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हैरान रह जाएंगे! समंदर में 2 हजार मीटर नीचे मिली यह कैसी मछली!

इस मछली की पहली तस्वीरें एनजीओ कोंड्रिक टेनेरिफ के शोधकर्ताओं ने खींची थीं. इस मछली का वैज्ञानिक नाम मेलानोसेटस जॉनसन है.

हैरान रह जाएंगे! समंदर में 2 हजार मीटर नीचे मिली यह कैसी मछली!
नई दिल्ली:

समंदर में 2 हजार मीटर नीचे एक बेहद अलग ही मछली मिली है. इस मछली का नाम एंगलरफिश है और यह दिखने में तो अलग है ही लेकिन इसकी खासियत भी अलग है. इस मछली की पहली तस्वीरें एनजीओ कोंड्रिक टेनेरिफ के शोधकर्ताओं ने खींची थीं. इस मछली का वैज्ञानिक नाम मेलानोसेटस जॉनसन है. तो चलिए आपको एंगलरफिश के बारे में कुछ बेहद रोचक बातें बताते हैं. 

  • गलरफिश के सिर पर एंटीना जैसा कुछ होता है, जिसका इस्तेमाल वो शिकार को आकर्षित करने के लिए और लालच देने के रूप में करती है. 
  • कुछ एंगलरफिश के लालच में बायोल्यूमिनसेंट बैक्टीरिया होते हैं, जो शिकार को आकर्षित करने के लिए नीली-हरी रोशनी उत्सर्जित करते हैं. 
  • एंगलरफिश के बड़े, नुकीले दांत होते हैं जो शिकार को पकड़ने और खाने के लिए एकदम सही होते हैं. 
  • मादा एंगलरफिश नर से आकार में बहुत बड़ी होती हैं. 
  • नर एंगलरफिश बहुत छोटे होते हैं और खुद को मादा के शरीर से चिपका लेते हैं. नर एंगुलरफिश मादा के लिए शुक्राणु का स्त्रोत बनते हैं. 
  • मादा एंगलरफिश एक बार में एक मिलियन तक अंडे दे सकती है. 
  • एंगलरफिश अटलांटिक और अंटार्कटिक महासागरों के गहरे पानी में रहती है. 
  • एंगलरफिश अपने शिकार को आकर्षित करने के लिए अपने एंटीने का इस्तेमाल करती है और फिर अपने बड़े दांतों से शिकार को दबोच लेती है. 
  • एंगलरफिश आमतौर पर अकेले ही रहती है और केवल संभोग के लिए ही साथ आती है. 
  • एंगलरफिश का मेटिंग सिस्टम पशु जगत में सबसे ज्यादा अनोखा है. 
  • एंगलरफिश में रोशनी उत्पन्न करने की क्षमता होती है, जो उन्हें बात करने, शिकार को आकर्षित करने और शिकारियों से बचने में मदद करती है. 

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