गंगा आह्वान अभियान के लिए फ्लैग आफ करते हुए वेंकैया नायडू।
नई दिल्ली:
'गंगा आह्वान' नाम है उस अभियान का जिसके तहत पहली बार इतिहास में ऐसा होगा जब गंगा नदी की शुरुआत से लेकर अंतिम छोर तक की दूरी तैरकर पूरी की जाएगी। गंगा आह्वान का मतलब है गंगा आपको बुला रही है। विंग कमांडर परमवीर सिंह की अगुवाई में सेना का ट्राई सर्विस कमांड यह कठिन लक्ष्य पूरा करेगा। अभियान में तीनों तैराक भारतीय वायुसेना के हैं और सेना के दोनों अंग थल सेना और नौसेना इनको लॉजिस्टिक सपोर्ट उपलब्ध करा रही हैं। देव प्रयाग से गंगासागर तक की 2800 किलोमीटर की दूरी 35 दिनों में तय की जाएगी।
रोज 60 से 80 किलोमीटर तैराकी
वैसे गंगा की शुरुआत तो गंगोत्री से होती है, लेकिन चूंकि वहां से देव प्रयाग तक गंगा में तैरने लायक पानी नहीं है इसलिए इस यात्रा की शुरुआत देव प्रयाग से हो रही है। तैराक रोजाना 12 घंटे में करीब 60 से 80 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। रात में यह दल गंगा किनारे ही रुकेगा और वहीं टैंट भी खुद बनाएगा। साथ ही आम लोगों से बात कर बताएगा कि गंगा को किस तरह आम लोग मैली कर रहे हैं। 8 अक्टूबर से इस यात्रा की शुरुआत स्वच्छ भारत अभियान के तहत होगी। इस अभियान के लिए फ्लैग ऑफ केन्द्रीय मंत्री वैकय्या नायडू ने शुक्रवार को किया।गंगा आह्वान अभियान के लिए सेना के जवानों को झंडी दिखाकर रवाना करते हुए वेंकैया नायडू।
कठिन सफर में अनेक चुनौतियां
अभियान में और रोमांच लाने के लिए तैराक केवल स्विम शूट,चश्मा और कैप का ही उपयोग तैराकी के दौरान करेंगे। नदी की बिगड़ती दशा को दिखाने का इससे बेहतर माध्यम कोई और नहीं है। अभियान में कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती थकान के साथ-साथ देव प्रयाग से ऋषिकेश तक का पहाड़ी इलाका है। गंगा में कई सहायक नदियां आकर मिलती हैं और कई जगह गंगा कई शाखाओं में बंट जाती है। इस वजह से तैराकी का रूट तय करना मुश्किल है। मैदानी इलाकों में गंगा में रसायनिक उत्सर्जन का स्तर भी बहुत ज्यादा है जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेह है। इन सबके अलावा नदी में घड़ियाल और सांप का खतरा तो है ही।
अभियान के जरिए बन जाएगा विश्व कीर्तिमान
इस अभियान के जरिए एक विश्व रिकार्ड बन सकता है, क्योंकि गंगा में इस तरह का अभियान पहली बार हो रहा है। इस अभियान में तीन तैराक शामिल होंगे। इस अभियान की चुनौतियों को देखते हुए इसे अत्याधिक साहसिक खेल की श्रेणी में रखा गया है। 2014 के तेंजिंग नॉर्गे नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड से नवाजे गए दल के नायक विंग कमांडर परमवीर सिंह कहते हैं कि आज तक इलाहाबाद से बनारस तक की दूरी भी किसी ने तैरकर पूरी नहीं की है, लेकिन हम दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि हिंदुस्तान में ऐसे साहसिक काम किए जा सकते हैं।
रोज 60 से 80 किलोमीटर तैराकी
वैसे गंगा की शुरुआत तो गंगोत्री से होती है, लेकिन चूंकि वहां से देव प्रयाग तक गंगा में तैरने लायक पानी नहीं है इसलिए इस यात्रा की शुरुआत देव प्रयाग से हो रही है। तैराक रोजाना 12 घंटे में करीब 60 से 80 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। रात में यह दल गंगा किनारे ही रुकेगा और वहीं टैंट भी खुद बनाएगा। साथ ही आम लोगों से बात कर बताएगा कि गंगा को किस तरह आम लोग मैली कर रहे हैं। 8 अक्टूबर से इस यात्रा की शुरुआत स्वच्छ भारत अभियान के तहत होगी। इस अभियान के लिए फ्लैग ऑफ केन्द्रीय मंत्री वैकय्या नायडू ने शुक्रवार को किया।गंगा आह्वान अभियान के लिए सेना के जवानों को झंडी दिखाकर रवाना करते हुए वेंकैया नायडू।
कठिन सफर में अनेक चुनौतियां
अभियान में और रोमांच लाने के लिए तैराक केवल स्विम शूट,चश्मा और कैप का ही उपयोग तैराकी के दौरान करेंगे। नदी की बिगड़ती दशा को दिखाने का इससे बेहतर माध्यम कोई और नहीं है। अभियान में कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती थकान के साथ-साथ देव प्रयाग से ऋषिकेश तक का पहाड़ी इलाका है। गंगा में कई सहायक नदियां आकर मिलती हैं और कई जगह गंगा कई शाखाओं में बंट जाती है। इस वजह से तैराकी का रूट तय करना मुश्किल है। मैदानी इलाकों में गंगा में रसायनिक उत्सर्जन का स्तर भी बहुत ज्यादा है जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेह है। इन सबके अलावा नदी में घड़ियाल और सांप का खतरा तो है ही।
अभियान के जरिए बन जाएगा विश्व कीर्तिमान
इस अभियान के जरिए एक विश्व रिकार्ड बन सकता है, क्योंकि गंगा में इस तरह का अभियान पहली बार हो रहा है। इस अभियान में तीन तैराक शामिल होंगे। इस अभियान की चुनौतियों को देखते हुए इसे अत्याधिक साहसिक खेल की श्रेणी में रखा गया है। 2014 के तेंजिंग नॉर्गे नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड से नवाजे गए दल के नायक विंग कमांडर परमवीर सिंह कहते हैं कि आज तक इलाहाबाद से बनारस तक की दूरी भी किसी ने तैरकर पूरी नहीं की है, लेकिन हम दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि हिंदुस्तान में ऐसे साहसिक काम किए जा सकते हैं।
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