दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. हर तरफ स्मॉग ही स्मॉग नजर आ रही है. लोग ऐसी जगह तलाश रहे हैं, जहां वे राहत की सांस ले सकें. ऐसे में कुछ लोगों का कहना है कि 20वीं मंजिल से ऊपर रहने वाले लोगों को कम प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है, क्या वाकई ऐसा है? ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद एशिया की गैर-लाभकारी नीति अनुसंधान संस्थाओं में से एक CEEW के सीनियर प्रोग्राम लीड अभिषेक कर ने बताया कि कुछ हद तक ये बात सही है. बता दें कि दिल्ली में एक्यूआई लेवल 500 के पार पहुंच गया है.
CEEW के सीनियर प्रोग्राम लीड अभिषेक कर ने बताया, 'आमतौर पर ऊंचाई वाले फ्लोर पर रहने पर सामान्य रूप से प्रदूषण कम रहता है. भारत में इससे जुड़ा ज़्यादा अध्ययन नहीं हुआ है, लेकिन दूसरे देशों में जो अध्ययन हुआ है, वो बताता है कि ऊंची मंजिलों पर PM 2.5 और नाइट्रोजन के स्तर में अंतर होता है.'
अभिषेक कर ने बताया, 'यूके की एक रिसर्च के मुताबिक, '4 मीटर के ऊंचाई की तुलना में 65 मीटर यानि 20 मंजिल की ऊंचाई में PM 2.5 के स्तर में 11 फ़ीसदी कम पाया गया. वहीं, NO2 के स्तर में 74 फ़ीसदी कम था, लेकिन यहां उल्लेख करना ज़रूरी है कि ये अध्ययन उन शहर में किया गया है, जहां दिल्ली के मुक़ाबले वहां का प्रदूषण दस गुना कम है. इसका मतलब ये है कि ऊंचाई पर रहने वाले लोग वायु प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त नहीं हैं.'
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, दिल्ली और एनसीआर की स्थिति काफी खराब है. दिल्ली में औसत एक्यूआई 484 दर्ज किया गया है. जबकि दिल्ली के अलीपुर इलाके में 500 एक्यूआई दर्ज किया गया है. दिल्ली के तमाम ऐसे इलाके हैं जहां पर एक्यूआई 500 के बिल्कुल करीब पहुंच गया है.
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