दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया है. केजरीवाल की जमानत याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच आज सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान 14 अगस्त को CBI को नोटिस जारी कर केजरीवाल की अर्जी पर जवाब मांगा था. जवाबी हलफनामा में CBI ने केजरीवाल को जमानत दिए जाने का विरोध किया है. अपने जवाब में सीबीआई ने कहा है कि केजरीवाल इस घोटाले के किंगपिन हैं.
"संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे"
सीबीआई ने कहा कि बिना आबकारी विभाग के मंत्री रहते हुए भी पूरे घोटाले के वास्तुकार हैं. उनको इस घोटाले का सब कुछ पता था क्योंकि सारे निर्णय इनकी सहमति और निर्देशन में ही हुए. केजरीवाल जांच एजेंसी के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं. वो अदालत के समक्ष मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने का प्रयास कर रहे है.
बता दें हाईकोर्ट ने केजरीवाल की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि "यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण के थी या अवैध थी." हाईकोर्ट ने अपने आदेश में निचली अदालत द्वारा केजरीवाल को गिरफ्तार करने और हिरासत में भेजने की अनुमति को उचित ठहराया था , जिसके लिए प्रक्रिया का विधिवत पालन किया गया.'' अरविंद केजरीवाल का प्रभाव और दबदबा स्पष्ट है, और मुख्यमंत्री होने के नाते वह न केवल दिल्ली की सरकार पर प्रभाव रखते है बल्कि आम आदमी पार्टी, के सुप्रीमो और राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते भी वो काफी प्रभावशाली हैं. साथ ही अधिकारियों और नौकरशाहों के साथ उसकी घनिष्ठ सांठगांठ है. हिरासत में पूछताछ के दौरान केजरीवाल का सामना संवेदनशील दस्तावेजों और मामले के गवाहों के बयानों से भी कराया गया.
जहां तक याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी का सवाल है, कानून का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. इसके अलावा, प्रत्येक मामले के तथ्य और परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं. केजरीवाल की गिरफ्तारी कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के तहत की गई है. अरविंद केजरीवाल को जमानत पर रिहा करने से निचली अदालत में मामले की सुनवाई पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, जो अभी प्रारंभिक चरण में है जबकि प्रमुख गवाहों को अभी गवाही देनी है. जहां तक मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत के दावे का सवाल है, तो बीमारियों के संबंध में, जेल नियमों और मैनुअल के अनुसार तिहाड़ जेल अस्पताल या उसके किसी भी रेफरल अस्पताल में उपचार किया जा सकता है. याचिकाकर्ता द्वारा मेडिकल जमानत पर रिहा किए जाने का कोई मामला नहीं बनता है, जिसे केवल तभी दिया जाना चाहिए जब जेल में इलाज संभव न हो.
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