- UP भाजपा में भूपेंद्र चौधरी की जगह नया प्रदेश अध्यक्ष 2027 विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर चुना जा रहा है.
- संगठन चुनाव में यूपी के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव के रास्ते साफ हुए हैं.
- वर्तमान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल छह साल पूरा कर रहा है, चुनाव के मद्देनजर अब और देरी संभव नहीं है.
उत्तर प्रदेश बीजेपी में लंबा इंतजार आज समाप्त होने जा रहा है. पार्टी को भूपेंद्र चौधरी की जगह नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा. 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ओबीसी पर दांव लगाने जा रही है. इस तरह बीजेपी जातीय समीकरणों को साध रही है- मुख्यमंत्री राजपूत, एक डिप्टी सीएम ओबीसी, दूसरा डिप्टी सीएम ब्राह्मण और अब प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी. इसके बाद चर्चा तेज हो गई है कि लंबे समय से लटका बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी जल्दी ही हो सकता है.
चर्चा है कि पार्टी नेतृत्व इस बार ‘ट्रिपल प्लान' पर काम कर रहा है. जातीय समीकरण, क्षेत्रीय संतुलन और संगठनात्मक अनुभव. सवाल यह है कि इन तीनों फैक्टरों के बीच संतुलन साधते हुए बीजेपी को उसका नया कप्तान कब मिलेगा?
कब होगा राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव
इस बात के पूरे संकेत है कि 14 जनवरी को खरमास समाप्त होने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की प्रक्रिया जोर पकड़ सकती है. वैसे बीजेपी के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में कोई बाधा नहीं बची है. संविधान कहता है कि संगठन के अनुसार 37 प्रदेशों और यूटी में से आधे यानी 19 में संगठन के चुनाव पूरे होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है. अभी तक बीजेपी के 37 में 29 प्रदेश-यूटी में संगठन के चुनाव हो चुके हैं. यूपी का चुनाव होने के बाद यह संख्या 30 पर पहुंच जाएगी. इसके बाद कर्नाटक, हरियाणा, दिल्ली, त्रिपुरा जैसे राज्य ही बचेंगे. यानी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने में कोई दिक्कत नहीं है. इसके लिए यूपी का ही इंतजार किया जा रहा था क्योंकि वाराणसी से सांसद होने के नाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय परिषद के सदस्य बनेंगे और उसके बाद ही वे राष्ट्रीय अध्यक्ष के उम्मीदवार के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर कर सकेंगे. अब उत्तर प्रदेश का संगठन चुनाव पूरा हो जाने के बाद इसका रास्ता भी साफ हो गया है.
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अध्यक्ष चुनने में कभी नहीं हुई इतनी देरी
वर्तमान बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा जनवरी 2020 से इस पद पर काबिज हैं. उनका कार्यकाल जून 2023 में समाप्त होना था लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसे बढ़ा दिया गया था. यानी अगले महीने वे छह साल पूरे कर लेंगे. बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में इतनी देरी कभी नहीं हुई.
अब और देर नहीं कर सकती भाजपा
गौरतलब है कि अगले साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल और असम के विधानसभा चुनाव होने हैं. इसी के साथ तमिलनाडु, केरल और पुड्डुचेरी में भी चुनाव होंगे. इन्हें देखते हुए पूछा जा रहा है कि क्या चुनावों से ऐन पहले बीजेपी नेतृत्व में बदलाव करना उचित समझेगी और क्या नड्डा का कार्यकाल फिर कुछ महीनों के लिए नहीं बढ़ा दिया जाएगा.
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लेकिन पार्टी सूत्र इस संभावना से इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में पहले ही देरी हो चुकी है. जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत संगठन चुनाव कराना राजनीतिक दलों की बाध्यता है. लिहाजा इसमें अब अधिक देरी संभव नहीं है.
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पार्टी सूत्र इशारा कर रहे हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में ऐसे नाम को प्राथमिकता दी जाएगी जिसे संगठन से जुड़े विषयों की गहरी समझ हो. ऐसा इसलिए ताकि विशाल हो चुके पार्टी संगठन को मजबूती दी जा सके. जातीय या क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधने का प्रयास हो सकता है. यूपी में ओबीसी अध्यक्ष बनाने के बाद अब नजरें इस बात पर होंगी कि पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान किसे सौंपती है. मौजूदा अध्यक्ष ब्राह्मण हैं जबकि प्रधानमंत्री ओबीसी. क्षेत्र के हिसाब से देखें तो प्रधानमंत्री उत्तर और पश्चिम की नुमाइंदगी करते हैं और अगले साल अधिकांश चुनाव दक्षिण और पूर्व में हैं. ऐसे में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम बेहद दिलचस्प हो सकता है.
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