अमेरिकी पर्यटक चाऊ के शव की तलाश में जुटी अंडमान पुलिस
पोर्ट ब्लेयर:
अमेरिकी पर्यटक जॉन एलेन चाऊ (John Allen Chau) की हत्या के तीन दिन बाद भी पुलिस को अभी तक उसके शव का कोई सुराग नहीं लगा है. पुलिस अब पर्यटक के शव को ढूंढ़ने के लिए मनोविज्ञानिक और विशेषज्ञों की मदद भी ले रही है. बता दें कि अमेरिकी पर्यटक अंडमान निकोबार द्वीप समूह घूमने आया था.अंडमान निकोबार पुलिस (Andaman Nicobar Police) के डीजीपी देपेंद्र पाठक ने कहा कि पुलिस विशेषज्ञों की मदद ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस जॉन एलेन चाऊ द्वारा 13 पन्नों में लिखे गए उनके यात्रा वृतांत को भी एक सबूत के तौर पर देख रही है. और इस कोशिश में जुटी है कि इसकी मदद से उनके आखिरी लोकेशन के बारे में पता लगाया जा सके. चाऊ (John Allen Chau) की हत्या को लेकर पहले कहा गया था कि उनकी हत्या तीर मारकर की गई है लेकिन अडमान पुलिस (Andaman Nicobar Police) के पीआरओ जतिन नरवाल ने बुधवार को कहा कि इस मामले की अभी जांच चल रही है, जांच पूरी होने तक कुछ भी कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी.
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वहीं अडमान पुलिस के डीजीपी देपेंद्र पाठक ने कहा कि हमनें इस मामले में अभी तक मनोविज्ञान के जानकार, वन विभाग औऱ कई अन्य विशेषज्ञों से संपर्क किया है ताकि हम घटना वाली जगह पर पहुंच सकें और चाऊ को शव को ढूंढ सकें. गौरतलब है कि इससे पहले खबर आई थी कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह के नोर्थ सेंटीनल द्वीप पर सेंटिनलीज जनजाति द्वारा मारे गए अमेरिकी पर्यटक ने वहां तक पहुंचने के लिए मछुआरों को 25 हजार रुपए दिए थे. अभी तक उसका शव मिल नहीं पाया है, अंदाजा लगाया जा रहा है कि सेंटिनलीज जनजाति के लोगों ने उसे दफना दिया. उसके शव को ढूंढ़ने की कोशिश की जा रही है, लेकिन प्रशासन को अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है.
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बता दें, इस द्वीप पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति के लोगों की संख्या 2011 की जनगणना के मुताबिक केवल 40 बताई गई है. बताया जाता है कि यह जनजाति बाहरी लोगों को अपने लिए खतरा समझते हैं. इनके क्षेत्र में घुसने वाले लोगों पर ये पत्थर और तीर-कमानों से हमला कर देते हैं. अमेरिकी नागरिक जॉन चाऊ ने सेंटीनल द्वीप पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति से मिलने की इच्छा जाहिर की थी. इसके बाद उसने 25 हजार रुपए किराए देकर पोर्ट ब्लेयर से 102 किलोमीटर दूर इस द्वीप पर जाने के लिए नाव किराए पर ली. एक मछुआरे ने पुलिस को बताया कि 14 नवंबर की रात वे इस द्वीप पर पहुंच गए थे. उन्होंने किनारे से 500 मीटर पहले ही अपनी नाव रोक दी. अगली सुबह तड़के ही चाऊ डोंगी से द्वीप पर चला गया. डोंगी वह अपने साथ नाव पर लेकर आया था.
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अंडमान निकोबार के डीजीपी दीपेंद्र पाठक ने एनडीटीवी को बताया कि वह अपने साथ बाइबिल भी लेकर चल रहा था. मछुआरों ने तभी देखा कि सेंटिनलीज जनजाति के लोगों ने उस पर तीरों से हमला कर दिया, लेकिन वह फिर भी अंदर जाता रहा. इसके बाद वह उस दिन दोपहर में नाव पर वापस लौटा. वापस लौटा तो उसके शरीर पर तीर और कमान से चोट के निशान थे. नाव पर उसने उन जख्मों पर कुछ दवाई लगाई और खाना भी खाया. इसके बाद उसने अपनी डायरी में सेंटिनलीज जनजाति से अपनी पहली मुलाकात के बारे में बताया. फिर उसी रात वह फिर डोंगी लेकर निकल गया.
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आखिरी बार मछुआरों ने उसे तभी देखा था. फिर 17 नवंबर तड़के मछुआरों ने देखा सेंटिनलीज जनजाति के कुछ लोग एक शव को घसीट रहे हैं, जो कि चाऊ जैसा दिख रहा था. उन्होंने उसे रेत में दफना दिया. इसके बाद मछुआरे वापस पोर्ट प्लेयर लौट आए. उन्होंने पोर्ट ब्लेयर लौटकर इसकी जानकारी चाऊ के दोस्त को दी. जिसने इसके बारे में चाऊ के परिवार और अमेरिकी दूतावास को जानकारी दी.
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वहीं अडमान पुलिस के डीजीपी देपेंद्र पाठक ने कहा कि हमनें इस मामले में अभी तक मनोविज्ञान के जानकार, वन विभाग औऱ कई अन्य विशेषज्ञों से संपर्क किया है ताकि हम घटना वाली जगह पर पहुंच सकें और चाऊ को शव को ढूंढ सकें. गौरतलब है कि इससे पहले खबर आई थी कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह के नोर्थ सेंटीनल द्वीप पर सेंटिनलीज जनजाति द्वारा मारे गए अमेरिकी पर्यटक ने वहां तक पहुंचने के लिए मछुआरों को 25 हजार रुपए दिए थे. अभी तक उसका शव मिल नहीं पाया है, अंदाजा लगाया जा रहा है कि सेंटिनलीज जनजाति के लोगों ने उसे दफना दिया. उसके शव को ढूंढ़ने की कोशिश की जा रही है, लेकिन प्रशासन को अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है.
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बता दें, इस द्वीप पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति के लोगों की संख्या 2011 की जनगणना के मुताबिक केवल 40 बताई गई है. बताया जाता है कि यह जनजाति बाहरी लोगों को अपने लिए खतरा समझते हैं. इनके क्षेत्र में घुसने वाले लोगों पर ये पत्थर और तीर-कमानों से हमला कर देते हैं. अमेरिकी नागरिक जॉन चाऊ ने सेंटीनल द्वीप पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति से मिलने की इच्छा जाहिर की थी. इसके बाद उसने 25 हजार रुपए किराए देकर पोर्ट ब्लेयर से 102 किलोमीटर दूर इस द्वीप पर जाने के लिए नाव किराए पर ली. एक मछुआरे ने पुलिस को बताया कि 14 नवंबर की रात वे इस द्वीप पर पहुंच गए थे. उन्होंने किनारे से 500 मीटर पहले ही अपनी नाव रोक दी. अगली सुबह तड़के ही चाऊ डोंगी से द्वीप पर चला गया. डोंगी वह अपने साथ नाव पर लेकर आया था.
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अंडमान निकोबार के डीजीपी दीपेंद्र पाठक ने एनडीटीवी को बताया कि वह अपने साथ बाइबिल भी लेकर चल रहा था. मछुआरों ने तभी देखा कि सेंटिनलीज जनजाति के लोगों ने उस पर तीरों से हमला कर दिया, लेकिन वह फिर भी अंदर जाता रहा. इसके बाद वह उस दिन दोपहर में नाव पर वापस लौटा. वापस लौटा तो उसके शरीर पर तीर और कमान से चोट के निशान थे. नाव पर उसने उन जख्मों पर कुछ दवाई लगाई और खाना भी खाया. इसके बाद उसने अपनी डायरी में सेंटिनलीज जनजाति से अपनी पहली मुलाकात के बारे में बताया. फिर उसी रात वह फिर डोंगी लेकर निकल गया.
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आखिरी बार मछुआरों ने उसे तभी देखा था. फिर 17 नवंबर तड़के मछुआरों ने देखा सेंटिनलीज जनजाति के कुछ लोग एक शव को घसीट रहे हैं, जो कि चाऊ जैसा दिख रहा था. उन्होंने उसे रेत में दफना दिया. इसके बाद मछुआरे वापस पोर्ट प्लेयर लौट आए. उन्होंने पोर्ट ब्लेयर लौटकर इसकी जानकारी चाऊ के दोस्त को दी. जिसने इसके बारे में चाऊ के परिवार और अमेरिकी दूतावास को जानकारी दी.
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