
वोटर लिस्ट को आधार से जोड़ने वाले विधेयक (Electoral Reforms Bill) को लेकर विवाद बढ़ गया है. सरकार का कहना है कि चुनाव सुधार से जुड़े विधेयक का उद्देश्य फर्जी वोटरों का नाम वोटर लिस्ट (Aadhar Voter List) से हटाना है, नकली वोटरों का नाम हटाना है. मल्टीपल इलेक्टरल रोल की समस्या को ठीक करना है. कुछ लोग अपना नाम कई बार वोटर लिस्ट में अलग-अलग जगहों पर रजिस्टर करा लेते हैं. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि इस बिल का विरोध वही करेंगे जो फर्जी वोटरों का इस्तेमाल करते हैं. अपने वोट बैंक को खोने के डर की वजह से विपक्षी सांसद हंगामा कर इसका विरोध कर रहे हैं.
सरकार की पांच बड़ी दलीलें------
1. Election Laws (Amendment) Bill : 2021यह बिल निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी को यह अनुमति देता है कि जो पंजीकरण के लिए आधार नंबर देना चाहता है और इसके आधार पर अपनी पहचान सत्यापित करने को तैयार है.ये विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है और राज्यसभा में है.
यह विधेयक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी को उन लोगों की भी पहचान सत्यापित करने के लिए आधार नंबर का इस्तेमाल कर सकता है, जिनका नाम पहले से ही मतदाता सूची में है. ताकि यह तय किया जा सके कि क्या किसी व्यक्ति का नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में तो दर्ज नहीं है.
2.चुनाव सुधार से जुड़े इस बिल में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि अगर कोई आधार नंबर नहीं देना चाहता है और इसकी जगह पहचान के किसी अन्य प्रमाणपत्र के आधार पर मतदाता सूची में नाम दर्ज कराना चाहता हो. आधार नंबर न होने की वजह से किसी का नाम मतदाता सूची से हटाया भी नहीं जा सकता.
3.चुनाव सुधार से जुड़े इस बिल के जरिये सरकार का उद्देश्य है कि मतदाता सूची को डिजिटल बनाया जाए और हर तीन माह में वोटर लिस्ट को बिना किसी बड़े झंझट के आसानी से अपडेट किया जा सके. मतदाताओं का नाम जोड़ना या हटाना आसान किया जा सके.
4.जन प्रतिनिधित्व कानून के मौजूदा नियम के अनुसार, अभी 1 जनवरी को 18 साल की उम्र पार करने वालों को ही वोटर लिस्ट में जुड़ने का अधिकार मिलता है. नए कानून के बाद साल में ऐसी चार तारीखें तय की जाएंगी और उन तारीख को 18 साल का पूरा होने वाला व्यक्ति वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करा सकता है. ये तारीख 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर होंगे.
5. अभी सेना या अन्य सुरक्षाबलों के परिजनों को वोट डालने में दिक्कत होती है, क्योंकि मौजूदा कानून के अनुसार, किसी सैन्यकर्मी की WIFE तो सर्विस वोटर के तौर पर वोटर लिस्ट से जुड़ सकती है, लेकिन किसी महिला सैन्य कर्मी के पति को ये अधिकार नहीं मिलता. लिहाजा महिला पुरुष के भेदभाव को खत्म करने के लिए वाइफ की जगह spouse शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा.
विपक्ष की 5 बड़ी आशंकाएं
1.विपक्षी दलों का कहना है कि अगर वोटर लिस्ट को आधार नंबर से जोड़ दिया गया तो मतदाता की गोपनीयता भंग हो सकती है.उसने किसे वोट दिया है या उसकी धार्मिक, जातीय या नस्लीय पहचान उजागर हो सकती है.
2.विपक्ष का यह भी कहना है कि अगर आधार नंबर से लैस वोटर लिस्ट का डेटा लीक या हैक हो गया तो यह किसी की प्राइवेसी के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
3.कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि अगर इन्हें वोटर आई कार्ड से लिंक किया जाता है तो सबसे ज्यादा नुकसान गरीब मतदाताओं को होगा. अक्सर चुनावों में ऐसा देखा गया है कि अमीर लोग गरीब लोगों का आधार कार्ड खरीद लेते हैं और फिर मतदान खत्म होने के बाद उन्हें वापस लौटा देते हैं. इसका दुरुपयोग होगा.
4. सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि अगर यह बिल पारित हुआ तो देश में लाखों वंचित वर्ग और पिछड़े वर्ग के लोग वोटिंग से वंचित हो जाएंगे जिनके पास आधार कार्ड नहीं हैं.इस बिल को समीक्षा के लिए संसद की स्थाई समिति या सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए
5. विपक्ष को यह भी आशंका है कि आधार से वोटर लिस्ट जुड़ जाने पर यह आसानी से पता किया जा सकता है कि किस इलाके में किस धर्म, जाति या वर्ग के कितने वोटर हैं. इन आंकड़ों का दुरुपयोग किया जा सकता है.
---- ये भी जानें---
UADAI के अनुसार, देश में 1 अऱब 31करोड़ 83 लाख 59 हजार 696 आधार कार्ड बन चुके हैं. 55.76करोड़ आधार अपडेट किए जा चुके हैं. जबकि देश की आबादी 1 अरब 38 करोड़ के करीब है. यानी आबादी के 95 फीसदी से ज्यादा लोगों के पास आधार कार्ड हैं.
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