असम, मणिपुर व नागालैंड में विवादास्पद सैन्य कानून AFSPA को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि असम, मणिपुर व नागालैंड में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम ( AFSPA) के तहत आने वाले इलाके घटा दिए गए हैं. उन्होंने एक ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी.
बता दें कि नागालैंड के MON जिले में हाल ही में पैरा कमांडों के एक ऑपरेशन में गलत पहचान की वजह से कई ग्रामीणों की मौत हो गई थी. इसके बाद से असम, मणिपुर व नागालैंड में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 (AFSPA) हटाने की मांग जोरों पर है.
In a significant step, GoI under the decisive leadership of PM Shri @NarendraModi Ji has decided to reduce disturbed areas under Armed Forces Special Powers Act (AFSPA) in the states of Nagaland, Assam and Manipur after decades.
— Amit Shah (@AmitShah) March 31, 2022
AFSPA सशस्त्र बलों को "अशांत क्षेत्रों" में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने की शक्ति देता है. यह सशस्त्र बलों को कानून के उल्लंघन करते पाए जाने वाले व्यक्ति को चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग या यहां तक कि उस पर गोली चलाने की भी अनुमति देता है.
"अशांत क्षेत्र" वह है, जहां "नागरिक शक्ति की सहायता में सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है". AFSPA की धारा 3 के तहत, किसी भी क्षेत्र को विभिन्न धार्मिक, नस्ली, भाषा या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के सदस्यों के बीच मतभेदों या विवादों के कारण अशांत घोषित किया जा सकता है. किसी भी क्षेत्र को "अशांत" घोषित करने की शक्ति शुरू में राज्यों के पास थी, लेकिन 1972 में केंद्र को पारित कर दी गई.
यह अधिनियम बलों को बिना अरेस्ट वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने, किसी परिसर में प्रवेश करने और तलाशी लेने की भी अनुमति देता है. विवादास्पद कानून जम्मू-कश्मीर के अलावा नागालैंड, असम, मणिपुर (इंफाल के सात विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर) और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है. त्रिपुरा और मेघालय के कुछ हिस्सों को सूची से बाहर कर दिया गया था.
AFSPA सुरक्षा बलों को केंद्र द्वारा मंजूरी दिए जाने तक कानूनी कार्यवाही से भी बचाता है. नागालैंड हिंसा और हत्याओं के संदर्भ में, चिंता है कि केंद्र सेना की 21 पैरा स्पेशल फोर्स को जांच से बचाने के लिए कानून का हवाला दे सकता है.