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छत्तीसगढ़: आंगनवाड़ी सहायिका ने बदला धर्म, अभिभावकों ने बच्चों को भेजना बंद किया

छत्तीसगढ़ के कांकेर के एक आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों ने आना बंद कर दिया है. वजह है आंगनवाड़ी सहायिका का धर्म परिवर्तन. अभिभावकों का कहना है कि वो अपने बच्चों को तबतक नहीं भेजेंग, जब तक कि आंगनवाड़ी सहायिका अपने मूल धर्म में वापस नहीं आती है.

छत्तीसगढ़: आंगनवाड़ी सहायिका ने बदला धर्म, अभिभावकों ने बच्चों को भेजना बंद किया
कांकेर:

छत्तीसगढ़ के बस्तर में धर्मांतरण का मुद्दा अब राजनीतिक ही नहीं रहा. इसका असर अब वहां के नौनिहालों पर भी पड़ रहा है. इससे उनकी प्राथमिक शिक्षा प्रभावित हो रही है. ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि कांकेर जिले के एक गांव में बीते 15 दिन से आंगनबाड़ी में एक भी बच्चा नहीं पहुंच रहा है. इसके पीछे की मुख्य वजह आंगनबाड़ी सहायिका का धर्म परिवर्तन बताया जा रहा है.अधिकारियों का कहना है कि दोनों पक्षों से बातचीत कर मामले का समाधान किया जा रहा है.

बच्चों को आंगनवाड़ी में क्यों नहीं भेज रहे हैं अभिभावक

यह पूरा मामला कांकेर जिले के ग्राम पंचायत रिसेवाड़ा के आश्रित ग्राम भैसमुंडी का है. यहां रोजना की तरह आंगनबाड़ी खुलता था. उसमें बच्चे आते थे और पढ़ते थे. लेकिन अब ग्रामीणों ने 15 दिन से अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजना बंद कर दिया है. ग्राम के सरपंच हीरालाल कुंजाम और ग्राम प्रमुख रामदयाल चक्रधारी का कहना है कि गांव में छह परिवारों ने धर्मांतरण किया था. इसमें से तीन परिवार अपने मूल धर्म में वापस आ चुके हैं. लेकिन अभी भी तीन परिवार अपने मूल धर्म में नहीं लौटे हैं. ये परिवार गांव की रीति नीति और परंपरा को नहीं मानते हैं. आंगनवाड़ी सहायिका ने ईसाई धर्म अपना लिया है. वह अब अपने मूल धर्म में वापस नहीं आना चाहती है. ग्रामीणों ने बैठक कर उसे समझाने का प्रयास भी किया.लेकिन वह वापस अपने मूल धर्म में आने को तैयार नहीं है. इससे गांव के सभी लोगों ने निर्णय लिया कि जब तक सहायिका अपने मूल धर्म में वापस नहीं आती है या शासन-प्रशासन उसे नहीं हटाता है, तब तक वह अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र में नहीं भेजेंगे.

ईसाई धर्म अपनाने वाली आंगनवाड़ी सहायिका केशर नरेटी. इनका कहना है कि वो अब अपने मूल धर्म में वापस नहीं लौटेंगी.

ईसाई धर्म अपनाने वाली आंगनवाड़ी सहायिका केशर नरेटी. इनका कहना है कि वो अब अपने मूल धर्म में वापस नहीं लौटेंगी.

आंगनवाड़ी सहायिका केशर नरेटी का कहना है कि उसने 2009 से ईसाई धर्म मानना शुरू किया था. वह रोजना की तरह सुबह आंगनबाड़ी पहुंच कर सफाई सहित अन्य काम कर रही है. लेकिन ग्रामीण अपने बच्चों को नहीं भेज रहे हैं. घर जाकर बच्चों को लाने जाने पर लोग अपने बच्चों को भी नहीं भेज रहे. उनका कहना था कि वो अपनी आस्था नहीं छोड़ेगी और ना आंगनबाड़ी केंद्र छोड़ेगी.

क्या कहना है अधिकारियों का

इस मामले में महिला बाल विकास विभाग परियोजना अधिकारी सत्या गुप्ता का कहना है कि आंगनवाड़ी में बच्चों के नहीं पहुंचने की जानकारी मिली है.मामला संवेदनशील हैं, दोनों पक्षों से बातकर विवाद को शांत करते हुए समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा ताकि बच्चे नियमित रूप से आंगनबाड़ी पहुंच सके.

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