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This Article is From Jul 11, 2016

AMU से जुड़े हलफनामे पर जवाब देने के लिए यूनिवर्सिटी ने SC से चार हफ्ते का वक्त मांगा

AMU से जुड़े हलफनामे पर जवाब देने के लिए यूनिवर्सिटी ने SC से चार हफ्ते का वक्त मांगा
नई दिल्ली: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने के मामले में केंद्र सरकार के हलफनामे पर AMU ने सुप्रीम कोर्ट से जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त मांगा है। सुप्रीम कोर्ट अब मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद करेगा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यूपीए सरकार की अपील को वापस लेने का हलफनामा दाखिल किया है। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि AMU को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं दिया जा सकता। मोदी सरकार ने हलफनामे में 1967 में अजीज़ बाशा केस में संविधान पीठ के फैसले को आधार बनाया है जिसने कहा था कि AMU को केंद्र सरकार ने बनाया था ना कि मुस्लिम ने।

1981 में संसद में संशोधन बिल पास हुआ
केंद्र ने हलफनामे में 1972 में संसद में बहस के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बयानों का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर इस संस्थान को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया तो देश में अन्य अल्पसंख्यक वर्ग या धार्मिक संस्थानों को इंकार करने में परेशानी होगी। केंद्र ने यूपीए सरकार के वक्त HRD मंत्रालय के उन पत्रों को भी वापस ले लिया है जिनमें फैक्लटी ऑफ मेडिसिन में मुस्लिमों को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया था। केंद्र ने 1967 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 1981 में संसद में संशोधन बिल पास करते हुए AMU को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया, उसे भी मोदी सरकार ने गलत ठहराया है। हलफनामे में कहा गया है कि इस तरह कोर्ट के जजमेंट को निष्प्रभावी करने के लिए संशोधन करना संवैधानिक ढांचे के खिलाफ है।

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