लोगों को 500 और 1000 रुपये के नोटों को बदलवाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है
नई दिल्ली:
देशभर के अलग-अलग इलाक़ों में एटीएम और बैंकों के बाहर कैश की जंग जारी रही. शनिवार होने के बावजूद बैंक तो खुले थे, लेकिन इसके बावजूद लोगों को घंटों कतार में खड़ा होना पड़ा. कई जगहों पर लोगों का धैर्य जवाब देता दिखा.
कई एटीएम में पैसे डाले भी गए, पर लोगों की भीड़ उस पर भारी थी. इसके बाद मुरादाबाद, नूह जैसी जगहों पर लोग आपा खोते दिखे, जहां पुलिस को बलप्रयोग भी करना पड़ा. कहीं बहस हुई, कहीं हंगामा तो कहीं एटीएम में तोड़फोड़ हुई. पुरानी दिल्ली में RAF के जवानों की तैनाती करनी पड़ी.
केरल में एक बैंक का शीशे का दरवाजा तोड़ दिया गया, जबकि गुजरात में बैंक अधिकारियों के साथ झड़प हो जाने के बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. वैध नोट पाने के लिए अंतहीन इंतजार से कई लोगों की सेहत बिगड़ गई. कई वृद्ध लोगों के थकान के कारण मूर्छित हो जाने की खबर है.
बैंक शाखाओं के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, क्योंकि रोजाना का सामान खरीदने के लिए लाखों लोगों को 500 और 1000 रुपये के नोटों को बदलवाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. एटीएम में पैसा डालने के शीघ्र बाद ही भारी भीड़ की वजह से पैसे खत्म हो गए.
दिल्ली में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'भीड़ बहुत अधिक है क्योंकि यह सप्ताहांत था और कई लोगों का अवकाश था. घंटे-घंटे में भीड़ बढ़ती गई.' मध्य प्रदेश में छत्तरपुर के बरदाहा गांव में नकद की कमी के चलते उचित दर की दुकान पर राशन नहीं मिलने से नाराज लोगों ने सामान लूट लिया. हालांकि पुलिस ने दावा किया कि ऐसी कोई घटना नहीं घटी. कई एटीएम के काम नहीं करने के कारण लोगों की परेशानियां और बढ़ गईं.
इस तरह की खबरें हैं कि लाइन में लगे लोगों तथा बैंक अधिकारियों के बीच कई बार गर्मागर्मी हुई. लोग घंटों लाइन में लगे थे और उनकी बारी आने पर बैंकों के पास नकदी समाप्त हो जाती थी.
बैंकों की शाखाओं के बाहर कतारों में महिलाओं और बुजुर्ग लोगों की भी काफी संख्या है, जो अपनी रोजमर्रा के खर्च के लिए मान्य मुद्रा लेने के लिए लाइन में लगे हुए हैं. देश में कुल 2.02 लाख एटीएम हैं. अभी सभी एटीएम को 2000 और 500 के नए नोट के लिए व्यवस्थित नहीं किया जा सका है. इससे मुख्य रूप से नकदी में लेनदेन करने वाली छोटे कारोबारी प्रभावित हो रहे हैं.
बैंक अधिकारियों का मानना है कि रविवार को उन्हें अधिक भीड़ को संभालना होगा. कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पुराने नोटों को बंद करने से विशेष रूप से निम्न मध्यम वर्ग की खरीद क्षमता प्रभावित हुई है और इससे लघु अवधि में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी. (इनपुट एजेंसियों से)
कई एटीएम में पैसे डाले भी गए, पर लोगों की भीड़ उस पर भारी थी. इसके बाद मुरादाबाद, नूह जैसी जगहों पर लोग आपा खोते दिखे, जहां पुलिस को बलप्रयोग भी करना पड़ा. कहीं बहस हुई, कहीं हंगामा तो कहीं एटीएम में तोड़फोड़ हुई. पुरानी दिल्ली में RAF के जवानों की तैनाती करनी पड़ी.
केरल में एक बैंक का शीशे का दरवाजा तोड़ दिया गया, जबकि गुजरात में बैंक अधिकारियों के साथ झड़प हो जाने के बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. वैध नोट पाने के लिए अंतहीन इंतजार से कई लोगों की सेहत बिगड़ गई. कई वृद्ध लोगों के थकान के कारण मूर्छित हो जाने की खबर है.
बैंक शाखाओं के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, क्योंकि रोजाना का सामान खरीदने के लिए लाखों लोगों को 500 और 1000 रुपये के नोटों को बदलवाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. एटीएम में पैसा डालने के शीघ्र बाद ही भारी भीड़ की वजह से पैसे खत्म हो गए.
दिल्ली में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'भीड़ बहुत अधिक है क्योंकि यह सप्ताहांत था और कई लोगों का अवकाश था. घंटे-घंटे में भीड़ बढ़ती गई.' मध्य प्रदेश में छत्तरपुर के बरदाहा गांव में नकद की कमी के चलते उचित दर की दुकान पर राशन नहीं मिलने से नाराज लोगों ने सामान लूट लिया. हालांकि पुलिस ने दावा किया कि ऐसी कोई घटना नहीं घटी. कई एटीएम के काम नहीं करने के कारण लोगों की परेशानियां और बढ़ गईं.
इस तरह की खबरें हैं कि लाइन में लगे लोगों तथा बैंक अधिकारियों के बीच कई बार गर्मागर्मी हुई. लोग घंटों लाइन में लगे थे और उनकी बारी आने पर बैंकों के पास नकदी समाप्त हो जाती थी.
बैंकों की शाखाओं के बाहर कतारों में महिलाओं और बुजुर्ग लोगों की भी काफी संख्या है, जो अपनी रोजमर्रा के खर्च के लिए मान्य मुद्रा लेने के लिए लाइन में लगे हुए हैं. देश में कुल 2.02 लाख एटीएम हैं. अभी सभी एटीएम को 2000 और 500 के नए नोट के लिए व्यवस्थित नहीं किया जा सका है. इससे मुख्य रूप से नकदी में लेनदेन करने वाली छोटे कारोबारी प्रभावित हो रहे हैं.
बैंक अधिकारियों का मानना है कि रविवार को उन्हें अधिक भीड़ को संभालना होगा. कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पुराने नोटों को बंद करने से विशेष रूप से निम्न मध्यम वर्ग की खरीद क्षमता प्रभावित हुई है और इससे लघु अवधि में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी. (इनपुट एजेंसियों से)