दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी (JMIU) के छात्र नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) का विरोध कर रहे हैं. बीते रविवार दिल्ली के जामिया नगर से लगे सराय जुलैना के पास डीटीसी की तीन बसों को आग लगाए जाने के बाद से मामला भड़क उठा. जामिया के छात्रों पर बसों में आग लगाने का आरोप लगा लेकिन पुलिस ने इस मामले में जिन 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें से एक भी छात्र नहीं है. गिरफ्तार किए गए लोगों में तीन घोषित बदमाश हैं और सभी जामिया और ओखला इलाके के रहने वाले हैं. उसी दिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Aligarh Muslim University) में भी छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया. कथित तौर पर प्रदर्शन हिंसक हो गया. छात्रों पर पथराव का आरोप लगा, जिसके बाद पुलिस (UP Police) ने उनपर लाठीचार्ज किया. यूपी के डीजीपी ओपी सिंह (OP Singh) ने छात्रों से बदसलूकी और लाठीचार्ज की खबरों का खंडन किया था लेकिन अब एक सीसीटीवी फुटेज ने डीजीपी के दावों की पोल खोल दी है.
यूनिवर्सिटी के मॉरिसन कोर्ट हॉस्टल के सामने लगे सीसीटीवी में साफ दिख रहा है कि पुलिस के जवान लाठियों के साथ हॉस्टल में दाखिल हुए और छात्रों की पिटाई की. वीडियो में पुलिसवाले छात्रों को घसीटते हुए हॉस्टल से बाहर लाते और एंटी-रॉयट व्हीकल में धकेलते हुए दिख रहे हैं. पुलिसकर्मी वहां खड़ी बाइकों को भी गिराते दिखे हैं.
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अलीगढ़ पुलिस के अधिकारी आकाश कुल्हाड़ी ने इस बारे में कहा, 'हो सकता है कि जब पुलिसकर्मी छात्रों को पीछे धकेल रहे थे तो उन्होंने थोड़ा ज्यादा बल प्रयोग किया हो लेकिन हम हॉस्टल में दाखिल नहीं हुए और न ही हमने किसी को पीटा. मैंने अभी तक सीसीटीवी फुटेज नहीं देखा है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है. हम अदालत में सबूत पेश करेंगे. जो भी फैसला आएगा, वह मंजूर होगा. मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि वहां लाठीचार्ज हुआ था और थोड़ा बल प्रयोग किया गया था.'
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बताते चलें कि बीते रविवार अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मेन गेट पर पथराव के बाद पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले फेंके थे. खबरों के अनुसार, इस घटना में करीब 150 छात्र घायल हुए. एक डीआईजी रैंक के अफसर समेत कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए. घटना पर डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि पुलिस ने वक्त रहते स्थिति को काबू में किया था. पुलिस किसी भी हॉस्टल के अंदर नहीं दाखिल हुई. हम लोग कुलपति के दफ्तर के लॉज में थे. हॉस्टल में पुलिस के घुसने और आंसू गैस छोड़ने के आरोप बेबुनियाद हैं.
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