असद (Asad Ahmed Encounter) और उसका साथी गुलाम, अतीक अहमद के काफिले पर हमला करने की फिराक में थे. शीर्ष सूत्रों के अनुसार असद और गुलाम का काफिले पर कुछ राउंड फायरिंग करने का प्लान था. दरअसल काफिले की सुरक्षा काफी ज्यादा थी, इसलिए इन दोनों ने सिर्फ कुछ राउंड फायरिंग करने का प्लान बनाया था. इनके प्लान में अतीक अहमद को छोड़ाना शामिल नहीं था. ये चाहते थे कि काफिले पर फायरिंग करने सनसनी फैले और यूपी सरकार की किरकिरी हो सके. साथ ही अतीक की सुरक्षा पर सवाल खड़े हों और उसका साबरमती जेल से यूपी आना बंद हो जाए.
कई बार ठिकाने बदले थे
उमेश पाल हत्याकांड के बाद असद और शूटर गुलाम को सुरक्षित रखना अतीक और अशरफ के लिए चुनौती बन गया था. अतीक ने उसको छिपाने में अपने कुछ जानकारों की मदद भी ली थी. 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या हुई थी. उसके बाद असद एक दिन प्रयागराज में एक घर में छिपा रहा था. फिर 26 फरवरी को वो बाइक से कानपुर आया. वहां से बस से 28 फरवरी को दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे आया. फिर दिल्ली में जामिया नगर और संगम विहार में रहा.
असद 15 मार्च को अजमेर के लिए निकला था. फिर वहां से मुंबई गया और वहां से नासिक चले गया. उसके बाद कानपुर गया और फिर झांसी आ गया. इन सभी जगहों पर वो कई दिन रुका था. उसने कभी ट्रेन से सफर नहीं किया. ज्यादातर सफर उसने बस या दूसरे वाहनों से किया. इस दौरान उसने करीब 4000 किलोमीटर का सफर तय किया था.
वहीं दिल्ली में छिपाने में उसकी हैदर नाम के शख्स ने मदद की थी. जो कि फिलहाल बरेली जेल में बन्द है. हैदर के ही तीन जानकारों को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है.
गौरतलब है कि उमेश पाल हत्याकांड में उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने झांसी में माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और उसके सहयोगी को कल कथित मुठभेड़ में मार गिराया है.
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