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This Article is From Mar 25, 2013

भारत को चोगम का बहिष्कार करना चाहिए : द्रमुक

चेन्नई: श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर संप्रग गठबंधन से अलग हो चुकी द्रमुक ने आज मांग की कि भारत को नवंबर में कोलंबो में आयोजित राष्ट्रमंडल देशों के शासन प्रमुखों की बैठक (चोगम) का बहिष्कार करना चाहिए।

द्रमुक कार्यकारिणी की बैठक में कहा गया कि राष्ट्रमंडल सचिवालय को यह बैठक कोलंबो में नहीं बुलानी चाहिए। लेकिन अगर यह बैठक होती है तो भारत को इसका बहिष्कार करना चाहिए ताकि दुनियाभर के तमिलों की भावना परिलक्षित हो सके और लोकतांत्रिक धारणा कायम रहे।

पार्टी अध्यक्ष एम करुणानिधि ने इस बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल हुए लेकिन करुणानिधि के पुत्र एम के अलागिरि इसमें शामिल नहीं हुए। संप्रग से द्रमुक के बाहर होने के फैसले पर मशविरा नहीं लिए जाने के कारण अलागिरि के नाराज होने की खबर है।

संप्रग से समर्थन वापस लेने के बाद पार्टी की यह पहली उच्चस्तरीय बैठक है। द्रमुक ने पिछले हफ्ते आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार तमिलों के मानवाधिकार हनन के संबंध में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ अमेरिकी प्रस्ताव पर संशोधन पेश करने में नाकाम रही।

द्रमुक ने एक प्रस्ताव में कहा कि कुछ देशों ने राष्ट्रमंडल बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला किया है और भारत को बिना किसी हिचक के बहिष्कार करने के संबंध में तत्काल घोषणा करनी चाहिए।

संप्रग से संबंध तोड़ने के फैसले का बचाव करते हुए द्रमुक ने कहा कि उसने 2004 से कांग्रेस नीत गठबंधन को स्थिरता प्रदान की और 2009 में पूरा समर्थन किया। पार्टी प्रस्ताव में कहा गया है कि खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जैसे महत्वपूर्ण क्षणों में सरकार को गिरने से बचाने और उसे स्थिरता प्रदान करने तथा सांप्रदायिक ताकतों को दूर रखने के लिए करुणानिधि और द्रमुक श्रेय के हकदार हैं।

श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर पार्टी ने केंद्र की आलोचना की और कहा कि श्रीलंका को ‘‘मित्र राष्ट्र’’ बताते हुए भारत ने उसे हर प्रकार की सहायता जारी रखी। पार्टी ने जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत को खुद ही श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव लाना चाहिए।

तमिलनाडु के मछुआरों पर श्रीलंकाई नौसेना के कथित हमले का जिक्र करते हुए द्रमुक ने कहा कि मछुआरों की सुरक्षा के लिए बार-बार अनुरोध किए जाने के बाद भी ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र ने अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है।

इसमें कहा गया है कि केंद्र को बिना और देर किए तमिलनाडु के मछुआरों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।

बैठक में कुल 16 प्रस्ताव पारित किए गए। एक प्रस्ताव में केंद्र से सेतुसमुद्रम परियोजना को पूरा करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया गया।

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