इस मौसम में पहली बार मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई यानी वायु गुणवत्ता ''बेहद खराब'' श्रेणी में दर्ज की गई. जिसका कारण प्रदूषकों के फैलाव के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों को बताया जा रहा है. वायु गुणवत्ता का पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसी ‘सफर' के संस्थापक परियोजना निदेशक गुफरान बेग के अनुसार दिल्ली में पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान छह फीसदी रहा जबकि बाकी प्रदूषण का कारण स्थानीय कारक रहे.
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की मानें तो सोमवार को दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 289 दर्ज किया गया. यह रविवार को 289 और शनिवार को 268 दर्ज किया गया था. गौरतलब है कि इस वायु गुणवत्ता में दिल्ली - एनसीआर के अलावा अन्य पड़ोसी शहरों में भी एक्यूआई बेहद खराब रहा. जानकारी के अनुसार, यह फरीदाबाद में 306, गाजियाबाद में 334, नोएडा में 303 दर्ज किया गया.
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बता दें कि एक्यूआई को शून्य और 50 के बीच को ''अच्छा'', 51 और 100 के बीच ''संतोषजनक'', 101 और 200 के बीच ''मध्यम'', 201 और 300 के बीच ''खराब'', 301 और 400 के बीच ''बहुत खराब'', तथा 401 और 500 के बीच ''गंभीर'' माना जाता है. अक्टूबर में मानसून की सक्रियता बने रहने के कारण दिल्ली में समय-समय पर बारिश होने के कारण पूरे महीने राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई एक भी दिन ''बेहद खराब'' या ''गंभीर'' की श्रेणी में दर्ज नहीं किया गया.
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