मुंबई:
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने आज कहा कि नई दिल्ली में दो अक्तूबर को प्रस्तावित आंदोलन को उन्होंने टाल दिया है, क्योंकि केंद्र सरकार ने भूमि अध्यादेश को खत्म कर दिया है और पूर्व सैनिकों के लिए एक रैंक-एक पेंशन को लागू कर दिया है।
हजारे ने अहमदनगर जिले के रालेगण सिद्धि में कहा, 'मैंने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन दो अक्तूबर को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में भूख हड़ताल शुरू करने का निर्णय किया था, ताकि भूमि अधिग्रहण विधेयक और एक रैंक-एक पेंशन योजना से संबंधित मांगों पर दबाव बनाया जा सके।'
वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि उन्होंने देश के विभिन्न स्थानों की यात्रा की और विवादास्पद मुद्दों पर आम सभा और रैलियां कीं।
हजारे ने कहा कि उन्हें लोगों से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। जवानों और किसानों के कई संगठनों ने भी बड़े पैमाने पर आंदोलन किए, जिससे भाजपा नीत राजग गठबंधन को अध्यादेश वापस लेना पड़ा और ओआरओपी को लागू करने की मांग स्वीकार करनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश देश के किसानों के लिए अनुचित था और भूमि अधिग्रहण विधेयक में संशोधन के खिलाफ कई किसान संगठन सड़कों पर उतर आए। इसके अलावा पूर्व सैनिकों ने भी ओआरओपी के लिए आंदोलन शुरू कर दिया था।
हजारे ने लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति की भी मांग की और कहा कि अगर सरकार ने इसे लागू नहीं किया तो वह नया आंदोलन शुरू करेंगे।
हजारे ने अहमदनगर जिले के रालेगण सिद्धि में कहा, 'मैंने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन दो अक्तूबर को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में भूख हड़ताल शुरू करने का निर्णय किया था, ताकि भूमि अधिग्रहण विधेयक और एक रैंक-एक पेंशन योजना से संबंधित मांगों पर दबाव बनाया जा सके।'
वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि उन्होंने देश के विभिन्न स्थानों की यात्रा की और विवादास्पद मुद्दों पर आम सभा और रैलियां कीं।
हजारे ने कहा कि उन्हें लोगों से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। जवानों और किसानों के कई संगठनों ने भी बड़े पैमाने पर आंदोलन किए, जिससे भाजपा नीत राजग गठबंधन को अध्यादेश वापस लेना पड़ा और ओआरओपी को लागू करने की मांग स्वीकार करनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश देश के किसानों के लिए अनुचित था और भूमि अधिग्रहण विधेयक में संशोधन के खिलाफ कई किसान संगठन सड़कों पर उतर आए। इसके अलावा पूर्व सैनिकों ने भी ओआरओपी के लिए आंदोलन शुरू कर दिया था।
हजारे ने लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति की भी मांग की और कहा कि अगर सरकार ने इसे लागू नहीं किया तो वह नया आंदोलन शुरू करेंगे।
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