
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की राजनीतिक छवि में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है. पहले ऑल-पार्टी बैठक से बाहर रखे जाने पर नाराजगी जताने वाले ओवैसी, अब 'ऑपरेशन सिंदूर' के सबसे बड़े समर्थक बनकर उभरे हैं, जिससे उनकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और प्रभाव में तेजी से परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं.
पहलगाम हमले में निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद, ओवैसी ने पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए उसे "झूठ पर आधारित राष्ट्र" और "आतंकवाद का प्रायोजक" करार दिया था. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान का दावा कि वह मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है, निराधार है, क्योंकि भारत में लगभग 20 करोड़ मुसलमान अपने अधिकारों के साथ रहते हैं.
आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर बोला था हमला
'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के बाद, ओवैसी ने इसे "न्याय, बदला नहीं" बताते हुए समर्थन किया था. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की आतंकवादी संरचना को पूरी तरह नष्ट करना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसे हमलों की पुनरावृत्ति न हो.
यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली और डेनमार्क में रखेंगे भारत का पक्ष
ओवैसी ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के आतंकवादी चेहरे को उजागर करने का संकल्प लिया है. वह भाजपा के बैजयंत पांडा के नेतृत्व में यूरोप के कई देशों यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली और डेनमार्क की यात्रा पर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे, जहां वे आतंकवाद के मानवीय और आर्थिक प्रभाव को रेखांकित करेंगे. इस परिवर्तन के साथ, ओवैसी ने न केवल अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दों पर एक सशक्त आवाज के रूप में उभरे हैं.
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