई. रिपोर्ट के मुताबिक, बिना किसी औपचारिक चयन प्रक्रिया या वेरिफिकेशन के ही उनकी नियुक्ति कर दी गई.
रिपोर्ट में और क्या-क्या है?
रिपोर्ट में बताया कि उनकी नियुक्ति की फाइल पर तेजी से काम हुआ और प्रस्ताव 19 सितंबर 2008 को राज्यपाल के पास पहुंचा. जिसके बाद 29 सितंबर को मुख्यमंत्री ने अंतिम मंजूरी दी. अगले दिन 30 सितंबर को उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी गई.
रिटायर्ड जस्टिस बीके शर्मा आयोग ने कहा कि संबंधित आपराधिक मामले के रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चलता है कि पॉल और असम के तत्कालीन असम सीएम के बीच कथित तौर पर नजदीकियां थीं. दोनों सत्संग विहार में एक दूसरे के साथ मंच भी शेयर करते थे. समिति ने कहा कि सदस्य के रूप में राकेश पॉल के पांच साल के कार्यकाल के बाद उसी तरीके को अपनाकर अध्यक्ष पद के लिए उनकी सिफारिश की गई थी.
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