ग्राम पंचायतों में सक्रिय भागीदारी करें, पंचायत चुनावों को लेकर ग्रामीणों में कड़वाहट न हो: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने गुजरात सरकार की ‘समरस ग्राम योजना’ को रेखांकित किया, जिसमें आम सहमति के आधार पर पंचायत प्रतिनिधियों को चुनने वाले गांव को पुरस्कृत किया जाता है.

ग्राम पंचायतों में सक्रिय भागीदारी करें, पंचायत चुनावों को लेकर ग्रामीणों में कड़वाहट न हो: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए और राष्ट्रीय पंचायत प्रोत्साहन सम्मेलन का उद्घाटन किया.

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ग्राम पंचायतों के कार्यों में महिलाओं से सक्रिय भागीदारी निभाने की अपील की. राष्ट्रपति ने कहा कि पंचायत चुनाव को लेकर ग्रामीणों में आपसी कलह नहीं होनी चाहिए. जहां तक संभव हो सभी सामुदायिक कार्य आपसी सहमति के आधार पर किये जाने चाहिए. राष्ट्रपति ने गुजरात सरकार की ‘समरस ग्राम योजना' को रेखांकित किया जिसमें आम सहमति के आधार पर पंचायत प्रतिनिधियों को चुनने वाले गांव को पुरस्कृत किया जाता है.

राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए और राष्ट्रीय पंचायत प्रोत्साहन सम्मेलन का उद्घाटन किया. मुर्मू ने कहा कि किसी भी समाज के समग्र विकास में महिलाओं की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं के पास अपने और अपने परिवार तथा समाज की भलाई के लिए अधिक से अधिक निर्णय लेने के अधिकार होने चाहिए. मैं बहनों और बेटियों से अपील करूंगी कि वे ग्राम पंचायतों के कार्यों में सक्रिय रूप से भागीदारी करें.''

राष्ट्रपति ने कहा कि परिवार और ग्राम स्तर पर उनके (महिलाओं) सशक्तिकरण के माध्यम से इस अधिकार को प्राप्त किया जा सकता है. मुर्मू ने इस बात पर प्रसन्नता जतायी कि स्थानीय ग्रामीण निकायों के 31.5 लाख से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों में से 46 प्रतिशत महिलाएं हैं.

उन्होंने कहा कि समाज के प्रत्येक समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हर पांच साल में पंचायत प्रतिनिधियों के चुनाव का प्रावधान है, लेकिन ऐसा देखा जाता है कि ये चुनाव कई बार लोगों के बीच कड़वाहट भी पैदा कर देते हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर ग्रामीणों में आपसी कलह न हो, इस बात को ध्यान में रखते हुए पंचायत चुनाव को राजनीतिक दलों से अलग रखा गया है.

मुर्मू ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि गांव, परिवार का ही विस्तृत रूप है. परिवार में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए. सारे सामुदायिक कार्य यथासंभव आम सहमति से होने चाहिए. अगर चुनाव की नौबत भी आये तब भी ये चुनाव ग्रामवासियों में विभाजन न ला सके.''

उन्होंने कहा कि पंचायतें केवल सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का स्थान ही नहीं हैं, बल्कि वे नये-नये नेतृत्वकर्ताओं, योजनाकारों, नीति-निर्माताओं और नवाचार करने वालों के अभ्युत्थान का उद्गमस्थल भी हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि एक पंचायत की अच्छी पहल को अन्य पंचायतों में अपनाकर हम गांवों को तेजी से विकसित और समृद्ध बना सकेंगे.

मुर्मू ने कहा, ‘‘देश की आत्मा गांवों में बसती है। गांव वह आधारभूत इकाई है, जिसके विकसित होने से पूरा देश विकसित बन सकता है. इसलिए हमारे गांवों को विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.'' समारोह में ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार महात्मा गांधी की परिकल्पना के अनुरूप ग्राम स्वराज या गांव को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य से काम कर रही है.

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उन्होंने कहा कि सरकार गांव को कार्बन मुक्त बनाने और जल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है. गौरतलब है कि पंचायती राज मंत्रालय 17-21 अप्रैल तक राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार सम्मान का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव 2.0 के तहत कर रहा है.