"नायडू भले ही सेवानिवृत्त हो जाएं, लेकिन वह थकने वाले नहीं हैं": जयराम रमेश

उपराष्ट्रति एम.वेंकैया नायडू अपनी युवावस्था से ही प्रभावशाली वक्ता के तौर पर जाने जाते हैं. उन्होंने 1960 के दशक में अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण सुनने के बाद एबीवीपी के साथ अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत की.

वेकैंया नायडू (फाइल फोटो)

नई दिल्ली :

कांग्रेस (Congress) महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद शनिवार को कहा कि उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भले ही सेवानिवृत्त हो जाएं, लेकिन वह थकने वाले नहीं हैं. 

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘वेंकैया नायडू जी के मजाकिया और चुटीले अंदाज की कमी महसूस होगी. कई मौकों पर विपक्ष को उन्होंने आंदोलित किया, लेकिन आखिरकार अच्छा व्यक्ति अच्छा व्यक्ति ही होता है. वह सेवानिवृत्त हो जाएं, लेकिन थकेंगे नहीं.''

धनखड़ आगामी छह अगस्त को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में राजग के उम्मीदवार होंगे. राष्ट्रीय राजधानी स्थित पार्टी मुख्यालय में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में हुई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सर्वाेच्च नीति निर्धारक इकाई संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने यह घोषणा की.

बता दें कि उपराष्ट्रति एम.वेंकैया नायडू अपनी युवावस्था से ही प्रभावशाली वक्ता के तौर पर जाने जाते हैं. उन्होंने 1960 के दशक के अंत में एक जनसभा में जनसंघ के तत्कालीन नेता अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण सुनने के बाद एबीवीपी के साथ अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत की. हालांकि, बताया जाता है कि वह 14 साल की उम्र में महज ‘कबड्डी' खेलने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ‘शाखा' में शामिल हुए थे. नायडू ने अपने सार्वजनिक जीवन में लंबा सफर तय किया है. उन्होंने पार्टी के लिए पोस्टर चस्पाने का कार्य किया और पार्टी के राजनीतिक और वैचारिक निष्ठा के प्रतीक बने. वह भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार हुए और बाद में देश के उपराष्ट्रपति बने. वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के जरिए छात्र राजनीति में शामिल हुए और जेपी (जयप्रकाश) आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. 

नायडू शनिवार को देश के उन उपराष्ट्रपतियों की उस सूची में शामिल हो गए, जिन्हें दूसरा कार्यकाल प्राप्त नहीं हुआ. अब तक, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और हामिद अंसारी ही ऐसे दो उप राष्ट्रपति रहे हैं, जो इस पद पर लगातार दो कार्यकाल तक काबिज रहें. 

नायडू का जन्म आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. नायडू (72) भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्होंने एक केंद्रीय मंत्री के रूप में और लंबे समय तक राज्यसभा सदस्य के तौर पर सेवा दी. हालांकि, वह कभी लोकसभा सदस्य नहीं रहे.

नायडू आंध्र प्रदेश विधानसभा के दो बार सदस्य रहे हैं. उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1978 में एकीकृत आंध्र प्रदेश में जीता था. उन्हें उनकी वाकपटुता के लिए जाना जाता है. वह अक्सर अपनी बात को रोचक तरीके से एक वाक्य और मुहावरों में कहने के लिए जाने जाते हैं. कई लोगों को यह नहीं पता होगा कि वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दक्षिण भारत में दिए जाने वाले भाषणों का अनुवाद किया करते थे. 

मांसाहारी व्यंजनों के शौकीन नायडू हमेशा सशंकित रहे थे कि उन्हें भगवा खेमे में स्वीकार किया जाएगा या नहीं. अपने अनुभवों को साझा करते हुए नायडू ने बताया था कि पार्टी में शामिल होने से पहले उन्होंने पार्टी नेतृत्व ने पहला सवाल यह किया था क्या उन्हें मांसाहार की अनुमति होगी. उपराष्ट्रपति के मुताबिक, पार्टी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उनके खान-पान की आदत से उसे कोई परेशानी नहीं है क्योंकि यह उनकी व्यक्तिगत पसंद है. 

भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी के कभी करीबी रहे नायडू ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए समर्थन किया था. नायडू जुलाई 2002 से अक्टूबर 2004 तक लगातार दो कार्यकाल के लिए भाजपा के अध्यक्ष रहे.  2004 में लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था. राज्यसभा सभापति के तौर पर नायडू को विभिन्न मुश्किल दौर से निपटना पड़ा, जिनमें तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्षी सदस्यों का प्रदर्शन भी शामिल है.

एक समय नायडू ने कहा था कि अच्छी दृष्टि तभी संभव है, जब दोनों आंखें ठीक हों. उन्होंने कहा था कि उनके लिए दोनों (सत्ता पक्ष और विपक्ष) बराबर हैं. नायडू ने कहा था कि सदन की कार्यवाही सुचारु तरीके से चले, इसकी जिम्मेदारी दोनों पक्षों की है. 

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