
- बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुनौरा धाम को राम मंदिर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा, यहां सीता मंदिर निर्माण होगा.
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 8 अगस्त को पुनौरा धाम में मंदिर की नींव रखेंगे, CM नीतीश कुमार भी मौजूद रहेंगे.
- पुनौरा धाम में 67 एकड़ क्षेत्र में भव्य मंदिर, वाटिका, प्रदर्शनी केंद्र सहित आधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी.
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद अब माता सीता के जन्म स्थल पुनौरा धाम को भी उसी तर्ज पर विकसित करने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुनौरा गांव में स्थित इस पवित्र स्थल को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है, खासकर जब से ये घोषणा हुई है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 8 अगस्त, 2025 को इस मंदिर की नींव रखेंगे. यह समारोह अमित शाह की दो दिवसीय बिहार यात्रा का हिस्सा होगा, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे.
ऐतिहासिक मान्यता और महत्व
पुनौरा धाम की पहचान उस पावन भूमि के रूप में है, जहां स्थानीय मान्यताओं के अनुसार माता जानकी, यानी माता सीता का जन्म हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा जनक जब खेत जोत रहे थे, तब उन्हें मिट्टी के एक पात्र में शिशु सीता मिलीं, जिससे उन्हें 'सीता' और 'जानकी' नाम मिला. यह स्थल केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जो मिथिला क्षेत्र और रामायण से गहराई से जुड़ा हुआ है.
भव्य परियोजना और बजट
बिहार सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए कुल 882.87 करोड़ रुपये का बजट तय किया है. इसमें से 137 करोड़ रुपये पुराने मंदिर के नवीनीकरण पर खर्च किए जाएंगे, जबकि शेष राशि पर्यटन और आधारभूत संरचना के विकास पर लगाई जाएगी. इस परियोजना की बड़ी बातों पर एक नजर:
- विशाल परिसर: कुल 67 एकड़ भूमि में यह परियोजना फैलेगी, जिसमें मौजूदा 17 एकड़ के अलावा लगभग 50 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है.
- भव्य डिजाइन: जून 2025 में मंदिर परिसर के अंतिम डिजाइन का अनावरण किया गया, जिसमें 151 फीट ऊंचा भव्य मंदिर, वॉकवे, वाटिका, प्रदर्शनी केंद्र, पार्किंग और अन्य आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं.
- राम मंदिर वाले शिल्पकार: इस डिजाइन को नोएडा की उसी फर्म ने तैयार किया है, जिसने अयोध्या के राम मंदिर का वास्तुशिल्प डिजाइन किया था.
- प्रशासनिक निगरानी: निर्माण कार्य एक न्यास समिति की निगरानी में चलेगा, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे और स्वच्छ विकास आयुक्त उपाध्यक्ष होंगे.
- कब तक पूरा होगा निर्माण कार्य: इस परियोजना को दो वर्षों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में उत्साह
माता सीता के मंदिर को राम मंदिर की तर्ज पर बनाने के फैसले से मंदिर के पुजारी और दर्शनार्थी बेहद खुश हैं. पुजारी का मानना है कि इससे सीतामढ़ी का विकास भी अयोध्या की तरह होगा, जिससे पूरे क्षेत्र में तेजी आएगी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के दौरान गुजरात से आए श्रद्धालुओं ने इस फैसले पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि इससे इस जगह के बारे में पूरे देश को पता चलेगा. उन्होंने अमित शाह के आगमन को लेकर भी उत्साह दिखाया और कहा कि उनके नींव रखने से विकास और तेजी से होगा.
स्थानीय दुकानदारों में भी रोजगार की असीम संभावनाएं दिख रही हैं. उनका मानना है कि पर्यटन स्थल बनने से उन्हें आजीविका के नए अवसर मिलेंगे, हालांकि वे अभी तक प्रशासन से कोई स्पष्ट दिशानिर्देश न मिलने की बात कह रहे हैं.
उर्विला कुंड: एक पवित्र गाथा
मंदिर के पीछे स्थित उर्विला कुंड भी अपनी एक विशेष मान्यता रखता है. ऐसी किंवदंती है कि अकाल पड़ने पर जब राजा जनक यहां हल चला रहे थे, तब इसी कुंड की मिट्टी से माता सीता का जन्म एक घड़े से हुआ था. लोग आज भी इस कुंड से मिट्टी अपने घर ले जाते हैं, जिससे यह धीरे-धीरे कुंड का रूप ले चुका है.
क्या बोले पर्यटन मंत्री और जिलाधिकारी?
सीतामढ़ी के डीएम रिची पांडे ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि बिहार सरकार के कैबिनेट से मंजूरी के बाद माता सीता के जन्म स्थल को राम मंदिर की तर्ज पर बनाना इस पूरे इलाके में विकास की नई गाथा लिखेगा और रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगा.
बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री राजू सिंह ने इसे अपने कार्यकाल का सौभाग्य बताते हुए कहा कि यह मंदिर राम मंदिर की तरह भव्य रूप लेगा, जिससे अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन के बाद श्रद्धालु सीधे पुनौरा धाम आकर माता सीता के भी दर्शन कर सकेंगे.
दूरगामी धार्मिक और राजनीतिक महत्व
8 अगस्त, 2025 को होने वाले इस भूमि पूजन और शिलान्यास समारोह को दूरगामी धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह न सिर्फ मिथिला क्षेत्र की गौरवशाली परंपरा को पुनर्स्थापित करेगा, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक रणनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. पुनौरा धाम का यह कायाकल्प निश्चित रूप से देश और विदेश के लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा, जिससे सीतामढ़ी वैश्विक धार्मिक मानचित्र पर अपनी विशिष्ट पहचान बना सकेगा.
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