ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अपना पक्ष रखा.
नई दिल्ली:
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ट्रिपल तलाक़ के मुद्दे पर लॉ कमिशन के सवालनामे पर अपना पक्ष रखा. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश के मुसलमान लॉ कमिशन के सवालनामे का बॉयकॉट करेंगे और इसमें शामिल नहीं होंगे. उनका आरोप है कि इसे निष्पक्ष होकर तैयार नहीं किया गया है.
उनका कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड इस मुल्क के लिए मुनासिब नहीं है. इस देश में तमाम धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं. संविधान ने हम सबको अपने धर्म की आजादी दी है. सरकार और लॉ कमिशन संविधान के विपरीत काम कर रही है. यह धर्म की आजादी की भावना के खिलाफ है. उन्होंने उधाहरण दिया कि अमेरिका के हर प्रदेश में अपने-अपने पर्सनल लॉ है. हम भारत में वैसे तो हर बात में अमेरिका के पिछलग्गू बनते हैं लेकिन ऐसे मामलों में हम ऐसा नहीं करते हैं.
ट्रिपल तलाक मामले में बात करते हुए लॉ कमिशन के चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान ने NDTV इंडिया से कहा कि वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर टिप्पणी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि कमिशन देश के संविधान के मुताबिक काम करेगा और अल्पसंख्यकों पर मेजोरिटी के विचार नहीं थोपे जाएंगे. हम यहां लोगों के विचार जानने के लिए हैं. हमने प्रश्नावली को पब्लिक डोमेन में रखा है ताकि स्टेक होल्डर जवाब दे सकें. उन्होंने कहा कि प्रश्नावली सभी धर्मों के लिए हैं, जवाब मिलने पर आगे की कवायद शुरु की जाएगी.
इससे पहले ट्रिपल तलाक़ के विरोध में इसी माह केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफ़नामा दाख़िल कर इसका विरोध किया था. हलफ़नामे में केंद्र ने कहा था कि ट्रिपल तलाक़ महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव है और महिलाओं की गरिमा से कोई समझौता नहीं हो सकता. वहीं इस मुद्दे पर मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने कहा है कि 3 तलाक़ की परंपरा की ग़लत ढंग से व्याख्या की जा रही है क्योंकि एक बार में 3 तलाक़ की कोई अवधारणा नहीं है.
नजमा ने कहा कि वो केंद्र सरकार के रुख़ से सहमत हैं. इस्लाम के नाम पर किया जाने वाला कोई अन्याय सही नहीं है.
उनका कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड इस मुल्क के लिए मुनासिब नहीं है. इस देश में तमाम धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं. संविधान ने हम सबको अपने धर्म की आजादी दी है. सरकार और लॉ कमिशन संविधान के विपरीत काम कर रही है. यह धर्म की आजादी की भावना के खिलाफ है. उन्होंने उधाहरण दिया कि अमेरिका के हर प्रदेश में अपने-अपने पर्सनल लॉ है. हम भारत में वैसे तो हर बात में अमेरिका के पिछलग्गू बनते हैं लेकिन ऐसे मामलों में हम ऐसा नहीं करते हैं.
ट्रिपल तलाक मामले में बात करते हुए लॉ कमिशन के चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान ने NDTV इंडिया से कहा कि वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर टिप्पणी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि कमिशन देश के संविधान के मुताबिक काम करेगा और अल्पसंख्यकों पर मेजोरिटी के विचार नहीं थोपे जाएंगे. हम यहां लोगों के विचार जानने के लिए हैं. हमने प्रश्नावली को पब्लिक डोमेन में रखा है ताकि स्टेक होल्डर जवाब दे सकें. उन्होंने कहा कि प्रश्नावली सभी धर्मों के लिए हैं, जवाब मिलने पर आगे की कवायद शुरु की जाएगी.
इससे पहले ट्रिपल तलाक़ के विरोध में इसी माह केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफ़नामा दाख़िल कर इसका विरोध किया था. हलफ़नामे में केंद्र ने कहा था कि ट्रिपल तलाक़ महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव है और महिलाओं की गरिमा से कोई समझौता नहीं हो सकता. वहीं इस मुद्दे पर मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने कहा है कि 3 तलाक़ की परंपरा की ग़लत ढंग से व्याख्या की जा रही है क्योंकि एक बार में 3 तलाक़ की कोई अवधारणा नहीं है.
नजमा ने कहा कि वो केंद्र सरकार के रुख़ से सहमत हैं. इस्लाम के नाम पर किया जाने वाला कोई अन्याय सही नहीं है.
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