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This Article is From Mar 16, 2022

''अब तुम हम में से एक हो'' : हिजाब हटाने वाली कर्नाटक की छात्रा से बोली उसकी क्‍लासमेट

उडुपी के एमजीएम कॉलेज की छात्रा ने हिजाब हटाने के अपने फैसले का अनुभव NDTV के साथ शेयर किया.

''अब तुम हम में से एक हो'' : हिजाब हटाने वाली कर्नाटक की छात्रा से बोली उसकी क्‍लासमेट
प्रतीकात्‍मक फोटो
उडुपी (कर्नाटक):

कक्षाओं में हिजाब पर राज्‍य सरकार के प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले ने मुस्लिम छात्राओं के लिए असमंजसभरी स्थिति पैदा कर दी है. राज्‍य के स्‍कूलों-कॉलेजों में फैसले पर अमल शुरू  हो गया है. कुछ छात्राओं की ओर से ड्रॉप लेने या स्‍कूल चेंज करने का मन बनाने के बीच उडुपी के सरकारी, एमजीएम कॉलेज की छात्रा ने हिजाब हटाने के अपने फैसले का अनुभव NDTV के साथ शेयर किया. तीन साल से हिजाब पहन रही सना कौसर  ने कहा, 'मेरे पास कोई विकल्‍प नहीं है. मैं अपनी शिक्षा जारी रखना चाहती हूं. ' कंप्‍यूटर साइंस की छात्रा ने एनडीटीवी को बताया, 'जब मैं हिजाब के बिना, क्‍लासमेट्स के बगल में बैठी तो एक हिंदू स्‍टूडेंट मेरे पास आई और कहा, 'तुम हम में से एक हो. ' हाईकोर्ट के आदेश के पहले मुस्लिम छात्राओं को कक्षा में हिजाब पहनने की इजाजत थी, लेकिन उन्‍हें कक्षाएं प्रारंभ होने के पहले, हिजाब उतारने के लिए जगह दी गई है. सना ने कहा, 'कई स्‍टूडेंट्स ने ड्रॉप लेने का फैसला किया है.' उन्‍होंने कहा, 'मैंने सुना है कि फाइनल ईयर की पांच या छह छात्राओं  ने TC ले ली है...कई स्‍टूडेंट्स ने घर में रहने का विकल्‍प चुना है. '

इस बीच, हिजाब निकालने से इनकार करने वाली स्‍टूडेंट्स को लेकर उडुपी गर्ल्‍स गवर्नमेंट कॉलेज के उपाध्‍यक्ष, जो कि बीजेपी नेता भी है, ने विवादित बयान दिया है. यशपाल सुवर्णा ने कहा, 'वे स्‍टूडेंट नहीं है, वे आतंकी संगठनों की एजेंट हैं. यदि वे भारतीय न्‍यायपालिका का सम्‍मान नहीं कर सकतीं तो भारत से बाहर जा सकती हैं. वे वहीं बस सकती हैं जहां उन्‍हें हिजाब पहने की इजाजत है. ' 

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है. हाईकोर्ट की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, "गणवेश (यूनिफॉर्म) पहनने से विद्यार्थी इनकार नहीं कर सकते."हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यूनिफॉर्म मौलिक अधिकारों पर एक उचित प्रतिबंध है. इसके साथ ही  हाईकोर्ट ने मुस्लिम लड़कियों की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने साफ कहा, "हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है." मामले में हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने पिछले महीने अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी. खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति जेएम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्ण एम दीक्षित शामिल हैं. 

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