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10-10 सांसदों का ग्रुप, हरेक में मंत्री और संगठन के नेता... सहयोगी दलों से समन्वय के लिए NDA का खास मैकेनिज्म

NDA में सहयोगी दलों से समन्वय के लिए मोदी सरकार ने खास मैकेनिज्म बना रखा है. इस मैकेनिज्म में 10-10 सांसदों का ग्रुप बना है. जिनकी बैठकों में अमित शाह, जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह की अहम भूमिका रहती है.

10-10 सांसदों का ग्रुप, हरेक में मंत्री और संगठन के नेता... सहयोगी दलों से समन्वय के लिए NDA का खास मैकेनिज्म
NDA में सहयोगी दलों से समन्वय के लिए क्या है खास मैकेनिज्म?
  • मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में सहयोगी दलों खासकर JDU और TDP की भूमिका महत्वपूर्ण बनी है.
  • सरकार ने सहयोगी दलों से बेहतर तालमेल के लिए 10-10 सांसदों के ग्रुप बनाकर एक मैकेनिज्म तैयार किया है.
  • हर ग्रुप में एक कैबिनेट मंत्री, एक राज्य मंत्री और संगठन से जुड़े नेता शामिल होते हैं और उनकी बैठकें होती है.
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NDA Allies Coordination Mechanism: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल बीजेपी सहयोगी दलों पर निर्भर है. इन सहयोगी दलों में जदयू नेता नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP का सबसे अहम रोल है. इसके अलावा कई अन्य दूसरे सहयोगी दल भी हैं. संसद सत्र में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के दौरान इन दलों की भूमिका बड़ी हो जाती है. विपक्ष के शोर-शराबे के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और विधेयकों को पेश करने से लेकर पास कराने तक में इन दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. लेकिन राजनीति में कोई भी हमेशा दोस्त या दुश्मन नहीं होता. ऐसे में अपने सहयोगियों को साथ बनाए रखने के लिए सरकार ने एक मैकेनिज्म बना रखी है. इस मैकेनिज्म में 10-10 सांसदों के कई ग्रुप बने हैं. जिनकी बैठक भी होती है.

इसी मैकेनिज्म का कमाल कि बेहतर तालमेल से चल रही सरकार

इसी मैकिनिज्म का कमाल है कि सहयोगी दलों की बैसाखी पर चल रही मोदी सरकार इस टर्म में सहयोगी दलों से बेहतर तालमेल कर चल रही है. मालूम हो कि इस बार बीजेपी को अपने बूते बहुमत नहीं मिला और वह सहयोगी दलों पर निर्भर है. इसीलिए इस बार सहयोगी दलों से तालमेल का बेहतर मैकेनिज्म तैयार किया गया है, ताकि किसी भी सहयोगी दल से कम्युनिकेशन गैप न रहे.

सूत्रों के अनुसार इस कार्यकाल में सहयोगियों से तालमेल को संस्थागत रूप दे दिया गया है. 10,10 सांसदों का ग्रुप बनाया गया है, जिसमें बीजेपी के अलावा सहयोगी दलों के सांसदों को भी रखा गया है.

हर ग्रुप में एक कैबिनेट मंत्री, एक राज्य मंत्री और एक संगठन से जुड़े नेता

हर ग्रुप में एक कैबिनेट मंत्री, एक राज्य मंत्री और संगठन से जुड़े एक नेता को शामिल किया गया है. हर संसद सत्र के दौरान इनकी अलग-अलग बैठकें होती हैं. लंबे सत्र जैसे बजट सत्र में दो बार और मॉनसून और शीतकालीन जैसे छोटे सत्रों में एक बार बैठक होती है.

हर बैठक में अमित शाह, राजनाथ और नड्डा में कोई एक जरूर रहता है

हर बैठक में तीन बड़े नेताओं में से एक अनिवार्य रूप से उपस्थित होता है. ये हैं गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा. एक बार यह बैठक संबंधित ग्रुप से जुड़े कैबिनेट मंत्री के यहां तो दूसरी बार राज्य मंत्री के यहां होती है. इन बैठकों में संसद से जुड़े मुद्दों की विस्तार से चर्चा होती है.

इसमें एक खास बात और है कि इन बैठकों की तस्वीरें और यहां हुई चर्चा की जानकारी सामने नहीं आती. हाल ही जदयू सांसद रामनाथ ठाकुर के घर ही ऐसी ही बैठक हुई. लेकिन इसकी तस्वीरें कही नहीं है.   

बीते दिनों रामनाथ ठाकुर के घर हुई इसी की बैठक

साथ ही, बीजेपी और सहयोगी दलों के सांसदों से उनके राज्यों के और संसदीय क्षेत्रों के मुद्दों पर भी विस्तार से बात होती है. कोशिश यह होती है कि सांसदों की हर बात को ध्यान से सुना जाए ताकि कोई कम्युनिकेशन गैप न रहे. इस सत्र में भी इसी तरह की बैठकें आयोजित की जा रही हैं. हाल ही में राज्य मंत्री और जेडीयू नेता रामनाथ ठाकुर के घर पर यह बैठक हुई.

निर्मला सीतारमण के घर भी हुई इसी की बैठक

ऐसा इसलिए क्योंकि इस ग्रुप से कैबिनेट मंत्री के रूप में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन जुड़ी हैं और पिछली बैठक उनके यहाँ हुई थी. रामनाथ ठाकुर के घर हुई बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हुए थे. कुछ सहयोगी दलों के सांसदों ने बताया कि वे इस मैकेनिज्म से संतुष्ट हैं क्योंकि इससे उन्हें अपनी बात शीर्ष नेताओं तक पहुँचाने में मदद मिलती है.

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