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This Article is From Sep 17, 2023

सेना में बढ़ाए जाएंगे तोपखाने, सटीक और लंबी दूरी तक मार करने वाले तोप किए जाएंगे विकसित

सेना का आर्टिलरी रेजिमेंट बड़ी तेजी से अपने आधुनिकीकरण में जुट गया है. इस बात पर ध्यान दिया जा रहा है कि सटीक और लंबी दूरी पर मार करने वाले तोपों को विकसित किया जा सके.

सेना में बढ़ाए जाएंगे तोपखाने, सटीक और लंबी दूरी तक मार करने वाले तोप किए जाएंगे विकसित
नई दिल्ली:

रूस यूक्रेन जंग को लेकर सेना में तोपखाने बढ़ाने पर खासा जोर दिया जा रहा है. इस युद्ध ने एक बार फिर यह साबित कर दिखाया है कि फायर पावर की बदौलत ही अंततः जीत मिलती है. इस युद्ध ने यह भी बताया कि अब लक्ष्य को हासिल कर निशाना साधने का समय भी कम हो गया हैं. पहले इसमें पांच से दस मिनट लगता था और अब इसमें महज एक से दो मिनट का समय लगता है. साथ ही हमारे पास इतनी क्षमता व संसाधन होने चाहिए कि हम लंबे समय तक युद्ध मे टिक सके.

सटीक और लंबी दूरी पर मार करने वाले तोपों को विकसित करने पर जोर

लिहाजा इसकी क्षमता को दरकिनार नहीं किया जा सकता है. यही वजह है कि सेना का आर्टिलरी रेजिमेंट बड़ी तेजी से अपने आधुनिकीकरण में जुट गया है. इस बात पर ध्यान दिया जा रहा है कि सटीक और लंबी दूरी पर मार करने वाले तोपों को विकसित किया जा सके. अभी सेना के पास 155 कैलिबर के साथ-साथ 105 और 130 एमएम कैलिबर की गन है और योजना है कि वर्ष 2040 तक सेना के सारे तोप 155 कैलिबर के हो जाएंगे. इनमें ज़्यादातर गन माउंटेड और सेल्फ प्रोपेल्ड होंगे.

देश में ही तोप और गोला बारुद बनाने की तैयारी

माउंटेड गन सिस्टम वह होते है जिनको गाड़ी के ऊपर रखकर ले जाया सकता हैं. सेल्फ प्रोपेल्ड गन को चलाने के लिये किसी वाहन की जरूरत नही पड़ती है. साथ मे इस बात पर ध्यान रखा जाएगा कि तोप और उसके गोला बारूद देश मे ही बने हो. सेना को सभी 114 स्वदेशी धनुष  2026 तक मिल जाएगी. सेना अपने आर्टिलरी की ताकत बढ़ाने के लिये 300 एटीएजीएस गन के लिये आरएफपी जारी की है. यही नही सेना 100 और व्रज तोप खरीदने जा रही हैं. चीन से लगी सीमा के लिये अमेरिका से और हल्के एम 777 तोप भी लिये जा रहे हैं. कोशिश है आर्टिलरी को नये जरूरत के मुताबिक मजबूत बनाना ताकि सेना चीन और पाकिस्तान से मिलने वाली चुनौतियों का सामना बेहतर ढंग से कर सके.

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