विज्ञापन

कांवड़ यात्रा विवाद पर मेरठ के होटल-ढाबा मालिक बोले- नाम लिखने में कुछ गलत नहीं

होटल मालिकों का कहना है कि यह कदम जरूरी है. इससे कांवड़ियों को यह तो पता रहेगा कि वो जिस दुकान, ढाबा या होटल से खाने-पीने का सामान खरीद रहे हैं, वह आखिर है कौन. उनकी पहचान तो उजागर होनी ही चाहिए.

कांवड़ यात्रा विवाद पर मेरठ के होटल-ढाबा मालिक बोले- नाम लिखने में कुछ गलत नहीं
  • कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू होगी, लेकिन सियासत पहले ही तेज हो गई है.
  • कांवड़ रूट पर होटल-ढाबा मालिकों को स्टाफ के नाम प्रदर्शित करने का आदेश है.
  • मेरठ के होटल-ढाबा मालिक बोले, यह कदम कांवड़ियों के लिहाज से अच्छा है.
  • ढाबा मालिकों ने कहा- उन्हें अपनी और स्टाफ की पहचान बताने में ऐतराज नहीं.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू होनी है, लेकिन इसे लेकर सियासत पहले ही गरमा चुकी है. यूपी से लेकर उत्तराखंड प्रशासन की तरफ से कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल और ढाबा मालिकों को अपने और स्टाफ के नाम प्रदर्शित करने का फरमान सुनाया गया है. अन्य कई निर्देश भी जारी किए गए हैं. चेकिंग के नाम पर विवाद भी हो रहे हैं. मेरठ में कांवड़ मार्ग पर बने कई होटलों और ढाबा मालिकों ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि उन्हें अपनी और स्टाफ की पहचान उजागर करने से परहेज नहीं है. 

पिछले साल की तरह इस वर्ष भी कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले ढाबे और खाने-पीने की दुकानों की पहचान को लेकर विवाद गहरा गया है. अधिकारियों की आड़ में कई हिंदू संगठन भी हाईवे पर बने ढाबों और होटल में जाकर स्टाफ और होटल मालिक की पहचान करने का प्रयास कर रहे हैं. पिछले दिनों मुजफ्फरनगर में एक ढाबे पर इसे लेकर विवाद भी हुआ था. 

खाद्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी होटलों और ढाबों पर जाकर होटल मालिक, वहां काम करने वाले स्टाफ का नाम, लाइसेंस नंबर आदि फ्लेक्स पर छपवाकर लगाने के निर्देश दे रहे हैं ताकि दूर से ही दिखाई दे सकें. खाने-पीने की चीजों के रेट लिस्ट करने को भी कहा जा रहा है.  

कांवड़ यात्रा का पूरा जोर मेरठ से मुजफ्फरनगर मार्ग पर रहता है. इस रोड पर बने ढाबे और होटल मालिकों से जब एनडीटीवी ने बात की तो उन्होंने बताया कि खाद्य विभाग के अधिकारी होटल के बाहर स्टाफ के नाम व होटल के सामान की रेट लिस्ट लगाने की बात कह रहे हैं. होटल और ढाबा मालिकों ने इसकी तैयारी भी कर ली है. 

होटल मालिकों का कहना है कि यह कदम जरूरी है. इसमें कुछ गलत नहीं है. इससे कांवड़ियों को यह तो पता लग सकेगा कि वो जिस दुकान, ढाबा या होटल से खाने-पीने का सामान खरीद रहे हैं, वह आखिर है कौन. उनकी पहचान तो उजागर होनी ही चाहिए.

कई होटल मालिकों का यह भी कहना था कि जब कांवड़ यात्रा अपने चरम पर होती है, तब कई होटल-ढाबे बंद कर दिए जाते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि उस दौरान दुकानों पर खाने-पीने की सेल बहुत कम हो जाती है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com