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अमित शाह ने पेश की नई सहकारिता नीति, जल्द आएगी ‘सहकार टैक्सी’, ड्राइवरों को होगा सीधा फायदा

नई सहकारिता नीति लॉन्च करते हुए अमित शाह ने कहा कि प्रत्येक गांव में कम से कम एक सहकारी इकाई स्थापित की जाएगी. 50 करोड़ नागरिकों को सहकारी क्षेत्र का सक्रिय सदस्य बनाया जाएगा. वर्ष 2034 तक सहकारी क्षेत्र का देश की जीडीपी में योगदान तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.

अमित शाह ने पेश की नई सहकारिता नीति, जल्द आएगी ‘सहकार टैक्सी’, ड्राइवरों को होगा सीधा फायदा
  • केंद्रीयमंत्री अमित शाह ने नई सहकारिता नीति पेश की, जिसका लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत बनाना है.
  • नीति के तहत हर गांव में एक सहकारी इकाई स्थापित करने और सहकारी समितियों में 30% वृद्धि करना है.
  • मंत्रालय ने पर्यटन, टैक्सी, बीमा और हरित ऊर्जा क्षेत्रों में सहकारी इकाइयों के विस्तार की योजना बनाई है.
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नई दिल्ली:

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई सहकारिता नीति पेश की. उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी के ‘सहकार से समृद्धि' के विजन को पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. इसका विजन सहकारिता के जरिए समृद्धि लाकर 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है. इस नीति का मिशन छोटी-छोटी सहकारी इकाइयों को बढ़ावा देना और प्रत्येक गांव में कम से कम एक सहकारी इकाई स्थापित करना है. उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्रालय ने पर्यटन, टैक्सी, बीमा और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों के लिए विस्तृत योजना तैयार की है. खासतौर से टैक्सी और बीमा क्षेत्र में बहुत कम समय में शानदार शुरुआत की जाएगी. इस साल के अंत तक हम ‘सहकार टैक्सी' ले आएंगे, जिसमें सीधा मुनाफा ड्राइवर के पास जाएगा. 

जीडीपी में योगदान तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2034 तक सहकारी क्षेत्र का देश की जीडीपी में योगदान तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. 50 करोड़ नागरिक जो अभी सहकारी क्षेत्र के सक्रिय सदस्य नहीं हैं या सदस्य ही नहीं हैं, उन्हें सहकारी क्षेत्र का सक्रिय सदस्य बनाया जाएगा. सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य देश में ऐसा कोऑपरेटिव सेक्टर बनाना है, जिसमें युवा अच्छे से अच्छी शिक्षा लेकर कोऑपेरिटिव को अपना करियर बनाएं.

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2002 में पहली बार भारत सरकार जब सहकारिता नीति लेकर आई थी, तब भी उनकी पार्टी की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. गुरुवार को जब दूसरी बार सहकारिता नीति पेश की गई है, तब भी हमारी सरकार है और नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री हैं. शाह ने कहा कि जो पार्टी, सरकार के दृष्टिकोण और भारत व भारत के विकास के लिए आवश्यक चीजों को समझती है, वही सहकारिता क्षेत्र को महत्व दे सकती है.

सबके विकास का मॉडल बनाएंगे

सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2027 तक हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेंगे. इसके साथ-साथ 140 करोड़ नागरिकों के सम विकास की भी जिम्मेदारी भारत की है. भारत का मूल विचार एक ऐसा मॉडल बनाने का है, जिसमें सबका सामूहिकता के साथ विकास हो, सबका सम विकास हो और सभी के योगदान से देश का विकास हो.

मरणासन्न सहकारिता क्षेत्र का कायाकल्प

अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी ने आजादी के लगभग 75 साल बाद सहकारिता मंत्रालय बनाया. उस समय सहकारिता क्षेत्र एक प्रकार से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था. इस सहकारिता मंत्रालय की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि देश की छोटी से छोटी सहकारी इकाई का सदस्य गर्व और आत्मविश्वास से भरा हुआ है. बीते चार साल में कोऑपरेटिव सेक्टर हर पैमाने पर कॉरपोरेट क्षेत्र की तरह समानता के आधार पर खड़ा है. 2020 से पहले कुछ लोगों ने सहकारिता को मृतप्राय क्षेत्र घोषित कर दिया था, लेकिन आज वही लोग कहते हैं कि सहकारिता क्षेत्र का भी फ्यूचर है.

केन्द्रीय मंत्री शाह ने कहा कि देश तीसरे नंबर का अर्थतंत्र बने, यह बहुत महत्वपूर्ण है, मगर इसके साथ ही देश के 140 करोड़ लोगों के विकास की चिंता भी होनी चाहिए. 140 करोड़ लोगों को साथ रखकर देश के अर्थतंत्र का विकास करने की क्षमता केवल सहकारिता क्षेत्र में है. छोटी-छोटी पूंजी वाले अनेक लोगों को मिलाकर बड़ी पूंजी की व्यवस्था कर उद्यम स्थापित करने की क्षमता केवल सहकारी क्षेत्र में है. इसलिए सहकारी नीति बनाते समय ध्यान रखा गया कि इस नीति का केन्द्र बिंदु 140 करोड़ लोग हों, गांव, कृषि, ग्रामीण महिलाएं, दलित और आदिवासी हों.

2047 तक विकसित भारत बनाना लक्ष्य

अमित शाह ने कहा कि नई सहकारिता नीति का विजन है सहकारिता के माध्यम से समृद्धि लाकर 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है. इसके लिए छोटी-छोटी सहकारी इकाइयों को बढ़ावा देना और प्रत्येक गांव में कम से कम एक सहकारी इकाई स्थापित करना इसका मिशन है. सहकारिता क्षेत्र के तय लक्ष्य हासिल करने के लिए छह स्तंभ निर्धारित किए गए है. इनमें नींव का सशक्तिकरण, जीवंतता को प्रोत्साहन, सहकारी समितियों को भविष्य के लिए तैयार करना, समावेशिता को बढ़ावा व पहुंच का विस्तार, नए क्षेत्रों में विस्तार और सहकारी विकास के लिए युवा पीढ़ी को तैयार करना शामिल है.

टैक्सी-बीमा क्षेत्र में नई शुरुआत जल्द

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि पर्यटन, टैक्सी, बीमा और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों के लिए सहकारिता मंत्रालय ने विस्तृत योजना तैयार की है. खासतौर से टैक्सी और बीमा क्षेत्र में बहुत कम समय में शानदार शुरुआत की जाएगी. उन्होंने कहा कि नए उभरते क्षेत्रों में सहकारी इकाइयों की भागीदारी का मतलब है कि सफल सहकारी इकाइयां एकजुट होकर नई सहकारी इकाई बनाएंगी, जो नए क्षेत्रों में काम शुरू करेगी. इसका मुनाफा इकाइयों के माध्यम से आखिरकार ग्रामीण स्तर की पैक्स (PACS) के सदस्यों तक पहुंचेगा. इस तरह एक बड़ा और मजबूत सहकारी इकोसिस्टम तैयार होगा. इसके अलावा भविष्य की पीढ़ियों के लिए सहकारिता को देश के विकास का एक महत्वपूर्ण साधन बनाने का दृढ़ विश्वास स्थापित करना भी हमारा उद्देश्य है.

शाह ने कहा कि मोदी सरकार सहकारी संस्थाओं को हर क्षेत्र में सहायता के लिए 24 घंटे तैयार है. हालांकि इकाइयों को स्वयं को मजबूत करना होगा. इसके लिए 83 हस्तक्षेप बिंदुओं की पहचान की गई है, जिनमें से 58 बिंदुओं पर काम पूरा हो चुका है. तीन बिंदु पूर्ण रूप से लागू हो चुके हैं. दो बिंदु ऐसे हैं, जो निरंतर चलने वाले हैं. बाकी बिंदुओं पर अब नई शुरुआत की जाएगी. जब सभी राज्य इस नीति को बारीकी से लागू करेंगे, तब एक सर्वसमावेशी, आत्मनिर्भर और भविष्योन्मुखी मॉडल बनेगा, जो देश की सहकारी व्यवस्था को नया स्वरूप प्रदान करेगा.

30 प्रतिशत बढ़ेंगी सहकारी समितियां

सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य है. अभी 8 लाख 30 हजार समितियां हैं, जिसमें 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी. प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक प्राथमिक सहकारी इकाई होगी, जो प्राथमिक कृषि ऋण समितियां  (PACS), प्राथमिक डेयरी, प्राथमिक मत्स्य पालन समिति, प्राथमिक बहुउद्देश्यीय पैक्स या अन्य प्राथमिक इकाई हो सकती है. इनके माध्यम से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि पारदर्शिता, वित्तीय स्थिरता, और संस्थागत विश्वास को बढ़ाने के लिए प्रत्येक इकाई को सशक्त करना होगा. इसके लिए एक क्लस्टर और निगरानी तंत्र (मॉनिटरिंग सिस्टम) भी विकसित किया जाएगा.

अमित शाह ने कहा कि मॉडल सहकारी गांव की शुरुआत सबसे पहले गांधीनगर में हुई और यह नाबार्ड की पहल है. राज्य सहकारी बैंकों के माध्यम से प्रत्येक तहसील में पांच मॉडल सहकारी गांव स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा. श्वेत क्रांति 2.0 के माध्यम से महिलाओं की सहभागिता को इससे जोड़ा जाएगा.  शाह ने कहा कि इन सभी योजनाओं को दो समितियों के माध्यम से जमीन पर उतारने के लिए रोडमैप तैयार किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय इस नीति को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए तैयार है. 

हर 10 साल में कानून में जरूरी बदलाव

उन्होंने कहा कि अगले दो दशकों में तकनीक को हर छोटी से छोटी इकाई तक पहुँचाने और गाँवों के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में बड़ा परिवर्तन लाने के लिए इस नीति में महत्वपूर्ण तत्व शामिल किए गए हैं. कम्प्यूटरीकरण के जरिए कार्यप्रणाली को पूरी तरह बदला जाएगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और क्षमता वृद्धि होगी. सहकारी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा, वित्तीय स्थिरता, पारदर्शिता और चुनौतियों का सामना करने की लचीलापन प्रदान करने के लिए एक निगरानी तंत्र के माध्यम से इन्हें जमीनी स्तर तक लागू किया जाएगा. साथ ही, हर 10 वर्ष में कानून में आवश्यक बदलाव करने की व्यवस्था भी की जाएगी.

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ग्रामीण, कृषि इकोसिस्टम और देश के गरीब को देश के अर्थतंत्र का बहुत विश्वसनीय हिस्सा बनाने का काम हम इस सहकारिता नीति के माध्यम से करेंगे. हमने हर राज्य में संतुलित सहकारी विकास का भी रोडमैप तैयार किया है. यह सहकारिता नीति दूरदृष्टिपूर्ण, व्यवाहारिक और परिणामोन्मुखी है. इस नीति के आधार पर 2047 में देश की आज़ादी की शताब्दी तक हमारे देश का सहकारिता आंदोलन आगे बढ़ेगा.  

सदस्य केन्द्रित मॉडल पर फोकस

शाह ने कहा कि सहकार से समृद्धि के लक्ष्य के लिए सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार और व्यक्ति के आत्मसम्मान को भी लक्ष्य बनाया गया है और सदस्य-केन्द्रित मॉडल को नींव बनाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि सहकारिता का उद्देश्य सदस्य का कल्याण होना चाहिए और इसे नींव बनाकर इस नीति का निर्माण किया गया है. महिला, युवा, आदिवासी और दलित की हिस्सेदारी देश के आर्थिक विकास में बढ़ाने के लिए मौके सृजित करने पर भी इस नीति में ध्यान दिया गया है.

शाह ने कहा कि व्यावसायिक बैंकों के समकक्ष अच्छे शेड्यूल्ड कोऑपरेटिव बैंक बनें और कहीं भी उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार न हो, इसे हम सुनिश्चित करेंगे. ग्लोबल विस्तार और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में पहुंच बनाने के लिए हमने एक एक्सपोर्ट कोऑपरेटिव बनाई है. उन्होंने कहा कि तकनीक के आधार पर पारदर्शी प्रबंधन करने के लिए पैक्स का मॉडल बन चुका है. आने वाले दिनों में हर प्रकार की कोऑपरेटिव में तकनीक के आधार पर पारदर्शी प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने कहा कि पर्यावरण के स्थायित्व और ‘सहकारिता में सहकार' (Cooperation Amongst Cooperatives) के माध्यम से हम आगे बढ़ाएंगे.

45 हज़ार नई पैक्स बनाने का काम 

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य देश में ऐसा कोऑपरेटिव सेक्टर बनाना है, जिसमें युवा अच्छे से अच्छी शिक्षा लेकर कोऑपेरिटिव को अपना करियर बनाएं. कोऑपरेटिव सेक्टर की सारी समस्याओं का समाधान आने वाले 25 सालों तक इस सेक्टर का विकास और इस सेक्टर को अर्थतंत्र के विकास से जुड़े सभी सेक्टर के समकक्ष खड़ा करने की क्षमता इस सहकारी नीति में है. शाह ने कहा कि सभी राज्यों ने बिना किसी राजनीतिक मतभेद के मॉडल बायलॉज़ को अडॉप्ट कर लिया है. अब तक 45 हज़ार नई पैक्स बनाने का काम हो चुका है. पैक्स के कम्प्यूटरीकरण का काम भी पूरा हो चुका है. पैक्स के साथ जोड़े गए 25 नए कार्यों में से हर काम में कुछ न कुछ प्रगति हुई है. उन्होंने बताया कि पीएम जनऔषधि केन्द्र के लिए अब तक 4108 पैक्स को स्वीकृति मिल चुकी है, 393 पैक्स पेट्रोल डीज़ल के रिटेल आउटलेट के लिए आवेदन कर चुके हैं, एलपीजी वितरण के लिए 100 से अधिक पैक्स ने आवेदन किया है. इसके साथ ही हर घर नल से जल का प्रबंधन और पीएम सूर्य घर योजना आदि के लिए भी पैक्स काम कर रहे हैं.

शाह ने कहा कि इन सब कामों के लिए प्रशिक्षित मैनपावर के लिए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की नींव डालने का काम भी हो चुका है. सहकारिता में सरकार के मॉडल को हम धीरे-धीरे मज़बूत बना रहे हैं. हमने एक्सपोर्ट, बीज और ऑर्गेनिक उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए तीन बहुराज्यीय सहकारी समिति बनाई हैं. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत दूरदर्शिता के साथ सहकारिता मंत्रालय की रचना की है और इसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग को आगे बढ़ाना और विकास को सर्वस्पर्शीय और सर्वसमावेशी बनाना है. यह सहकारी नीति आने वाले 25 साल तक सहकारिता क्षेत्र को प्रासंगिक बनाएगी, योगदान देने वाला और भविष्य का क्षेत्र भी बनाएगी.

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