एयर इंडिया बोर्ड ने एयरलाइन्स के कर्मचारियों की संख्या कम करने की दिशा में कदम बढ़ाया है. बोर्ड ने चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर को एयरलाइन के नॉन पर्फॉमिंग स्टाफ को अनिवार्य तौर पर बिना वेतन के पांच साल तक के छुट्टी पर भेजने की सिफारिश करने की इजाजत दे दी है.कर्मचारियों को निम्नलिखित श्रेणियों में एक बोर्ड द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा: उपयुक्तता, दक्षता, क्षमता, प्रदर्शन की गुणवत्ता, स्वास्थ्य और अतिरेक.
एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि एयर इंडिया के सीएमडी राजीव बंसल अब कर्मचारियों को "छह महीने से दो साल की अवधि के लिए छुट्टी पर भेज सकते हैं ,इस अवधि को पांच साल तक के लिए भी बढ़ाया जा सकता है." मुख्यालय में विभागीय प्रमुखों के साथ-साथ क्षेत्रीय निदेशकों को प्रत्येक कर्मचारी का मूल्यांकन करना होगा और उन मामलों की पहचान करनी होगी जहां अनिवार्य LWP के विकल्प का प्रयोग किया जा सकता है."
ऐसे कर्मचारियों के नामों को सीएमडी की स्वीकृति के लिए मुख्यालय में जनरल मैनेजर तक भेजने के लिए कह गया है.यह कदम ऐसे समय में आया है जब सरकार एयरलाइन को बेचने की कोशिश कर रही है. बेचने की प्रक्रिया कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते लटकी रह गई है.
कोरोनावायरस महामारी के बीच भारत और अन्य देशों में लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों के कारण विमानन क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ है. भारत में सभी एयरलाइनों ने वेतन में कटौती और दूसरे कदम उठाए हैं. भारत ने कोरोनोवायरस के चलते लागू लॉकडाउन के दो महीने के बाद 25 मई से घरेलू यात्री उड़ानों को फिर से शुरू किया.
हालांकि, एयरलाइंस को घरेलू उड़ानों में अधिकतम 45 प्रतिशत का संचालन करने की अनुमति दी गई है. 25 मई से भारतीय घरेलू उड़ानों में व्यवसाय दर लगभग 50-60 प्रतिशत है. 23 मार्च से अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें निलंबित हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं