ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर एक बड़ा अपड़ेट सामने आया है. ASI ने कहा कि वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय सीमा मांगी है. ASI ने विवादास्पद ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 15 दिन का विस्तार मांगा है. सर्वेक्षण, जो यह जांचने के लिए लगभग 100 दिनों तक चला कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद ढांचे के ऊपर बनाई गई थी , पहले ही पूरा हो चुका है.
ASI को 2 नवंबर को ही 15 दिनों का एक्सटेंशन मिला था. ASI ने पिछले सोमवार को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी. अदालत को बताया गया कि ASI को अपने सर्वेक्षण के निष्कर्षों को संकलित करने के लिए और समय चाहिए.
मुस्लिम पक्ष को एससी राहत नहीं
बता दें कि वाराणसी में ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर द्वारा सिंगल जज बेंच से केस ट्रांसफर किए जाने का फैसला बरकरार रहेगा. मुस्लिम पक्ष द्वारा दी गई चुनौती को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है.
हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे - एससी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अधिकारक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. मुख्य न्यायाधीश को फैसला लेने दीजिए. मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि सिस्टम का मजाक उड़ाया जा रहा है. दूसरी बेंच में सुनवाई का किसी पक्ष ने ऐतराज नहीं जताया था. जब सुनवाई पूरी हो गई, फैसला सुरक्षित हो गया, तब उसी समय मुख्य न्यायाधीश ने मामले को अपनी कोर्ट में ट्रांसफर कर लिया.
दरअसल, चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने पिछले दो साल से सुनवाई कर रहे जज जस्टिस प्रकाश पड़िया की कोर्ट से खुद की कोर्ट में ट्रांसफर कर लिया था. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने कहा था कि जस्टिस पड़िया बिना अधिकारक्षेत्र के इस मामले में सुनवाई कर रहे थे. इसके खिलाफ दाखिल मुस्लिम पक्ष की याचिका को हाईकोर्ट चीफ जस्टिस भी ने खारिज कर दिया था.
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