अमेरिकी नागरिक जॉन चाऊ.
पोर्ट ब्लेयर:
अंडमान निकोबार द्वीप समूह के नोर्थ सेंटीनल द्वीप पर सेंटिनलीज जनजाति द्वारा मारे गए अमेरिकी पर्यटक ने वहां तक पहुंचने के लिए मछुआरों को 25 हजार रुपए दिए थे. अभी तक उसका शव मिल नहीं पाया है, अंदाजा लगाया जा रहा है कि सेंटिनलीज जनजाति के लोगों ने उसे दफना दिया. उसके शव को ढूंढ़ने की कोशिश की जा रही है, लेकिन प्रशासन को अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है. बता दें, इस द्वीप पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति के लोगों की संख्या 2011 की जनगणना के मुताबिक केवल 40 बताई गई है. बताया जाता है कि यह जनजाति बाहरी लोगों को अपने लिए खतरा समझते हैं. इनके क्षेत्र में घुसने वाले लोगों पर ये पत्थर और तीर-कमानों से हमला कर देते हैं.
अमेरिकी नागरिक जॉन चाऊ ने सेंटीनल द्वीप पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति से मिलने की इच्छा जाहिर की थी. इसके बाद उसने 25 हजार रुपए किराए देकर पोर्ट ब्लेयर से 102 किलोमीटर दूर इस द्वीप पर जाने के लिए नाव किराए पर ली. एक मछुआरे ने पुलिस को बताया कि 14 नवंबर की रात वे इस द्वीप पर पहुंच गए थे. उन्होंने किनारे से 500 मीटर पहले ही अपनी नाव रोक दी. अगली सुबह तड़के ही चाऊ डोंगी से द्वीप पर चला गया. डोंगी वह अपने साथ नाव पर लेकर आया था. अंडमान निकोबार के डीजीपी दीपेंद्र पाठक ने एनडीटीवी को बताया कि वह अपने साथ बाइबिल भी लेकर चल रहा था. मछुआरों ने तभी देखा कि सेंटिनलीज जनजाति के लोगों ने उस पर तीरों से हमला कर दिया, लेकिन वह फिर भी अंदर जाता रहा.
सेंटिनलीज जनजाति: तीर कमान और पत्थर हैं इनके हथियार, पढ़िए आखिर क्यों बाहरी दुनिया से रहते हैं अलग-थलग
इसके बाद वह उस दिन दोपहर में नाव पर वापस लौटा. वापस लौटा तो उसके शरीर पर तीर और कमान से चोट के निशान थे. नाव पर उसने उन जख्मों पर कुछ दवाई लगाई और खाना भी खाया. इसके बाद उसने अपनी डायरी में सेंटिनलीज जनजाति से अपनी पहली मुलाकात के बारे में बताया. फिर उसी रात वह फिर डोंगी लेकर निकल गया. आखिरी बार मछुआरों ने उसे तभी देखा था. फिर 17 नवंबर तड़के मछुआरों ने देखा सेंटिनलीज जनजाति के कुछ लोग एक शव को घसीट रहे हैं, जो कि चाऊ जैसा दिख रहा था. उन्होंने उसे रेत में दफना दिया. इसके बाद मछुआरे वापस पोर्ट प्लेयर लौट आए. उन्होंने पोर्ट ब्लेयर लौटकर इसकी जानकारी चाऊ के दोस्त को दी. जिसने इसके बारे में चाऊ के परिवार और अमेरिकी दूतावास को जानकारी दी.
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अमेरिकी नागरिक जॉन चाऊ ने सेंटीनल द्वीप पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति से मिलने की इच्छा जाहिर की थी. इसके बाद उसने 25 हजार रुपए किराए देकर पोर्ट ब्लेयर से 102 किलोमीटर दूर इस द्वीप पर जाने के लिए नाव किराए पर ली. एक मछुआरे ने पुलिस को बताया कि 14 नवंबर की रात वे इस द्वीप पर पहुंच गए थे. उन्होंने किनारे से 500 मीटर पहले ही अपनी नाव रोक दी. अगली सुबह तड़के ही चाऊ डोंगी से द्वीप पर चला गया. डोंगी वह अपने साथ नाव पर लेकर आया था. अंडमान निकोबार के डीजीपी दीपेंद्र पाठक ने एनडीटीवी को बताया कि वह अपने साथ बाइबिल भी लेकर चल रहा था. मछुआरों ने तभी देखा कि सेंटिनलीज जनजाति के लोगों ने उस पर तीरों से हमला कर दिया, लेकिन वह फिर भी अंदर जाता रहा.
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इसके बाद वह उस दिन दोपहर में नाव पर वापस लौटा. वापस लौटा तो उसके शरीर पर तीर और कमान से चोट के निशान थे. नाव पर उसने उन जख्मों पर कुछ दवाई लगाई और खाना भी खाया. इसके बाद उसने अपनी डायरी में सेंटिनलीज जनजाति से अपनी पहली मुलाकात के बारे में बताया. फिर उसी रात वह फिर डोंगी लेकर निकल गया. आखिरी बार मछुआरों ने उसे तभी देखा था. फिर 17 नवंबर तड़के मछुआरों ने देखा सेंटिनलीज जनजाति के कुछ लोग एक शव को घसीट रहे हैं, जो कि चाऊ जैसा दिख रहा था. उन्होंने उसे रेत में दफना दिया. इसके बाद मछुआरे वापस पोर्ट प्लेयर लौट आए. उन्होंने पोर्ट ब्लेयर लौटकर इसकी जानकारी चाऊ के दोस्त को दी. जिसने इसके बारे में चाऊ के परिवार और अमेरिकी दूतावास को जानकारी दी.
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