हवाई यात्रा के लिए देश के शीर्ष नियामक ने शुक्रवार को नियमों में संशोधन करते हुए कहा कि कोई भी एयरलाइंस दिव्यांग व्यक्ति को उड़ान भरने से मना नहीं कर सकती है. रांची से उड़ान भरने के लिए दिव्यांग लड़के को अनुमति नहीं देने पर इंडिगो कंपनी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के लगभग एक हफ्ते बाद शीर्ष नियामक ने ये बात कही.
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने कहा, "एयरलाइन विकलांगता के आधार पर किसी भी व्यक्ति को ले जाने से मना नहीं करेगी. हालांकि, अगर किसी एयरलाइन को लगता है कि ऐसे यात्री का स्वास्थ्य उड़ान के दौरान खराब हो सकता है, तो उस यात्री की जांच एक डॉक्टर द्वारा की जाएगी."
इसमें कहा गया है, "चिकित्सक स्पष्ट रूप से चिकित्सा की स्थिति और यात्री उड़ान भरने के लिए फिट है या नहीं, ये बताएंगे, चिकित्सा राय मिलने के बाद, एयरलाइन उचित कॉल करेगी." इंडिगो ने बच्चे और उसके परिवार को विमान में ये कहते हुए नहीं चढ़ने दिया कि वह काफी डरा हुआ था, जो अन्य यात्रियों के लिए खतरनाक था.
एक बयान में, एयरलाइन ने जोर देकर कहा कि भेदभावपूर्ण व्यवहार के सुझावों को कम करते हुए, 'समावेशी' होने पर उसे गर्व है.
कुछ दिनों बाद, उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट किया, "इस तरह के व्यवहार के प्रति जीरो टॉलरेंस है. किसी भी इंसान को इससे नहीं गुजरना चाहिए! मैं खुद मामले की जांच कर रहा हूं, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी."
नियामक ने उस समय कहा था कि ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए, वह अपने नियमों पर फिर से विचार करेगा और आवश्यक बदलाव लाएगा.
दिव्यांग बच्चे को बोर्डिंग से रोकने पर इंडिगो एयरलाइंस स्टाफ की खिंचाई
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