मई में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति गर्म है. इधर दूध वितरक कंपनी अमूल के एक ट्वीट के बाद बीजेपी सरकार को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि 5 अप्रैल को अमूल की तरफ से एक ट्वीट किया गया जिसमें यह लिखा गया कि बेंगलुरु के लिए दूध दही के साथ ताजगी की नई लहर आ रही है. अधिक जानकारी जल्द ही दी जाएगी. कंपनी द्वारा किए गए ट्वीट के बाद विपक्षी दलों ने इसे गुजारात बेस्ड कंपनी का राज्य में हस्तक्षेप बताया और कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश बताया.
A new wave of freshness with milk and curd is coming
— Amul.coop (@Amul_Coop) April 5, 2023
to Bengaluru. More information coming soon. #LaunchAlert pic.twitter.com/q2SCGsmsFP
विवाद बढ़ने के साथ ही सोशल मीडिया पर #GoBackAmul #savenandini जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे. विपक्षी दलों की तरफ से सवाल उठाए गए कि जब राज्य के पास अपना मिल्क ब्रांड है ही तो गुजरात के ब्रांड की क्या जरूरत है? कर्नाटक में एक होटल निकाय ने भी "राज्य के (डेयरी) किसानों का समर्थन करने" के लिए केवल नंदिनी दूध का उपयोग करने का निर्णय लिया. कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा, "सभी कन्नडिगों को अमूल उत्पादों को नहीं खरीदने का संकल्प लेना चाहिए".
कांग्रेस ने प्रधान मंत्री और गृह मंत्री पर अपने राज्य के ब्रांड को "पिछले दरवाजे से" राज्य में लाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को कहा कि अमूल पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए और उन्होंने कहा कि अमूल के साथ मिलकर नंदिनी देश में नंबर एक ब्रांड बन जाएगी. कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा कि किसी बाहरी ब्रांड की जरूरत नहीं है क्योंकि नंदिनी अमूल से 'बेहतर' ब्रांड है.
जनता दल (सेक्युलर) ने भी कथित तौर पर नंदिनी ब्रांड पर कब्जा करने की कोशिश करने के लिए अमूल की खिंचाई की. पार्टी की तरफ से ट्वीट किया गया कि ऐसी स्थिति में जहां केएमएफ नंदिनी का दूध, घी और मक्खन राज्य के सभी हिस्सों में उपलब्ध नहीं है, ऑनलाइन मार्केटिंग के लिए गुजरात की अमूल कंपनी का यह विकास क्या संकेत देता है?
ये भी पढ़ें-