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चुनाव में हार के बाद अजित पवार की पार्टी को बड़ा झटका, 4 बड़े नेताओं ने दिया इस्तीफा

पिंपरी-चिंचवड़ के एनसीपी के चीफ अजित गव्हाणे भी उन चार नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने अजित पवार को अपना इस्तीफा सौंपा है. अन्य हैं पिंपरी चिंचवड छात्र विंग के प्रमुख यश साने, और पूर्व नगरसेवक, राहुल भोसले और पंकज भालेकर.

चुनाव में हार के बाद अजित पवार की पार्टी को बड़ा झटका, 4 बड़े नेताओं ने दिया इस्तीफा
अजित पवार की पार्टी के 4 प्रमुख नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है.
मुंबई:

महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवड नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के चार बड़े नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है, जो हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद अजित पवार के नेतृत्व वाली पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है. जानकारी के मुताबिक वो इस हफ्ते के अंत तक शरद पवार की पार्टी में शामिल हो सकते हैं. 

पिपंरी-चिंचवड़ से एनसीपी चीफ ने भी दिया इस्तीफा

पिंपरी-चिंचवड़ के एनसीपी के चीफ अजित गव्हाणे भी उन चार नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने अजित पवार को अपना इस्तीफा सौंपा है. अन्य हैं पिंपरी चिंचवड छात्र विंग के प्रमुख यश साने, और पूर्व नगरसेवक, राहुल भोसले और पंकज भालेकर. यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब चर्चा है कि अजित पवार खेमे के कुछ नेता शरद पवार के पाले में लौटने के इच्छुक हैं. 

शरद पवार ने पिछले महीने कही थी ये बात

शरद पवार ने पिछले महीने कहा था कि जो भी उनकी पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं उनके लिए यहां कोई जगह नहीं है लेकिन वो उनका स्वागत करते हैं तो पार्टी की छवि को खराब नहीं करेंगे. उन्होंने कहा था, "जो पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं उन्हें यहां जगह नहीं मिलेगी. लेकिन जो नेता पार्टी को मजबूत बनाना चाहते हैं और पार्टी की छवि को नहीं बिगाड़ते हैं तो मैं उनका स्वागत करता हूं."

2023 में अजित पवार का गुट हो गया था अलग

2023 में अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के खिलाफ अजित पवार द्वारा विद्रोह के बाद पवार परिवार दो राजनीतिक दलों में विभाजित हो गया था. शरद पवार विपक्षी खेमे में रहे, जबकि अजित पवार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में शामिल हो गए. इसके बाद उन्हें राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. 

अजित पवार ने एनडीए के साथ लड़ा था लोकसभा चुनाव

अजित पवार की पार्टी ने भाजपा नीत एनडीए के घटक के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह सिर्फ एक सीट (रायगढ़) जीत सकी, जबकि उनके चाचा की पार्टी को आठ सीटें मिलीं थीं.

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