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This Article is From Aug 17, 2016

7वां वेतन आयोग : कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन में वृद्धि का इंतजार, एक महीने बाद भी नहीं गठित हुई समिति?

7वां वेतन आयोग : कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन में वृद्धि का इंतजार, एक महीने बाद भी नहीं गठित हुई समिति?
सातवां वेतन आयोग अगस्त से लागू हो गया है.
नई दिल्ली: सातवां वेतन आयोग लागू भी हो गया और करीब 47 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और करीब 53 लाख पेंशनधारियों के खाते में बढ़ा हुआ वेतन भी आ गया. लेकिन वेतन आयोग को लेकर उठे कुछ विवादों का हल जल्द निकलने के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं.

अब तक 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर कर्मचारियों की नाराजगी के बाद उठे सवालों के समाधान के लिए सरकार की ओर से तीन समितियों के गठन का ऐलान किया गया था. जानकारी के अनुसार, सरकार की ओर से सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में अलाउंस को लेकर हुए विवाद से जुड़ी एक समिति बनाई जानी थी. दूसरी समिति पेंशन को लेकर बनाई जानी थी और तीसरी समिति वेतनमान में कथित विसंगतियों को लेकर बनाई जानी थी. इन सभी समितियों के लिए सरकार की ओर से ऑफिशियल नोटिफिकेशन अलग-अलग जारी होना था.

ऑफिशियल नोटिफिकेशन के बाद पहली दो समितियों का गठन कर दिया गया है और विवादों पर सरकार और कर्मचारी संगठनों के नेताओं के बीच बातचीत जारी है. कर्मचारी संगठन के नेताओं में पेंशन को लेकर आयोग की सिफारिशों में कुछ आपत्तियां जताई हैं और उनको सरकार के समक्ष समिति की बैठक में उठाया है भी है. इन सभी समितियों को अपनी रिपोर्ट 4 महीने के भीतर देनी है. (सातवां वेतन आयोग : प्रमोशन और इंक्रीमेंट पर लगी शर्त बनी बड़े विवाद की वजह, प्रक्रिया पर बातचीत जारी)

लेकिन सबसे अहम समिति विसंगतियों को लेकर बनाई जानी थी. इस एनोमली समिति का नाम दिया गया है. इसी समिति के पास न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा भी होगा.

चूंकि यह समिति अभी तक गठित नहीं हुई है इसलिए सरकारी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतनमान के मुद्दे को अभी मंच ही नहीं मिला है. चतुर्थ श्रेणियों के कर्मचारियों के न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा भी इस तीसरी समिति का पास रहेगा. यही समिति न्यूनतम वेतनमान को बढ़ाने की मांग करने वाले कर्मचारी संगठनों से बात करेगी. इस समिति के गठन के लिए ऑफिशियल नोटिफिकेशन अभी तक जारी नहीं हुआ है. ( 7वां वेतन आयोग गतिरोध : दोनों ओर से मिल रहे पॉजिटिव संकेत, बढ़ सकता है न्यूनतम वेतनमान! )

इस बारे में कर्मचारी यूनियनों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के संयोजक और ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल शिव गोपाल मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया कि सरकार ने दो समितियों का गठन कर दिया है. हमने सरकार के समक्ष पेंशन को लेकर कर्मचारियों की चिंता सामने रखी है. वहीं सूत्रों का कहना है कि तीसरी और सबसे अहम समिति का गठन एक हफ्ते के भीतर किए जाने की संभावना है.

न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा क्यों है पेचीदा
कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब का सभी को इंतजार है। सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के मन में वास्तविक बढ़ोतरी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस सबके पीछे तृतीय और चतुर्थ श्रेणियों के कर्मचारियों की हड़ताल की धमकी के बाद सरकार द्वारा न्यूनतम वेतनमान बढ़ाने की मांग को स्वीकार कर करीब 33 लाख कर्मचारियों को लिखित में आश्वासन देना है। सरकार ने इसके लिए एक समिति के गठन की बात भी कही जो चार महीनों में सभी संबंधित पक्षों से बात करके अपनी रिपोर्ट देगी। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार न्यूनतम वेतनमान को बढ़ाने का फैसला लेगी।

न्यूनतम वेतनमान बढ़ाने की मांग के चलते अब क्लास वन और क्लास टू श्रेणी के केंद्रीय कर्मचारियों में भी इस वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर हुए वास्तविक बढ़त को लेकर तमाम प्रश्न हैं। सभी लोगों को अब इस बात का इंतजार है कि सरकार कौन से फॉर्मूले के तहत यह मांग स्वीकार करेगी। सभी अधिकारियों को अब इस बात का बेसब्री से इंतजार है। ऐसे में कई अधिकारियों का कहना है कि हो सकता है कि न्यूनतम वेतन बढ़ाए जाने की स्थिति में इसका असर नीचे से लेकर ऊपर के सभी वर्गों के वेतनमान में होगा। कुछ अधिकारी यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि हो सकता है कि इससे वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा बढ़ोतरी हो जाए। ऐसा होने की स्थिति में सरकार पर केंद्रीय कर्मचारियों को वेतन देने के मद में काफी फंड की व्यवस्था करनी पड़ेगी और इससे सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
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वहीं, कुछ अन्य अधिकारियों का यह भी मानना है कि सरकार न्यूनतम वेतनमान बढ़ाए जाने की स्थिति में कोई ऐसा रास्ता निकाल लाए जिससे सरकार पर वेतन देने को लेकर कुछ कम बोझ पड़े। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार न्यूनतम वेतनमान में ज्यादा बढ़ोतरी न करते हुए दो-या तीन इंक्रीमेंट सीधे लागू कर दे जिससे न्यूनतम वेतन अपने आप में बढ़ जाएगा और सरकार को नीचे की श्रेणी के कर्मचारियों को ही ज्यादा वेतन देकर कम खर्चे में एक रास्ता मिल जाएगा। सवाल उठता है कि क्या हड़ताल पर जाने की धमकी देने वाले कर्मचारी संगठन और नेता किस बात को स्वीकार करेंगे।

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