आर. के. पचौरी टेरी प्रमुख के पद से हटाये गए
नई दिल्ली:
अपनी एक सहयोगी के यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे मशहूर पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ आर. के. पचौरी को ग़ैर लाभकारी संस्था TERI यानि 'द एनर्जी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है।
संस्था की गवर्निंग काउंसिल जिसमें इंडिया इंक की नैना लाल किदवई, किरण शॉ और दीपक पारेख़ ने 74 वर्षीय डॉ आर. के. पचौरी की जगह ले ली है। इनके साथ ड़ॉ अजय माथुर भी हैं जो फिलहाल ब्यूरो ऑफ़ एनर्जी एफिशियंसी के प्रमुख हैं।
लगभग 13 साल तक संयुक्त राष्ट्र के क्लाईमेट चेंज विभाग का प्रमुख रहने के बाद डॉ पचौरी फरवरी महीने में डॉ पचौरी तब अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था जब उनपर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। लेकिन तब उन्होंने TERI के प्रमुख़ के पद से इस्तीफ़ा नहीं दिया था।
आर. के.पचौरी पर साल 2013 में उनकी एक जूनियर सहयोगी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
संस्था में वापसी
कुछ ही दिन पहले डॉ पचौरी को अपनी संस्था में वापिस लौटने की अनुमति मिल गई थी, इस शर्त के साथ की संस्था के दो विभाग में वे तब तक नहीं जा पाएंगे जब तक उनके ख़िलाफ़ पुलिस की जांच पूरी नहीं हो जाती है।
लेकिन डॉ पचौरी के TERI लौटने का वहां के कई कर्मचारियों ने विरोध किया और गवर्निंग काउंसिल को अपनी शिकायत दर्ज करायी। इन लोगों ने ये भी कहा कि ज़रुरत पड़ने पर ये हड़ताल भी कर सकते हैं।
इस बीच डॉ पचौरी के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न का शिकायत दर्ज कराने वाली युवती के अनुसार, 'एक तरफ TERI में डॉ पचौरी का स्वागत फूल -मालाओं से किया गया और दूसरी तरफ मैं नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हूँ।' इस महिला ने कल गवर्निंग काउंसिल के रवैये की शिकायत करते हुए कहा था, 'उनकी चुप्पी और निष्क्रियता डराने वाली है, मैंने तो ये सुना था कि कॉरपोरेट की दुनिया में ऐसे मामलों में जल्दी कार्रवाई होती है।'
फरवरी महीने में डॉ पचौरी के ख़िलाफ़ केस दर्ज होने के बाद उन्हें TERI के कामकाज से दूर रहने को कहा गया था।
जबकि पीड़ित युवती का आरोप है कि मई महीने में उसका ट्रांसफर एक ऐसे डिपार्टमेंट में कर दिया गया है जो उसकी योग्यता के अनुकूल नहीं है। तब वो बिना सैलरी के छुट्टी पर है।
संस्था की गवर्निंग काउंसिल जिसमें इंडिया इंक की नैना लाल किदवई, किरण शॉ और दीपक पारेख़ ने 74 वर्षीय डॉ आर. के. पचौरी की जगह ले ली है। इनके साथ ड़ॉ अजय माथुर भी हैं जो फिलहाल ब्यूरो ऑफ़ एनर्जी एफिशियंसी के प्रमुख हैं।
लगभग 13 साल तक संयुक्त राष्ट्र के क्लाईमेट चेंज विभाग का प्रमुख रहने के बाद डॉ पचौरी फरवरी महीने में डॉ पचौरी तब अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था जब उनपर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। लेकिन तब उन्होंने TERI के प्रमुख़ के पद से इस्तीफ़ा नहीं दिया था।
आर. के.पचौरी पर साल 2013 में उनकी एक जूनियर सहयोगी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
संस्था में वापसी
कुछ ही दिन पहले डॉ पचौरी को अपनी संस्था में वापिस लौटने की अनुमति मिल गई थी, इस शर्त के साथ की संस्था के दो विभाग में वे तब तक नहीं जा पाएंगे जब तक उनके ख़िलाफ़ पुलिस की जांच पूरी नहीं हो जाती है।
लेकिन डॉ पचौरी के TERI लौटने का वहां के कई कर्मचारियों ने विरोध किया और गवर्निंग काउंसिल को अपनी शिकायत दर्ज करायी। इन लोगों ने ये भी कहा कि ज़रुरत पड़ने पर ये हड़ताल भी कर सकते हैं।
इस बीच डॉ पचौरी के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न का शिकायत दर्ज कराने वाली युवती के अनुसार, 'एक तरफ TERI में डॉ पचौरी का स्वागत फूल -मालाओं से किया गया और दूसरी तरफ मैं नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हूँ।' इस महिला ने कल गवर्निंग काउंसिल के रवैये की शिकायत करते हुए कहा था, 'उनकी चुप्पी और निष्क्रियता डराने वाली है, मैंने तो ये सुना था कि कॉरपोरेट की दुनिया में ऐसे मामलों में जल्दी कार्रवाई होती है।'
फरवरी महीने में डॉ पचौरी के ख़िलाफ़ केस दर्ज होने के बाद उन्हें TERI के कामकाज से दूर रहने को कहा गया था।
जबकि पीड़ित युवती का आरोप है कि मई महीने में उसका ट्रांसफर एक ऐसे डिपार्टमेंट में कर दिया गया है जो उसकी योग्यता के अनुकूल नहीं है। तब वो बिना सैलरी के छुट्टी पर है।
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