पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने पटियाला से पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) लड़ने का ऐलान किया है. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर इसको लेकर जानकारी दी है. अमरिंदर ने कहा है कि पटियाला से उनके परिवार का करीब 400 साल से नाता रहा है और सिर्फ नवजोत सिद्धू (Navjot siddhu) के कारण वो पटियाला नहीं छोड़ने वाला. पूर्व सीएम ने इससे पहले कहा था कि वो पंजाब विधानसभा चुनाव में सिद्धू जहां से खड़े होंगे, वहां चुनाव लड़ेंगे और उन्हें हराएंगे.
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अमरिंदर सिंह ने पंजाब विधानसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) के साथ गठबंधन के संकेत दिए हैं. उनका कहना है कि जल्द ही बीजेपी से सीटों की साझेदारी को लेकर समझौता हो सकता है. केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करने के बाद दोनों दलों के बीच साझेदारी का रास्ता भी खुलता नजर आ रहा है.
अमरिंदर सिंह ने इस कदम के लिए केंद्र सरकार का धन्यवाद भी दिया था. बीजेपी का इससे पहले पंजाब में अकाली दल के साथ लंबे समय तक गठबंधन रहा है. बीजेपी का पंजाब के शहरी इलाकों में हिन्दू वोटरों के बीच अच्छा प्रभाव रहा है. हालांकि कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन के बाद पंजाब में पार्टी की संभावनाओं को तगड़ा झटका लगा है.
मालूम हो कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के साथ अमरिंदर सिंह के साथ तीखे मतभेद रहे हैं. अमरिंदर सिंह के खिलाफ कांग्रेस विधायकों की लामबंदी के बाद कांग्रेस आलाकमान ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी. हालांकि विधायकों का रुख अपने पक्ष में न देखते हुए अमरिंदर ने पद से पहले ही त्यागपत्र दे दिया था.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पटियाला का उनके परिवार से करीब 400 साल से ज्यादा पुराना नाता रहा है. वो पटियाला सीट से चार बार विधायक रहे हैं. जबकि उनकी पत्नी प्रणीत कौर 2014 से 2017 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. अमरिंदर सिंह ने कथित तौर पर सिद्धू से कहा था कि वो इस बार बुरी तरह चुनाव हारेंगे.
जैसे कि वर्ष 2017 में बीजेपी से लड़े जेजे सिंह का हश्र हुआ था, जो 60 हजार से ज्यादा मतों से पराजित हुए थे और उन्हें सिर्फ 11.1 फीसदी वोट हासिल हुए थे. उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी. इसके जवाब में सिद्धू ने कहा था कि पंजाब उनकी आत्मा है और पंजाब की आत्मा गुरु ग्रंथ साहिबजी हैं. हमारी लड़ाई न्याय के लिए और दोषियों को सजा देने के लिए हैं. विधानसभा सीट इसके लिए मायने नहीं रखती.
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