अमेरिकी विमानन नियामक का विवादास्पद बोइंग 737 मैक्स विमान के विनिर्माण में विस्तार को प्रतिबंधित करने का निर्णय, भारत की एयरलाइंस के लिए बुरी खबर हो सकता है. एयर इंडिया एक्सप्रेस, स्पाइसजेट और अकासा एयर पहले ही जेट के सैकड़ों वेरिएंट के लिए ऑर्डर दे चुके हैं. तीन सप्ताह पहले अलास्का एयरलाइंस की उड़ान के बाद बोइंग को अपनी गुणवत्ता को लेकर गहन जांच का सामना करना पड़ रहा है. अलास्का एयरलाइंस के उस विमान का एक पैनल हवा में उड़ गया था.
हालांकि गनीमत ये रही कि विमान सुरक्षित रूप से उतर गया और यात्रियों को मामूली चोटें आईं. हालांकि, इसके बाद बोइंग की विनिर्माण प्रक्रियाओं की जांच बढ़ गई है. बोइंग 737 मैक्स 9 पर 5 जनवरी की घटना उसी विमान में कई महीनों पहले हुई छोटी समस्याओं के बाद हुई.
अलास्का एयरलाइंस प्रकरण बोइंग के लिए सबसे गंभीर परिचालन समस्याओं में से एक है, क्योंकि 2018 और 2019 में 737 MAX 8 विमानों के दो दुर्घटनाओं में 346 लोगों की मौत हुई थी.
अमेरिकी विमानन नियामक, फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने अब फैसला सुनाया है कि बोइंग विवादास्पद विमान के उत्पादन का विस्तार तब तक नहीं कर सकता, जब तक कि वो एक साथ काम नहीं कर लेता.
ये घोषणा एयर इंडिया एक्सप्रेस, स्पाइसजेट और अकासा एयर सहित भारतीय एयरलाइनों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है. इन्होंने सामूहिक रूप से बोइंग 737 मैक्स के सैकड़ों वेरिएंट के लिए ऑर्डर दिए हैं. पिछले साल हस्ताक्षरित 70 बिलियन डॉलर के सौदे के तहत एयर इंडिया एक्सप्रेस के पास 181 737 मैक्स विमानों के ऑर्डर हैं, जबकि अकासा एयर और स्पाइसजेट के पास क्रमशः 204 और 142 मैक्स जेट के ऑर्डर हैं.
भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पहले ही देश में सेवारत सभी बोइंग 737 मैक्स विमानों का निरीक्षण कर लिया है और सुरक्षा संबंधी चिंताएं जताई हैं. भारतीय एयरलाइंस पर एफएए के फैसले का सटीक प्रभाव अनिश्चित बना हुआ है, लेकिन ये 737 मैक्स के लिए एक नई विनिर्माण लाइन स्थापित करने की बोइंग की योजना को संभावित रूप से प्रभावित कर सकता है.