- भारत पर 50 पर्सेंट टैरिफ लगाकर तीखे तेवर दिखा रहे ट्रंप के तेवर अब बदले नजर आ रहे हैं.
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को बेहतरीन प्रधानमंत्री और अपना अच्छा दोस्त बताया है.
- ट्रंप के टैरिफ के बावजूद भारत ने रूसी तेल खरीदना बंद नहीं किया, बल्कि आयात बढ़ा दिया है.
कभी सख्त-सख्त, कभी नरम नरम... ये बात ट्रंप पर बिल्कुल फिट बैठती है. हाल तक भारत को आंखें दिखा रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तेवर अब बदले नजर आ रहे हैं. अब वह पीएम मोदी को बेहतरीन प्रधानमंत्री और अपना अच्छा दोस्त बता रहे हैं. पीएम मोदी ने भी जवाब देते हुए संबंधों के सकारात्मक आकलन के लिए ट्रंप की सराहना की है. लेकिन सवाल ये है कि ट्रंप का ये हृदय परिवर्तन आखिर हुआ कैसे? वो कौन सी वजहें रहीं, जिन्होंने ट्रंप को डैमेज कंट्रोल के लिए विवश कर दिया. आइए जानते हैं.
ट्रंप बोले, मोदी शानदार प्रधानमंत्री
भारी भरकम टैरिफ और रूसी तेल खरीदने के लेकर पिछले दो दशकों के सबसे गहरे तनाव के बीच ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीन के नेता शी चिनफिंग के साथ तस्वीर पोस्ट हुए कहा था कि लगता है हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है. जब इस बारे में ट्रंप से ओवल ऑफिस में मीडिया ने सवाल पूछा तो ट्रंप ने अलग ही रुख दिखाया.
पीएम मोदी ने दिया सकारात्मक जवाब
इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को कहा कि हम राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे संबंधों को लेकर उनकी सकारात्मक राय की गहराई से सराहना करते हैं और उसका पूरी तरह से समर्थन करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बहुत सकारात्मक, दूरदर्शी, व्यापक और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है.
ट्रंप के 'डैमेज कंट्रोल' की वजह
1. भारत ने बढ़ाई रूसी तेल की खरीद
ट्रंप के तमाम प्रयासों के बावजूद भारत रूसी तेल पर अपने पुराने रुख पर कायम रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक टीवी इंटरव्यू में साफ कर दिया है कि भारत रूस से तेल खरीदना नहीं रोकेगा. उन्होंने साफ कहा कि भारत को जहां से सस्ता और लगातार तेल मिलेगा, वहां से खरीदेगा.रूस से तेल खरीदना हमारी आर्थिक रणनीति का हिस्सा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सितंबर में भारत का रूसी तेल आयात बढ़ने वाला है. भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है. अगस्त के मुकाबले भारत का रूसी तेल आयात 10-20 पर्सेंट बढ़ने वाला है. इतना ही नहीं, इंडियन ऑयल ने भी अमेरिकी तेल के बजाय पश्चिमी अफ्रीका और मिडिल ईस्ट से तेल खरीदने का टेंडर जारी किया है.
2. SCO से निकली मजबूत तस्वीर
टैरिफ विवाद के बीच पीएम मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में शामिल होकर इशारों में ट्रंप को सख्त संदेश दिया था. इस संगठन का वैसे तो उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है, लेकिन अब ये आगे बढ़कर आर्थिक सुरक्षा पर भी ध्यान दे रहा है. चीन में हुई इस समिट में पीएम मोदी, पुतिन और जिनपिंग के बीच जिस तरह जुगलबंदी दिखी, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया था. ट्रंप ने इसी की तस्वीर पोस्ट करके भारत के चीन के हाथ में खो देने की बात कही था. इतना ही नहीं, पुतिन ने पीएम मोदी को अपनी कार में बिठाकर मजबूत रिश्तों का अनूठा मैसेज दिया था.

चीन के तियानजिंग में SCO समिट के दौरान पीएम मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग के साथ
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3. UN बैठक से पीएम मोदी की दूरी
प्रधानमंत्री मोदी इस महीने के अंत में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के सालाना उच्चस्तरीय सत्र में शामिल नहीं होंगे. संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र 9 सितंबर को शुरू होगा. उच्चस्तरीय सत्र 23 से 29 सितंबर तक चलेगा. ट्रंप 23 सितंबर को यूएनजीए के मंच से वैश्विक नेताओं को संबोधित करेंगे. व्हाइट हाउस में अपने दूसरे कार्यकाल में संयुक्त राष्ट्र सत्र में यह उनका पहला संबोधन होगा. जुलाई में जारी वक्ताओं की सूची में बताया गया था कि पीएम मोदी 26 सितंबर को सत्र को संबोधित करेंगे. लेकिन अब नई लिस्ट के मुताबिक, भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर करेंगे. वह 27 सितंबर को सत्र को संबोधित करेंगे.
4. भारत-अमेरिका ट्रेड डील
ट्रंप के सख्त रवैये से रिश्तों में तनाव के बावजूद भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर पर्दे के पीछे से कोशिशें चल रही हैं. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी ट्रेड डील नवंबर तक फाइनल होने की हाल ही में उम्मीद जताई थी. इस ट्रेड डील को लेकर लगभग सहमति बन चुकी है. कृषि और डेयरी जैसे कुछ क्षेत्रों पर बात अटकी हुई है. इसे लेकर अमेरिकी दल भारत आने वाला था, लेकिन इसी बीच ट्रंप के 50 पर्सेंट टैरिफ लगाए जाने के बाद वार्ता थम गई. जाहिर बात है कि ये ट्रेड डील दोनों ही देशों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है. ऐसे में ट्रंप ये खतरा उठाने का जोखिम मोल नहीं लेना चाहेंगे.

5. ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में नाराजगी
ट्रंप ने जिस तरह से भारत के ऊपर भारी भरकम 50 पर्सेंट टैरिफ लगाए, उसे लेकर उन्हें अपने ही देश में तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. कई नेता और एक्सपर्ट्स तो इसे संबंध सुधारने की पिछले दो दशकों की मेहनत को मिट्टी में मिलाने जैसा कदम करार दे चुके हैं. उनका कहना है कि ट्रंप ने अपनी जिद के चलते रिश्तों को दांव पर लगा दिया है. जर्मन मीडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि टैरिफ विवाद के बीच ट्रंप ने पीएम मोदी को 4 बार फोन किया, लेकिन उन्होंने बात ही नहीं की थी.
6. BRICS समिट में भागीदारी
विदेश मंत्री एस जयशंकर 8 सितंबर को ब्रिक्स के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. भारत, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, ईरान और यूएई आदि के 10 सदस्यीय ग्रुप की बैठक में टैरिफ पर चर्चा होने की संभावना है. इस समिट का मकसद ट्रंप के टैरिफ विवाद से निपटने के लिए साझा दृष्टिकोण तैयार करना और अमेरिकी की व्यापार नीतियों से पैदा हुई अव्यवस्था पर चर्चा करना है. ये समिट वर्तमान अध्यक्ष ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा की पहल पर हो रही है. लूला ने 7 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी से बात की थी और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार व ऊर्जा संबंधों को मजबूत करने का संकल्प लिया था. अमेरिका ने भारत की तरह ब्राजील पर भी 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. हालांकि पीएम मोदी इस बैठक में नहीं शामिल हो रहे हैं. इसे SCO बैठक में उनकी भागीदारी को संतुलित करने की कोशिश माना जा रहा है.
7. अमेरिका के लिए भारत अहम
अमेरिका के लिए भारत आर्थिक, रणनीतिक, सामाजिक रूप से काफी अहम है. भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के साथ-साथ सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था भी है. रणनीतिक रूप से भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए अमेरिका का मेजर डिफेंस पार्टनर है. राजनीतिक रूप से, भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और बहुध्रुवीय दृष्टिकोण अमेरिका को स्थिर और विश्वसनीय सहयोगी प्रदान करता है. इसके अलावा अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है. भारतीय प्रवासी बहुत से अहम पदों पर हैं.
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